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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार: इनोवेटिव है सुधा पैन्यूली की टीचिंग, 14 साल अति दुर्गम क्षेत्र में दी हैं सेवाएं

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Published : Aug 22, 2020, 6:51 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 7:27 PM IST

ETV BHARAT से खास बातचीत में सुधा पैन्यूली ने कहा कि वे हमेशा पढ़ाई के साथ कुछ नया करने की कोशिश में रहती हैं. ऐसे में राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद उनका हौसला बढ़ा है.

National Award for Teachers
पुरस्कार ने बढ़ाया हौसला

देहरादून: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों की सूची जारी कर दी है. कुल 47 शिक्षकों की इस सूची में उत्तराखंड के दो शिक्षक शामिल हैं. देहरादून के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जोगला कालसी की वाइस प्रिंसिपल सुधा पैन्यूली और कपकोट बागेश्वर के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी के प्रधानाध्यापक डॉ. केवलानंद कांडपाल को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

साल 1991 में पहाड़ी जिले उत्तरकाशी के पुरोला से एलटी इंग्लिश के रूप में अपने शिक्षण कार्य की शुरुआत करने वाली सुधा इन दिनों देहरादून के कालसी में स्थित एकलव्य आदर्श विद्यालय में बतौर उप प्रधानाचार्य के तौर पर तैनात है. करीब 30 साल के शैक्षणिक कार्य से जुड़ी सुधा ने 14 साल बेहद दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दी हैं. कोरोना काल में सुधा पैन्यूली ने गीतों के जरिए वायरस से लड़ने के संदेश दिया था, जिसे ट्राइबल मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा.

पुरस्कार ने बढ़ाया हौसला-सुधा पैन्यूली

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एकलव्य बर्थडे गार्डन

सुधा पैन्यूली को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान नए इनोवेशन और एक्सपेरिमेंट के लिए दिया जाएगा. दरअसल, सुधा शिक्षण कार्य के अलावा भी स्कूल कैंपस में दूसरी गतिविधियों का भी पूरा ध्यान रखती हैं. इसी के तहत उनके द्वारा चलाया गया एकलव्य बर्थडे गार्डन कार्यक्रम को बेहद ज्यादा सराहा गया है. इसके जरिए बोर्डिंग में रहने वाले बच्चे अपने बर्थडे के दिन एक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देते हैं. सुधा द्वारा स्कूल में ही थिएटर एजुकेशन कार्यक्रम भी चलाया जाता है, जिसमें न केवल बच्चों को एक्टिंग या ड्रामा की जानकारी दी जाती है बल्कि, स्क्रिप्ट राइटिंग और दूसरी खूबियों को भी निखारा जाता है.

एकलव्य आदर्श विद्यालय के प्रधानाचार्य गिरीश चंद्र बडोनी.

एकलव्य आदर्श विद्यालय के प्रधानाचार्य गिरीश चंद्र बडोनी को भी इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिल चुका है. बडोनी बताते हैं कि स्कूल परिसर में सुधा बेहद ज्यादा एक्टिव और डेडिकेट होकर काम करती हैं. इसके अलावा टीम वर्क में काम कैसे किया जाता है, यह भी सुधा अच्छे से जानती हैं. इन्हीं सभी खूबियों के कारण सुधा को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान हासिल हुआ है. हालांकि, डॉ. बडोनी मानते हैं कि सुधा की तरफ से किए जा रहे कार्यों के लिहाज से काफी पहले ही उन्हें सम्मान मिल जाना चाहिए था लेकिन, अब सुधा जैसे शिक्षकों को सम्मान मिलने से बाकी शिक्षकों को भी मोटिवेशन मिलेगा.

Last Updated : Aug 22, 2020, 7:27 PM IST
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