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मॉनसून की तैयारियों को लेकर सिंचाई मंत्री की बैठक

बैठक में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने संभावित बाढ़ क्षेत्र को समय से चिन्हित करने के निर्देश भी दिए हैं.

Minister Satpal Maharaj held meeting
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज
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Published : May 26, 2021, 10:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में हर साल मॉनसून अपने साथ तबाही लेकर आता है. मॉनसून सीजन में सबसे ज्यादा भूस्खलन, जलभराव, नदियों के किनारे मिट्टी का कटान और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. जिसकी वजह से जनजीवन पूरी तरह के अस्त व्यस्त हो जाता है. मॉनसून सीजन की चुनौतियों को देखते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बुधवार को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

इस दौरान मंत्री सतपाल महाराज ने मॉनसून से पहले बांधों और जलाशयों का समुचित प्रबंधन करने के साथ-साथ सभी जनपदों में बाढ़ सुरक्षा उपायों को समय से पूरा करने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने मॉनसून आने से पहले बांधों और जलाशयों के प्रबंधन के साथ-साथ नदी एवं नालों पर भी नजर रखने को कहा है. साथ ही ड्रोन के माध्यम से भी नदियों के बहाव का नजर रखने के लिए कहा है.

पढ़ें- 28 मई को हड़ताल पर रहेंगे ऊर्जा निगमों के कर्मचारी

इसके अलावा उन्होंने नदियों के बहाव में बांधा बनने वाले अतिरिक्त मलबे को हटाने पर जोर दिया है, ताकि भूमि कटाव को रोका जा सके. शहरी क्षेत्रों में नालियों में फंसा कूड़ा जल भराव का एक बड़ा कारण है, इसलिए मानसून आने से पूर्व उनकी सफाई होना भी बहुत जरूरी है.

उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस संबंध में वह सभी जनपदों में स्थित नगर पालिका और नगर निगम को नालियों की सफाई के लिए लिखें. सतपाल महाराज ने कहा कि बरसात में सबसे ज्यादा नुकसान हरिद्वार जनपद में होता है. इसलिए हरिद्वार जिले में बाढ़ व भूमि कटाव से ग्रसित गांव कलसिया, डुमनपुर, बालावाली, गिध्छावाली मंसूरपुर, गंगदासपुर, शिवपुरी, महाराजापुर खुर्द, रामपुर रायघटी, कबुलपुरी राजघटी, चंद्रपुरी बांगर, चंद्रपुरी खादर, नाईवाला, दल्लावाला में बाढ़ सुरक्षा उपायों का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए.

महाराज ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से संभावित बाढ़ग्रस्त स्थानों के चिन्हिकरण किये गए स्थानों की जानकारी लेने के साथ-साथ उन स्थानों पर सभी पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश भी दिए. उन्होंने बाढ़ सुरक्षा के लिए अति शीघ्र जिला स्तरीय समितियों का गठन करने के अलावा बाढ़ सुरक्षा हेतु स्थापित नियंत्रण कक्ष और नियुक्त नोडल अधिकारी का नाम एवं दूरभाष नंबर सार्वजनिक करने की भी बात कही.

पढ़ें- गजब! आधी रात को ही बांट दिए यूरिया, SDM के फोन का दिया हवाला

महाराज ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से कहा कि इस समय पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है. इसलिए इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि अधिकारी जनता की बात सुने और समस्याओं का मौके पर ही समाधान करें. विभाग में एक नई कार्य संस्कृति विकसित करें और जनता की हर संभव मदद करें.

मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि पूर्व में सिंचाई विभाग के बड़े कार्यों को अधिकतम चार भागों में विभक्त करने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया था. वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण स्थानीय लोगों की वित्तीय स्थिति अत्यंत खराब हुई है. इसलिए व्यवहारिकता के दृष्टिगत स्थानीय ठेकेदारों एवं सुदूर क्षेत्रों से पलायन कर आए श्रमिकों व कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए समस्त अभियंत्रण विभाग द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्यों को छोटे-छोटे भागों में न्यूनतम 20 लाख की सीमा तक विभक्त कर स्थानीय ठेकेदारों के माध्यम से कराए जाने हेतु राज्य सरकार के विचाराधीन है.

