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मॉनसून में संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर, चलेगा जागरूकता अभियान

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Published : Jun 3, 2022, 10:49 AM IST

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने इस साल मॉनसून सीजन आने से पहले ही अपनी कमर कस ली है. स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट ने अधिकारियों को आगामी खतरे से निपटने के लिए उचित दिशा निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएगा.

Uttarakhand Health Department
मॉनसून सीजन में गंभीर बीमारियां

देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून की दस्तक से पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. मॉनसून सीजन में डेंगू और टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग इस बार ऐसी खतरनाक बीमारियों से निपटने के लिए लोगों के घरों तक आने को तैयार है. इसके लिए उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट (DG Health Shailja Bhatt) ने अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिये हैं.

बारिश के मौसम में लोगों को भीगना बहुत पसंद होता है लेकिन बारिश का पानी शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में आप अपना खास ख्याल रखें क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है. मॉनसून सीजन में बरसात का पानी जमा होने से घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर पर डेंगू और डायरिया जैसी बीमारियां लोगों को खूब डराती हैं.

संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार

बारिश के गंदे पानी और बैक्टीरिया के बढ़ने के चलते दस्त, हैजा, टाइफाइड और फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्या बढ़ जाती है. वातावरण में नमी के कारण बैक्टीरिया और वायरस पनपते हैं, जिससे फ्लू का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं, जलभराव के कारण मच्छरों के पनपने से डेंगू और मलेरिया के भी मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी मॉनसून के पहुंचने से पहले ही ऐसी परिस्थितियों ने निपटने के लिए तैयार है.
पढ़ें- जून की शुरुआत में ही पारे में रिकार्ड उछाल, पहाड़ों में बढ़ी तपिश, हीट वेव का येलो अलर्ट

पिछले सालों में डेंगू ने खूब डराया: अगर बीते सालों की बात करें तो देहरादून में डेंगू ने खूब कहर बरपाया. स्थिति यह थी कि हर दूसरे घर से डेंगू के मामले सामने आने लगे थे. जिससे निपटना सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया था. लेकिन इस बार ये स्थितियां पैदा ना हों, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट की मानें तो विभाग इसके लिए तैयारियां कर रहा है. मॉनसून सीजन के दौरान आने वाली बीमारियों को लेकर न केवल लोगों को जागरूक किया जाएगा, बल्कि अस्पतालों में इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था हो इसके लिए भी तैयारियां की जा रही हैं.

डेंगू के बुखार में तेजी से कम होती है प्लेटलेट्स: डेंगू के बुखार में प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं. जिसका तुरंत इलाज जरूरी होता है. लोग लापरवाही न बरतें और घर पर इलाज की कोशिश न करें. उन्होंने बताया कि डेंगू बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है, क्योंकि बच्चे ज्यादा समय घर के बाहर खेलते हैं. बच्चे टी-शर्ट और निकर पहने होते हैं, जिससे उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा खुला होता है. जहां पर उन्हें मच्छर काट लेते हैं. माता-पिता ध्यान रखें कि बच्चे जब भी घर से बाहर जाएंं तो वे पूरी बाजू के कपड़े पहने हों. बड़े भी इन बातों का ध्यान रखें और वे भी डेंगू से बच कर रहें.

इन बातों का रखें ध्यान: घरों में पानी इकट्ठा न होने दें. कूलर, खाली पड़े बर्तनों, प्लास्टिक का सामान, टायर आदि में पानी जमा हो जाता है तो उसे साफ कर दें. इसके अलावा लोग गमलों में पानी देते हैं. कई बार गमलों में पानी पड़ा रहता है, इसलिए लोग गमलों में थोड़ा-थोड़ा पानी दें, जो मिट्टी में चला जाए. चाहे पौधों को दिन में दो बार पानी दें, लेकिन एक बार में ज्यादा पानी नहीं दें. बारिश के मौसम में अगर घर के आस-पास कहीं पर पानी पड़ा है तो वहां पर मिट्टी डलवा दें. अगर मिट्टी नहीं डलवा सकते तो वहां पर मिट्टी के तेल का छिड़काव कर दें. मिट्टी के तेल का छिड़काव करने से उस पानी में मच्छर नहीं पनपेंगे.

