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लोकमान्य की 100वीं पुण्यतिथि पर तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में मूर्ति का अनावरण

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Published : Nov 29, 2020, 10:31 PM IST

Updated : Nov 29, 2020, 10:51 PM IST

लोकमान्य तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर मसूरी स्थित तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में उनकी मूर्ति का अनावरण किया. सोहम हिमालयन सेंटर की तरफ से लोकमान्य तिलक की मूर्ति का अनावरण किया गया.

मूर्ति का अनावरण
मूर्ति का अनावरण

मसूरी: सोहम हिमालयन सेंटर ने लोकमान्य तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में उनकी मूर्ति का अनावरण किया. कार्यक्रम में सोहम हिमालयन सेंटर के संस्थापक अध्यक्ष समीर शुक्ला, तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी के अध्यक्ष हरंभजन सिंह, महामंत्री राकेश अग्रवाल और समाजिक कार्यकर्ता श्रीधर ने संयुक्त रूप से मूर्ति का अनावरण किया. इस मौके पर वक्ताओं ने लोकमान्य तिलक की जीवनी पर प्रकाश डाला.

सोहम हिमालयन सेंटर के संस्थापक अध्यक्ष समीर शुक्ला ने कहा कि यह संस्थान पिछले 24 साल से उत्तराखंड की धरोहर और संस्कृति के संरक्षण को लेकर काम कर रही है. इसको लेकर एक म्यूजियम का भी निर्माण किया गया है. संस्था द्वारा देश के रोल मॉडल, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया था. उनके कामों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसी मुहिम में तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में बाल गंगाधर तिलक की मूर्ति की स्थापना की गई है. जिससे युवा पीढ़ी को महानायकों के बारे में जानकारी मिल सके.

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तिलक मेमोरियल समिति के महामंत्री राकेश अग्रवाल ने कहा कि आज लाइब्रेरी को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं. जल्द ही लाइब्रेरी को आधुनिक तरीके से विकसित किया जायेगा. जिससे युवा पीढ़ी के साथ लोगों को भी लाभ मिल सकें. लाइब्रेरी समिति के अध्यक्ष हंरभजन सिंह ने कहा कि स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा, ये वाक्य आज के नहीं है. इसको पढ़ने और सुनने के बाद हर बार इस वाक्य को कहने वाले बाल गंगाधर तिलक की याद आ ही जाती है. बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है. लोकमान्य तिलक को हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है.

बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक माना जाता है. उस दौरान उन्होंने मराठी भाषा में नारा दिया था, स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ था. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक करीबी संधि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वीओ चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे.

ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 6 साल कारावास की सजा सुनाई थी. कारावास के दौरान तिलक ने जेल प्रबंधन से कुछ किताबों और लिखने की मांग की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ऐसे किसी पत्र को लिखने पर रोक लगा दी, जिसमें राजनैतिक गतिविधियां हो. उन्होंने जेल में रहने के दौरान कई पुस्तकें लिखीं.

Last Updated : Nov 29, 2020, 10:51 PM IST
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