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चावल घोटाला: दो साल बाद पूरी हुई जांच, सरकार को जल्द सौंपी जाएगी रिपोर्ट

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Published : Oct 30, 2019, 3:03 PM IST

प्रदेश में दो साल पहले सामने आए चावल घोटाले की ऑडिट रिपोर्ट लगभग पूरी कर ली गई है. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हो रही है. जिसकी रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंपी जा सकती है.

उत्तराखंड चावल घोटाला.

देहरादून: 23 अक्टूबर 2017 को वित्त विभाग की स्पेशल ऑडिट ने कुमाऊं मंडल में उजागर हुई लगभग 600 करोड़ रुपए के चावल घोटाले का जिम्मा लिया था. जिसके बाद अब वित्त विभाग ने रिपोर्ट फाइनल कर दी है. जिस पर अंतिम मुहर लगाने के लिए आज एक बैठक बुलाई गई है. बैठक में निर्णय लेने के बाद विभाग अंतिम रिपोर्ट जारी कर देगा.

आरोप है कि विभागीय अधिकारियों, किसानों और बिचौलियों की सांठगांठ से चावल के वितरण और राशन की दुकानों में घपला किया गया था. प्रारंभिक रिपोर्ट पर तत्कालीन प्रमुख सचिव ने तत्कालीन संभागीय नियंत्रक (रीजनल कंट्रोलर) का सेवा विस्तार खत्म कर दिया था. साथ ही विभाग ने 50 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला भी कर दिया गया था

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बहुचर्चित घोटाले की ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने में ऑडिट विभाग ने जांच की. जिस कारण विभाग को रिपोर्ट तैयार करने में दो साल लग गए. एसआईटी की जांच में घोटाले का खुलासा करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं जुटाए जा सके थे. लेकिन माना जा रहा है कि ऑडिट में ऐसे कुछ साक्ष्य जुटाए गए हैं, जिनसे गंभीर वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हो रही है. वहीं सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में यह घोटाला 600 करोड़ रुपए से घटकर 200 से 250 करोड़ के बीच रह गया है.

Intro:23 अक्टूबर 2017 को वित्त विभाग की स्पेशल ऑडिट ने कुमाऊँ मंडल में उजागर हुई सैकड़ो करोड़ रुपए के चावल घोटाले का ज़िम्मा लिया था।वित्त विभाग ने रिपोर्ट फाइनल कर दी है ओर इस पर अंतिम मुहर लगाने के लिए आज एक बैठक बुलाई गई है जिसमें ऑडिट से जुड़ी टीम के सदस्य शामिल होंगे।और बैठक में निर्णय लेने के बाद विभाग रिपोर्ट जारी कर देगा।इस बहुचर्चित मामले में 600 करोड़ रुपए के घोटाले की सम्भावना जताई गई थी और मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई।


Body:बता दे आरोप है कि विभागीय अधिकारियों,किसानों और बिचौलियों की सांठगांठ से चावल के वितरण भंडारण और राशन की दुकानों तक आवंटन में घपला किया गया था।
प्रारंभिक रिपोर्ट पर तत्कालीन प्रमुख सचिव ने तत्कालीन संभागीय नियंत्रक(रीजनल कंट्रोलर) का सेवा विस्तार खत्म कर दिया था और विभाग ने 50 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया था।


Conclusion:बहुचर्चित घोटाले की ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने में ऑडिट विभाग देख परख कर जांच की जिस कारण विभाग को रिपोर्ट तैयार करने में दो साल लग गए।एसआईटी की जांच में घोटाले का खुलासा करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं जुटाए जा सके थे लेकिन माना जा रहा है कि ऑडिट में ऐसे कुछ साक्ष्य जुटाए गए हैं जिनसे गंभीर वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हो रही है।वहीं सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में यह घोटाला 600 करोड़ रुपए से घटकर 200 से 250 करोड़ के बीच रह गया है।
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