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संघर्ष करते हुए प्रकाश पंत की अंतिम पंक्तियां, मैं जीत कर आऊंगा...मैं तुझे हरा कर आऊंगा...

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Published : Jun 7, 2019, 7:54 AM IST

Updated : Jun 7, 2019, 8:27 AM IST

जीवन के हर पल को सिद्धांतों के साथ जीने वाले प्रकाश पंत अब हमारे बीच में नहीं है लेकिन जाते-जाते भी उन्होंने समाज को एक ऐसा संदेश दिया जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए.

minister prakash pant

देहरादून: हर चुनौती को स्वीकार करने और उस पर जीत पाने की ललक प्रकाश पंत के भीतर अंतिम क्षणों तक थी. इसी दृढ़ता की बदौलत प्रकाश पंत ने मौत से जंग नहीं हारी, वे आखिरी वक्त तक मौत के सामने पहाड़ की तरह खड़े रहे. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. अंतिम वक्त पर प्रकाश पंत ने अपने इस संघर्ष को कलम के जरिए कोरे कागज पर उकेरा.

पढ़ें- यादों में प्रकाश पंतः घृणा-द्वेष-प्रतिस्पर्धा से परे रहकर खुद को साबित किया अजातशत्रु

जीवन के हर पल को सिद्धांतों के साथ जीने वाले प्रकाश पंत अब हमारे बीच में नहीं है, लेकिन जाते-जाते भी उन्होंने समाज को एक ऐसा संदेश दिया जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए. यह संदेश है संघर्ष का. अपने जीवन के अंतिम पलों में भी प्रकाश पंत संघर्ष से पीछे नहीं हटे. अंतिम वक्त तक भी वह खुद के अंदर प्रकाश को ढूंढते रहे. उस ज्योति को जो जिंदगी की तरफ ले जाती थी.

पढ़ें- यादों के पल: घर वालों को बता दो कि तुम प्रकाश पंत के साथ हो, वरना तुम्हारी शामत आ जाएगी...

आखरी वक्त पर प्रकाश पंत ने अपने उसी संघर्ष को खुद की कलम से कोरे कागज पर बयां किया. खुद की लिखी चार लाइनों में ही प्रकाश पंत ने संघर्ष के जरिए जीत का भरोसा जाहिर किया तो समाज को कभी हार न माने का भी संदेश दिया था. मौत से संघर्ष करते प्रकाश पंत की वह चार लाइन जो किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती हैं.

मैं जीत कर आऊंगा
जन्म के साथ संघर्ष,
हर पड़ाव पर संघर्ष,
आज एक और संघर्ष,
मैं जीत कर आऊंगा,
मैं तुझे हरा कर आऊंगा,
हां मैं जीत कर आऊंगा
प्रकाश पंत

यह उस शख्स की लिखी चार लाइनें हैं, जो शायद खुद को मौत के बेहद करीब महसूस कर रहा था. यह खुद पर विश्वास ही था कि जहां डॉक्टर हार मान चुके थे, लेकिन प्रकाश पंत संघर्ष के बिना हार मानने को कतई तैयार नहीं थे. उन्हें विश्वास था कि उनका संघर्ष उन्हें अंधेरे से प्रकाश की तरफ ले जाएगा और वह बेरहम मौत की लड़ाई को आखिरकार जीत कर ही रहेंगे. लेकिन विधि का विधान कुछ और ही था..अंत में प्रकाश पंत एक ऐसे अंधेरे में चले गए जहां से वापस नहीं आया जा सकता.

Intro:हर चुनौती को स्वीकार करने और उस पर जीत पाने की ललक प्रकाश पंत के भीतर अंतिम क्षण तक थी.. अपनी इसी दृढ़ता की बदौलत प्रकाश पंत ने बिना लड़ाई के मौत से भी जंग नहीं हारी.. वह आखिरी वक्त तक मौत के सामने पहाड़ की तरह खड़े रहे.. अंतिम वक्त पर प्रकाश पंत ने अपने इस संघर्ष को कलम के जरिए कोरे कागज पर उकेरा....


Body:जीवन के हर पल को सिद्धांतों के साथ जीने वाले प्रकाश पंत अब हमारे बीच में नहीं है लेकिन जाते-जाते भी उन्होंने समाज को एक ऐसा संदेश दिया ...जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए... यह संदेश संघर्ष का है.. अपने जीवन के अंतिम पलों में भी प्रकाश पंत संघर्ष से पीछे नहीं हटे.. अंतिम वक्त तक भी वह खुद के अंदर प्रकाश को ढूंढते रहे ...उस ज्योति को जो जिंदगी की तरफ ले जाती थी... आखरी वक्त पर प्रकाश पंत ने अपने उसी संघर्ष को खुद की कलम से कोरे कागज पर बयां किया.. खुद की लिखी चार लाइनों में ही प्रकाश पंत ने संघर्ष के जरिए जीत का भरोसा जाहिर किया तो समाज को कभी हार न माने का भी संदेश दिया... मौत से संघर्ष करते प्रकाश पंत की वह चार लाइने जो किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती हैं

मैं जीत कर आऊंगा

जन्म के साथ संघर्ष,
हर पड़ाव पर संघर्ष,
आज एक और संघर्ष,
मैं जीत कर आऊंगा,
मैं तुझे हरा कर आऊंगा,
हां मैं जीत कर आऊंगा

प्रकाश पंत

यह उस शख्स की लिखी चार लाइनें हैं जो शायद खुद को मौत के बेहद करीब महसूस कर रहा था लेकिन यह खुद पर विश्वास ही था कि डॉक्टर्स इस लड़ाई में खुद की हार मान चुके थे उस पर भी प्रकाश पंत संघर्ष के बिना हार मानने को कतई तैयार नहीं थे। उन्हें विश्वास था कि उनका संघर्ष उन्हें अंधेरे से प्रकाश की तरफ ले जाएगा और वह बेरहम मौत की लड़ाई को आखिरकार जीत कर ही रहेंगे। लेकिन विधि का विधान कुछ और ही था..अंतत प्रकाश पंत एक ऐसे अंधेरे में चले गए जहां से वापस नही आया जा सकता।

प्रकाश पंत किसी दल विशेष या समुदाय के नेता नहीं थे वह सर्वमान्य राजनेता थे..शायद यही कारण है कि विपक्षी दल कांग्रेस भी प्रकाश पंत को सुना करते थे और उनके उद्बोधन को स्वीकार भी करते थे।

बाइट मथुरा दत्त जोशी मुख्य प्रवक्ता कांग्रेस


Conclusion:
Last Updated : Jun 7, 2019, 8:27 AM IST
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