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मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट पर भारी अधिकारियों की हीलाहवाली, आज तक नहीं लगा उद्योग

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Published : Oct 20, 2019, 2:45 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 4:45 PM IST

टिहरी जिले के डोबन सरोट गांव के पास आज तक विकसित नहीं हो पाया है मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट. उद्योग लगाने के नाम पर ग्रामीणों से कौड़ियों के दाम पर जमीनें अधिग्रहित की थीं. मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट परिसर जंगल में बदल चुका है.

मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट

ऋषिकेशः स्वरोजगार को बढ़ावा देने और बेरोजगारी खत्म करने के सरकार के दावों को विभागीय अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. इसकी बानगी टिहरी जिले के दूरस्थ गांव सरोट में देखने को मिलती है. टिहरी जिले के डोबन सरोट गांव के पास 1990 के दशक में यूपी सरकार के उद्योग विभाग द्वारा गांव के पास मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट विकसित करने के नाम पर ग्रामीणों से ओने-पौने दामों पर करीब 150 नाली भूमि अधिग्रहित की थी और लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का सपना दिखाया गया, लेकिन आज तक लोगों का सपना पूरा नहीं हो पाया.

मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट के नाम पर किसानों से छलावा.

उत्तराखंड बनने के बाद 2014-15 में सिडकुल द्वारा उक्त भूमि को विकसित किया गया और सड़क, पार्क, गेट का निर्माण कर औद्योगिक इकाइयों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी. साथ ही उद्योग विभाग द्वारा कमेटी बनाकर 19 लोगों के आवेदन स्वीकृत किये गए, लेकिन सरकार बदलने के बाद कार्य ठंडे बस्ते में चला गया और कार्य ठप पड़ा है.

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जिसके बाद से ग्रामीण उद्योग विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं हैं और मामला शासन में लंबित होने की बात कह रहे हैं. जब डीएम से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने उद्योग विभाग के साथ बात करने का आश्वासन दिया.

विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट इन दिनों जंगल में तब्दील हो चुका है और ग्रामीणों का स्वरोजगार का सपना सपना बनकर ही रह गया. जिससे आज वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

Intro:Feed send on FTP Folder name--Rojgar टिहरी--स्वरोजगार को बढ़ावा देने और बेरोजगारी खत्म करने के सरकार दावों के दावों को विभागीय अधिकारी किस तरह से पलीता लगा रहे है इसकी बानगी देखने को मिलती है टिहरी जिले के दूरस्थ गांव सरोट में।


Body:वी/ओ--टिहरी जिले के डोबन सरोट गांव के पास 1990 के दशक में यूपी सरकार के उद्योग विभाग द्वारा गांव के पास मिनी इंडस्ट्रीयल इस्टेट विकसित करने के नाम पर ग्रामीणों से ओने पौने दामो पर करीब 150 नाली भूमि ली गई और लोगो को स्वरोजगार से जोड़ने का सपना दिखाया गया..लेकिन आज तक लोगो का सपना पूरा नही हो पाया..उत्तराखण्ड बनने के बाद 2014-15 में सिडकुल द्वारा उक्त भूमि को विकसित किया गया और सड़क,पार्क,गेट का निर्माण कर औद्योगिक इकाइयों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी और उद्योग विभाग द्वारा कमेटी बनाकर 19 लोगो के आवेदन स्वीकृत किये गए।लेकिन सरकार बदलने के बाद कार्य ठंडे बस्ते में चला गया और कार्य ठप पड़ गया जिसके बाद से ग्रामीण उद्योग विभाग के चक्कर काटने को मजबूर है लेकिन विभागीय अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नही है और मामला शासन में पेंडिंग होने की बात कह रहे है व जब डीएम से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने उद्योग विभाग के साथ बात करने का आश्वासन दिया।


Conclusion:वी/ओ--विभागीय अधिकारियो की लापरवाही के चलते आज मिनी इंडस्ट्रीयल इस्टेट आज जंगल में तब्दील हो चुकी है और ग्रामीणों का स्वरोजगार का सपना सपना बनकर ही रह गया जिससे आज वो खुद को ठगा महसूस कर रहे है। बाईट--स्थानीय निवासी बाईट--स्थानीय निवासी
Last Updated : Oct 20, 2019, 4:45 PM IST
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