ETV Bharat / state

व्यासी जलविद्युत परियोजना: UJVNL ने बताई लोहारी गांव के विस्थापन की सच्चाई

व्यासी जल विद्युत परियोजना के डूब क्षेत्र में आए लोहारी गांव (Lohari village of Dehradun) के विस्थापन की प्रक्रिया पूरी कर दी गई है. ग्रामीणों को उनका हक दे दिया गया है. इसके साथ ही जो लोग अभी तक रहने की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं, उनके लिए भी यूजेवीएनएल ने प्लान खेड़ा में हाउसिंग कॉलोनी में रहने की व्यवस्था की है.

dehradun
देहरादून
author img

By

Published : Apr 15, 2022, 2:49 PM IST

देहरादून: तमाम गांवों-शहरों को रोशन करने के लिए देहरादून का लोहारी गांव हमेशा के लिए व्यासी जल विद्युत परियोजना (Vyasi Hydroelectric Project) के डैम में समा गया है. डूबते लोहारी गांव की तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं. इस बीच कहा जा रहा था कि ग्रामीणों का आशियाना तो छिन गया लेकिन ग्रामीणों को उनका हक नहीं मिला. विस्थापन प्रक्रिया में ग्रामीणों के साथ नाइंसाफी हुई है. केवल 48 घंटे पहले ग्रामीणों के घरों में नोटिस चिपका दिए गए, जिसके बाद उनको अचानक गांव छोड़ना पड़ा. इसके पीछे की हकीकत क्या है ? हम आपको बताते हैं.

व्यासी जल विद्युत परियोजना में कार्यदाई संस्था उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (Uttarakhand Jal Vidyut Nigam Limited) के जनसंपर्क अधिकारी विमल डबराल (Public Relations Officer Vimal Dabral) ने बताया कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वक्त केवल आधा सच दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि 70 के दशक के उत्तरार्ध में इस योजना की शुरुआत हुई थी. उन्होंने बताया कि जब भी कोई जल विद्युत परियोजना शुरू होती है, तो उसमें मुवावजे और विस्थापन की प्रक्रिया पहले चरण में ही पूरी हो जाती है.

UJVNL के अधिकारी ने बताई लोहारी गांव के विस्थापन की सच्चाई.

विमल डबराल का कहना है कि व्यासी जल विद्युत परियोजना राष्ट्रीय स्तर की एक बहुउद्देशीय परियोजना है. इस योजना के तहत देश के 5 राज्यों में सिंचाई और बिजली की पूर्ति होनी है. वहीं, इस योजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत 15 करोड़ मुआवजे के लिए दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस योजना के जद में आने वाले रिहायशी क्षेत्रों में ग्रामीणों को स्थाई नौकरियां दी गई हैं.

उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत 57 लोगों को स्थाई नौकरी दी गई है. वहीं, बात अगर लोहारी गांव की की जाए, तो यहां पर भी कई लोगों को नौकरी दी गई है. शुरू में ही मुआवजे की राशि सभी को दी गई थी. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को विस्थापन के एवज में मुआवजे की राशि 70 फीसदी तक बढ़ाकर दी गयी है, जोकि अधिग्रहण की गई भूमि से काफी ज्यादा है.
पढ़ें- खुद को डुबोकर रोशनी देगा देहरादून का लोहारी गांव, जन्मभूमि की 'जल समाधि' पर रोए ग्रामीण

भावनाओं से जुड़ा विषय: इस योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों की भावना से जुड़ा विषय है. उनकी भावनाओं के साथ पूरे प्रदेशवासी अपनी भावनाएं जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जिस क्षेत्र में हमने अपना बचपन गुजारा हो और हमारी बचपन की यादें उस जगह से जुड़ी हो तो वहां के लिए भावुक होना जरूरी है.

