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'उन आंखों' ने खुद को फिर से अफसर बनते देखा, यादों के झरोखे से आईएमए की POP

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Published : Jun 12, 2021, 7:44 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 10:31 PM IST

आईएमए की पासिंग आउट परेड (passing out parade) के दौरान सबका ध्यान अफसर बनने वाले जेंटलमैन कैडेट्स पर ही होता है. जाहिर है छात्र के रूप में एकेडमी में बिताया उनका हर पल यादगार भी होता है. शायद इसीलिए एकेडमी का कोई भी छात्र इन यादों को भुलाना नहीं चाहता है. खासकर एकेडमी के पूर्व छात्रों के लिए तो ये मौका खुद को फिर एक बार पासआउट होते देखने का होता है.

Indian Military Academy
Indian Military Academy

देहरादून: इंडियन मिलिट्री एकेडमी (Indian Military Academy) यानी आईएमए (IMA) में जांबाज युवा अफसरों की परेड और पीपिग सेरेमनी को सैन्य परंपराओं के साथ संपन्न हुआ. इस दौरान हर सीना बुलंद और सिर सम्मान से उठा दिखाई दिया. लेकिन कुछ और भी था, जिसे सैन्य अफसरों की आंखें बयान कर रही थी. दरअसल तमाम सैन्य अधिकारी चैटवुड भवन के सामने खुद को अफसर बनता देख रहे थे. आईएमए में सैन्य अधिकारियों की यादों के झरोखे आज भी उतने ही हरे-भरे हैं, जितने आईएमए छोड़ते वक्त उन्होंने महसूस किया था.

आईएमए की पासिंग आउट परेड (passing out parade) के दौरान सबका ध्यान अफसर बनने वाले जेंटलमैन कैडेट्स पर ही होता है. छात्र के रूप में एकेडमी में बिताया उनका हर पल यादगार भी होता है. शायद इसीलिए एकेडमी का कोई भी छात्र इन यादों को भुलाना नहीं चाहता है. खासकर एकेडमी के पूर्व छात्रों के लिए तो ये मौका खुद को फिर एक बार पासआउट होते देखने का होता है.

'उन आंखों' ने खुद को फिर से अफसर बनते देखा

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आईएमए में पहुंचे रिव्यूइंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह के लिए भी यह मौका बेहद खास था. देश के पश्चिमी कमान के चीफ 39 साल पहले इसी अकादमी से प्रशिक्षण लेकर सेना में शामिल हुए थे. ऐसे ही कई अफसर आज जब पासिंग आउट परेड देखने के लिए भारतीय सैन्य अकादमी पहुंचे तो वह ऐतिहासिक चैटवुड भवन के सामने फोटो खिंचवाना नहीं भूले. अपने परिवार के साथ उस गौरवशाली जगह पर पहुंच कर सैन्य अधिकारियों ने अपने उन पुराने पलों से जुड़े अकादमी के इस भवन को कैमरे में कैद किया.

भारतीय सैन्य अकादमी के बीजीएस ब्रिगेडियर विवेक त्यागी कहते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल आज अकादमी में जिस पासिंग आउट परेड के रिव्यूइंग ऑफिसर हैं, 39 साल पहले उन्होंने भी इसी मैदान में अंतिम पग पार किया था. ब्रिगेडियर विवेक त्यागी कहते हैं कि अकादमी से उनकी कई यादें जुड़ी हुई है और आज जब युवा अफसर को देखते हैं तो उनकी भी अकादमी के समय की यादें ताजा हो जाती है.

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ब्रिगेडियर विवेक त्यागी की पत्नी मंजू त्यागी कहती हैं कि सेना एक परिवार है और इसी परिवार से जुड़े युवा अफसरों को इस तरह देखकर बेहद खुशी होती है. उन्हें गर्व होता है कि आज उन्होंने ऐसे होनहार अफसरों के कंधों पर सितारे लगाएं.

भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) से ही पास आउट हुए कर्नल निखिल ठक्कर कहते हैं कि इन तस्वीरों को देखकर उन्हें अपने पुराने दिनों की याद आ गई. यह पल बेहद फक्र का है. खुशी की बात यह है कि जिस कठिन परिश्रम के साथ पहले प्रशिक्षण दिया जाता था उसी मानक और परिश्रम से आज भी युवा देश की सेवा करने के लिए प्रशिक्षण पा रहे हैं.

किसी भी छात्र के लिए उसका स्कूल बेहद ज्यादा मायने रखता है. अकादमी से पास आउट हुए सैन्य अफसर भी आज युवा अफसरों को देखकर अपने उन्ही पुराने दिनों को याद कर रहे हैं. अकादमी के अनुशासन और प्रशिक्षण के साथ ही साथियों से जुड़ी हुई पुरानी यादों को याद करने का इससे बेहतर मौका शायद ही इन सैन्य अफसरों के लिए होता हो.

Last Updated : Jun 12, 2021, 10:31 PM IST
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