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चारधाम, चुनौती और सुविधाएं, पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने में जुटी सरकार

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Published : Jul 13, 2020, 4:25 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 7:01 PM IST

त्रिवेंद्र सरकार चारधाम में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना बना रही है, ताकि भविष्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सके. सरकार के लिए चारधाम यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है.

Chardham Yatra in Uttarakhand
चारधाम, चुनौती और सुविधाएं

देहरादून: उत्तराखंड की विश्वप्रसिद्ध चारधाम यात्रा एक जुलाई से जारी है. अनलॉक 2.0 के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार पहले ही चारधाम यात्रा को शुरू कर चुकी है. लेकिन मॉनसून सीजन के दौरान चारधाम में यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं है. ऐसे में अब चारधाम में पर्यटकों की संख्या और सुविधाएं बढ़ाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार की क्या रणनीति है, जानिए हमारी इस रिपोर्ट में.

चारधाम यात्रा का हिन्दुओं में काफी महत्व है. माना जाता है कि चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु के समस्त पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार अब चारधाम में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने में जुटी हुई है.

Chardham Yatra in Uttarakhand
वर्ष 2019 में चारधाम यात्रा पर आए यात्रियों के आंकड़े.

लॉकडाउन के दौरान आम जनता के साथ-साथ उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति पर भी भारी असर पड़ा है. प्रदेश की रेवेन्यू को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा दे रही है. ETV BHARAT से खास बातचीत में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 'उन्होंने चारधाम यात्रा बढ़ाने और पर्यटकों के लिए क्वारंटाइन समय को घटाने का निवेदन किया है'. सतपाल महाराज ने कहा कि जिस तरह राजस्थान, हिमाचल और गोवा की सरकार ने पर्यटन के दृष्टिगत कदम उठाए हैं, वैसे ही फैसले उत्तराखंड में भी लिए जाने की जरूरत है.

उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने में जुटी सरकार.

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सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश में सुबह 10 बजे से रात 12 बजे तक रेस्टोरेंट खोले जाएं, ताकि आने वाले पर्यटकों को सुविधाएं मिल सके. कोरोना काल पर्यटन गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे में अगर क्वारंटाइन समय कम होगा तो प्रदेश के भीतर पर्यटन रफ्तार पकड़ेगी.

मानक के अनुरूप चलेगी चारधाम

मॉनसून सीजन के बाद चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं पर सतपाल महाराज ने कहा कि जो कैरिंग कैपेसिटी चारधाम की तय की गई है. उसी के अनुसार ही यात्री चारधाम की यात्रा कर सकेंगे. क्योंकि मॉनसून के साथ-साथ कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है. इन चीजों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग आवश्यक कदम उठा रहा है.

मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा

उत्तराखंड सरकार धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन के बाद अब मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने की कवायद में जुट गई है. मेडिकल टूरिज्म के सवाल पर सतपाल महाराज ने कहा कि मेडिकल टूरिज्म को लेकर जल्द ही एक सम्मेलन किया जा रहा है. जिसमें एम्स के पदाधिकारी, वैज्ञानिक, डॉक्टर्स, वैद्य और तिब्बत के वैद्य भी शामिल होंगे. सम्मेलन में संजीवनी इम्यूनिटी बूस्टर आदि विषयों पर चर्चा होगी. जिसके जरिए होलिस्टिक टूरिज्म को बढ़ाया जाएगा. जिसमें योग, थेरेपी को भी शामिल किया जाएगा. यही नहीं, सतपाल महाराज ने बताया कि मेडिकल टूरिज्म सम्मेलन में यह तय किया जाएगा किस तरह से प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाली जड़ी-बूटियों का सदुपयोग मानव जीवन के लिए किया जा सके.

देवस्थानम बोर्ड विवाद पर कसा तंज

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला कम होते नहीं दिखाई दे रहा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने देवस्थानम बोर्ड को असंविधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर फैसला सुरक्षित रखा गया है. वहीं, देवस्थानम बोर्ड पर भाजपा सांसद अजय भट्ट ने भी सरकार को पुनर्विचार करने को कहा है. सांसद अजय भट्ट के बयान पर सतपाल महाराज ने कहा कि अजय भट्ट बहुत विद्वान हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है. लेकिन जब कोई मामला कोर्ट में होता है तो उस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होता है.

पर्यटन उत्तराखंड की आर्थिक रीढ़

उत्तराखंड में चलने वाली चारधाम यात्रा को प्रदेश की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है. प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू होने से इस यात्रा से जुड़े लोग के सामने रोजगार के अवसर भी खुलते रहते हैं. टैक्सी चलाने वाले, यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे, प्रसाद बनाने-बेचने, खच्चर-घोड़े वाले बड़ी उम्मीद से श्रद्धालुओं की राह ताकते हैं.

चारधाम की स्थापना कैसे हुई

स्कंद पुराण के अनुसार गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है. केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है. महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के केदारनाथ में दर्शन-पूजा करने का वर्णन होता है. माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर को बनवाया था. बदरीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है. बदरीनाथ मंदिर के वैदिक काल में भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन है. गंगा को धरती पर लाने का श्रेय राजा भगीरथ को जाता है.

1790 से 1815 तक कुमाऊं-गढ़वाल पर गोरखा लोगों ने राज किया था. इसी दौरान गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने करवाया था. यमुनोत्री के असली मंदिर को जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में बनवाया था. कुछ दस्तावेज इस ओर भी इशारा करते हैं कि पुराने मंदिर को टिहरी के महाराज प्रताप शाह ने बनवाया था. मौसम की मार के कारण पुराने मंदिर के टूटने पर मौजूदा मंदिर का निर्माण किया गया है.

Last Updated : Jul 13, 2020, 7:01 PM IST
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