ये है सच्चाई: ग्रामीणों को उनकी जमीन का मुआवजा दे दिया गया है. इसके साथ ही यूजेवीएनएल ने ग्रामीणों को उनकी योग्यता के अनुसार स्थाई नौकरी भी दी है. यूजेवीएनएल ने यह भी कहा है कि जिन भी ग्रामीणों के पास रहने की व्यवस्था नहीं हो पाई है, उनके लिए प्लान खेड़ा में हाउसिंग कॉलोनी बनाई गई है. वहां पर सभी को रहने के लिए व्यवस्था दी गई है.

देहरादून: तमाम गांवों-शहरों को रोशन करने के लिए देहरादून का लोहारी गांव हमेशा के लिए व्यासी जल विद्युत परियोजना (Vyasi Hydroelectric Project) के डैम में समा गया है. डूबते लोहारी गांव की तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं. इस बीच कहा जा रहा था कि ग्रामीणों का आशियाना तो छिन गया लेकिन ग्रामीणों को उनका हक नहीं मिला. विस्थापन प्रक्रिया में ग्रामीणों के साथ नाइंसाफी हुई है. केवल 48 घंटे पहले ग्रामीणों के घरों में नोटिस चिपका दिए गए, जिसके बाद उनको अचानक गांव छोड़ना पड़ा. इसके पीछे की हकीकत क्या है ? हम आपको बताते हैं.

व्यासी जल विद्युत परियोजना में कार्यदाई संस्था उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (Uttarakhand Jal Vidyut Nigam Limited) के जनसंपर्क अधिकारी विमल डबराल (Public Relations Officer Vimal Dabral) ने बताया कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वक्त केवल आधा सच दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि 70 के दशक के उत्तरार्ध में इस योजना की शुरुआत हुई थी. उन्होंने बताया कि जब भी कोई जल विद्युत परियोजना शुरू होती है, तो उसमें मुवावजे और विस्थापन की प्रक्रिया पहले चरण में ही पूरी हो जाती है.

UJVNL के अधिकारी ने बताई लोहारी गांव के विस्थापन की सच्चाई.

विमल डबराल का कहना है कि व्यासी जल विद्युत परियोजना राष्ट्रीय स्तर की एक बहुउद्देशीय परियोजना है. इस योजना के तहत देश के 5 राज्यों में सिंचाई और बिजली की पूर्ति होनी है. वहीं, इस योजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत 15 करोड़ मुआवजे के लिए दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस योजना के जद में आने वाले रिहायशी क्षेत्रों में ग्रामीणों को स्थाई नौकरियां दी गई हैं.

उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत 57 लोगों को स्थाई नौकरी दी गई है. वहीं, बात अगर लोहारी गांव की की जाए, तो यहां पर भी कई लोगों को नौकरी दी गई है. शुरू में ही मुआवजे की राशि सभी को दी गई थी. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को विस्थापन के एवज में मुआवजे की राशि 70 फीसदी तक बढ़ाकर दी गयी है, जोकि अधिग्रहण की गई भूमि से काफी ज्यादा है.
पढ़ें- खुद को डुबोकर रोशनी देगा देहरादून का लोहारी गांव, जन्मभूमि की 'जल समाधि' पर रोए ग्रामीण

भावनाओं से जुड़ा विषय: इस योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों की भावना से जुड़ा विषय है. उनकी भावनाओं के साथ पूरे प्रदेशवासी अपनी भावनाएं जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जिस क्षेत्र में हमने अपना बचपन गुजारा हो और हमारी बचपन की यादें उस जगह से जुड़ी हो तो वहां के लिए भावुक होना जरूरी है.

ये है सच्चाई: ग्रामीणों को उनकी जमीन का मुआवजा दे दिया गया है. इसके साथ ही यूजेवीएनएल ने ग्रामीणों को उनकी योग्यता के अनुसार स्थाई नौकरी भी दी है. यूजेवीएनएल ने यह भी कहा है कि जिन भी ग्रामीणों के पास रहने की व्यवस्था नहीं हो पाई है, उनके लिए प्लान खेड़ा में हाउसिंग कॉलोनी बनाई गई है. वहां पर सभी को रहने के लिए व्यवस्था दी गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.