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जन्मदिन विशेष: चंडी प्रसाद भट्ट के आह्वान पर जब हुआ था पेड़ बचाने को अहिंसक 'चिपको आंदोलन'

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Published : Jun 23, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 1:23 PM IST

1970 का दशक था. चमोली जिले के रैणी गांव के आसपास के जंगलों के करीब ढाई हजार पेड़ काटे जाने थे. वन विभाग के ठेकेदार कुल्हाड़े और आरियां लेकर पेड़ काटने पहुंच गए थे. तभी चंडी प्रसाद भट्ट और उनके साथियों के निर्देशन में महिलाओं ने पेड़ों से चिपट कर ऐसा आंदोलन शुरू किया कि पूरी दुनिया उसे 'चिपको आंदोलन' के नाम से जानती है. आज उन्हीं चंडी प्रसाद भट्ट का जन्मदिन है.

Chandi Prasad Bhatt
चंडी प्रसाद भट्ट

देहरादून: चिपको आन्दोलन एक पर्यावरण रक्षा का आन्दोलन था. यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य जो तब उत्तर प्रदेश का भाग था में स्थानीय ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई का विरोध करने के लिए किया था. वे राज्य के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोध कर रहे थे. वनों पर पर अपना परम्परागत अधिकार जता रहे थे. इसमें अब तक चौका-चूल्हा और घास, लकड़ी लाने तक अपनी भूमिका में सीमित महिलाओं की बड़ी भागीदारी थी. चंडी प्रसाद भट्ट के निर्देशन में गौरा देवी महिला आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रही थीं.

गोपेश्वर में हुआ जन्म

चंडी प्रसाद भट्ट का जन्म 23 जून सन् 1934 को चमोली जिले के गोपेश्वर में हुआ था. वो भारत के गांधीवादी पर्यावरणवादी और समाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने 1964 में चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में 'दशोली ग्राम स्वराज्य संघ' की स्थापना की. आगे चलकर ये संघ चिपको आंदोलन की मातृ-संस्था बनी.

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चंडी प्रसाद भट्ट का जन्मदिन

1982 में मिला रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

चंडी प्रसाद भट्ट को जंगल और पर्यावरण बचाने के इस सफल प्रयास के लिए 1982 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला. 2005 में उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार दिया. भारत सरकार द्वारा साल 2013 में उन्हें गांधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण से थे प्रभावित

चंडी प्रसाद भट्ट सातवें दशक के प्रारंभ में सर्वोदयी विचार-धारा के संपर्क में आए. वो जयप्रकाश नारायण और विनोबा भावे को आदर्श मानते थे. श्रम की प्रतिष्ठा सामाजिक समरसता, नशाबंदी और महिलाओं-दलितों को सशक्तिकरण के द्वारा आगे बढ़ाने के काम में चंडी प्रसाद भट्ट ने अपनी ऊर्जा लगाई. वनों का कटान रोकने के लिए उन्होंने ग्रामीणों को संगठित कर 1973 से चिपको आंदोलन आरंभ कराया.

अद्भुत जीवट के धनी चंडी प्रसाद भट्ट गांधी के विचार को व्यावहारिक रूप में आगे बढ़ाने में एक सफल जन नेता के रूप में जाने जाते हैं. ‘चिपको आंदोलन’ के रूप में सौम्यतम अहिंसक प्रतिकार के द्वारा वृक्षों एवं पर्यावरण के अंतर्संबंधों को सशक्तत ढंग से उभार कर उन्होंने संपूर्ण विश्व को जहां एक ओर पर्यावरण के प्रति सचेत एवं संवेदनशील बनाने का अभिनव प्रयोग किया, वहीं प्रतिकार की सौम्यतम पद्धति को सफलता पूर्वक व्यवहार में उतार कर भी दिखाया. ‘पर्वत पर्वत, बस्ती बस्ती’ चंडी प्रसाद भट्ट की बेहतरीन यात्राओं का संग्रह है.

चंडी प्रसाद भट्ट को मिले ये सम्मान

1983 में अरकांसस ट्रैवलर्स सम्मान मिला

लिटिल रॉक के मेयर द्वारा नागरिक सम्मान

1986 में पद्मश्री सम्मान

1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा ग्लोबल 500 सम्मान

1997 में कैलिफोर्निया (अमेरिका) में प्रवासी भारतीयों द्वारा इंडियन फॉर कलेक्टिव एक्शन सम्मान

2005 में पद्म भूषण सम्मान

2008 में डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि

2010 में रियल हिरोज लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड

31 अक्टूबर 2019 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

क्या है रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना अप्रैल 1957 में हुई थी. यह पुरस्कार फिलीपींस के दिवंगत राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की स्मृति में दिया जाता है. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार एशिया का प्रमुख पुरस्कार और सर्वोच्च सम्मान है.

पुरस्कार को 31 अगस्त को मनीला, फिलीपींस में औपचारिक समारोहों में दिया जाता है, क्योंकि इस दिन फिलीपींस के सम्मानित राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की जयंती होती है. रेमन मैग्सेसे के आदर्शों के आधार पर ही इस पुरस्कार की स्थापना 6 श्रेणियों में की गयी थी.

पुरस्कार की ये हैं श्रेणियां

1. सरकारी सेवाएं (GS)

2. सार्वजनिक सेवाएं (PS)

3. सामुदायिक नेतृत्व (CL)

4. पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला (JLCCA)

5. शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ (PIU)

6. इमर्जेंट लीडरशिप (EL)

Last Updated : Jun 23, 2021, 1:23 PM IST
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