क्या है डेंगू: डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार (Dengue Fever) को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है.

हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं. जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है. अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है.

देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून की दस्तक से पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. मॉनसून सीजन में डेंगू और टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग इस बार ऐसी खतरनाक बीमारियों से निपटने के लिए लोगों के घरों तक आने को तैयार है. इसके लिए उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट (DG Health Shailja Bhatt) ने अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिये हैं.

बारिश के मौसम में लोगों को भीगना बहुत पसंद होता है लेकिन बारिश का पानी शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में आप अपना खास ख्याल रखें क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है. मॉनसून सीजन में बरसात का पानी जमा होने से घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर पर डेंगू और डायरिया जैसी बीमारियां लोगों को खूब डराती हैं.

संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार

बारिश के गंदे पानी और बैक्टीरिया के बढ़ने के चलते दस्त, हैजा, टाइफाइड और फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्या बढ़ जाती है. वातावरण में नमी के कारण बैक्टीरिया और वायरस पनपते हैं, जिससे फ्लू का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं, जलभराव के कारण मच्छरों के पनपने से डेंगू और मलेरिया के भी मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी मॉनसून के पहुंचने से पहले ही ऐसी परिस्थितियों ने निपटने के लिए तैयार है.
पढ़ें- जून की शुरुआत में ही पारे में रिकार्ड उछाल, पहाड़ों में बढ़ी तपिश, हीट वेव का येलो अलर्ट

पिछले सालों में डेंगू ने खूब डराया: अगर बीते सालों की बात करें तो देहरादून में डेंगू ने खूब कहर बरपाया. स्थिति यह थी कि हर दूसरे घर से डेंगू के मामले सामने आने लगे थे. जिससे निपटना सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया था. लेकिन इस बार ये स्थितियां पैदा ना हों, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट की मानें तो विभाग इसके लिए तैयारियां कर रहा है. मॉनसून सीजन के दौरान आने वाली बीमारियों को लेकर न केवल लोगों को जागरूक किया जाएगा, बल्कि अस्पतालों में इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था हो इसके लिए भी तैयारियां की जा रही हैं.

डेंगू के बुखार में तेजी से कम होती है प्लेटलेट्स: डेंगू के बुखार में प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं. जिसका तुरंत इलाज जरूरी होता है. लोग लापरवाही न बरतें और घर पर इलाज की कोशिश न करें. उन्होंने बताया कि डेंगू बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है, क्योंकि बच्चे ज्यादा समय घर के बाहर खेलते हैं. बच्चे टी-शर्ट और निकर पहने होते हैं, जिससे उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा खुला होता है. जहां पर उन्हें मच्छर काट लेते हैं. माता-पिता ध्यान रखें कि बच्चे जब भी घर से बाहर जाएंं तो वे पूरी बाजू के कपड़े पहने हों. बड़े भी इन बातों का ध्यान रखें और वे भी डेंगू से बच कर रहें.

इन बातों का रखें ध्यान: घरों में पानी इकट्ठा न होने दें. कूलर, खाली पड़े बर्तनों, प्लास्टिक का सामान, टायर आदि में पानी जमा हो जाता है तो उसे साफ कर दें. इसके अलावा लोग गमलों में पानी देते हैं. कई बार गमलों में पानी पड़ा रहता है, इसलिए लोग गमलों में थोड़ा-थोड़ा पानी दें, जो मिट्टी में चला जाए. चाहे पौधों को दिन में दो बार पानी दें, लेकिन एक बार में ज्यादा पानी नहीं दें. बारिश के मौसम में अगर घर के आस-पास कहीं पर पानी पड़ा है तो वहां पर मिट्टी डलवा दें. अगर मिट्टी नहीं डलवा सकते तो वहां पर मिट्टी के तेल का छिड़काव कर दें. मिट्टी के तेल का छिड़काव करने से उस पानी में मच्छर नहीं पनपेंगे.

क्या है डेंगू: डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार (Dengue Fever) को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है.

हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं. जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है. अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है.

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