देहरादून: उत्तराखंड में हर साल मॉनसून अपने साथ तबाही लेकर आता है. मॉनसून सीजन में सबसे ज्यादा भूस्खलन, जलभराव, नदियों के किनारे मिट्टी का कटान और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. जिसकी वजह से जनजीवन पूरी तरह के अस्त व्यस्त हो जाता है. मॉनसून सीजन की चुनौतियों को देखते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बुधवार को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

इस दौरान मंत्री सतपाल महाराज ने मॉनसून से पहले बांधों और जलाशयों का समुचित प्रबंधन करने के साथ-साथ सभी जनपदों में बाढ़ सुरक्षा उपायों को समय से पूरा करने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने मॉनसून आने से पहले बांधों और जलाशयों के प्रबंधन के साथ-साथ नदी एवं नालों पर भी नजर रखने को कहा है. साथ ही ड्रोन के माध्यम से भी नदियों के बहाव का नजर रखने के लिए कहा है.

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इसके अलावा उन्होंने नदियों के बहाव में बांधा बनने वाले अतिरिक्त मलबे को हटाने पर जोर दिया है, ताकि भूमि कटाव को रोका जा सके. शहरी क्षेत्रों में नालियों में फंसा कूड़ा जल भराव का एक बड़ा कारण है, इसलिए मानसून आने से पूर्व उनकी सफाई होना भी बहुत जरूरी है.

उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस संबंध में वह सभी जनपदों में स्थित नगर पालिका और नगर निगम को नालियों की सफाई के लिए लिखें. सतपाल महाराज ने कहा कि बरसात में सबसे ज्यादा नुकसान हरिद्वार जनपद में होता है. इसलिए हरिद्वार जिले में बाढ़ व भूमि कटाव से ग्रसित गांव कलसिया, डुमनपुर, बालावाली, गिध्छावाली मंसूरपुर, गंगदासपुर, शिवपुरी, महाराजापुर खुर्द, रामपुर रायघटी, कबुलपुरी राजघटी, चंद्रपुरी बांगर, चंद्रपुरी खादर, नाईवाला, दल्लावाला में बाढ़ सुरक्षा उपायों का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए.

महाराज ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से संभावित बाढ़ग्रस्त स्थानों के चिन्हिकरण किये गए स्थानों की जानकारी लेने के साथ-साथ उन स्थानों पर सभी पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश भी दिए. उन्होंने बाढ़ सुरक्षा के लिए अति शीघ्र जिला स्तरीय समितियों का गठन करने के अलावा बाढ़ सुरक्षा हेतु स्थापित नियंत्रण कक्ष और नियुक्त नोडल अधिकारी का नाम एवं दूरभाष नंबर सार्वजनिक करने की भी बात कही.

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महाराज ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से कहा कि इस समय पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है. इसलिए इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि अधिकारी जनता की बात सुने और समस्याओं का मौके पर ही समाधान करें. विभाग में एक नई कार्य संस्कृति विकसित करें और जनता की हर संभव मदद करें.

मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि पूर्व में सिंचाई विभाग के बड़े कार्यों को अधिकतम चार भागों में विभक्त करने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया था. वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण स्थानीय लोगों की वित्तीय स्थिति अत्यंत खराब हुई है. इसलिए व्यवहारिकता के दृष्टिगत स्थानीय ठेकेदारों एवं सुदूर क्षेत्रों से पलायन कर आए श्रमिकों व कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए समस्त अभियंत्रण विभाग द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्यों को छोटे-छोटे भागों में न्यूनतम 20 लाख की सीमा तक विभक्त कर स्थानीय ठेकेदारों के माध्यम से कराए जाने हेतु राज्य सरकार के विचाराधीन है.

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