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उत्तराखंड: धूम-धाम से मनाया गया लोकपर्व हरेला, पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

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Published : Jul 16, 2020, 4:46 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 6:37 PM IST

प्रकृति पूजन का प्रतीक हरेला लोक पर्व उत्तराखंड में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हरेले के साथ ही कुमाऊं में श्रावण मास और वर्षा ऋतु का भी आरंभ हो जाती है. हरेले के तिनके ईष्टदेव को अर्पित कर धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. इस लोक पर्व में उत्तराखंड के गांवों में खूबसूरत पारंपरिक झांकी दिखती है.

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धूम-धाम से मनाया गया लोकपर्व हरेला

देहरादून/ टिहरी/उधम सिंह नगर/थराली/रामनगर/चंपावत: पहाड़ी संस्कृति और त्योहारों की बात ही निराली है. आज उत्तराखंड में सुख समृद्धि, पर्यावरण संरक्षण और प्रेम का प्रतीक हरेला लोक पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया. सावन महीने के पहले दिन इस लोक पर्व में उत्तराखंड के गांवों में खूबसूरत पारंपरिक झांकी दिखाई दी. इस दौरान लोग हरेला पर्व यानी सावन संक्रांति से नौ या दस दिन पूर्व पांच प्रकार के अनाजों को मिट्टी की टोकरियों में बोया जाता है. फिर उसे हरेला के दिन पूजा के बाद काटा जाता है. उसके बाद काटे गए तिनकों को एक दूसरे के सिर पर रख कर आशीर्वाद दिया जाता है.

धूम-धाम से मनाया गया लोकपर्व हरेला

सीमाद्वार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया हरेला

भाजपा नेता और पूर्व संयोजक दिनेश रावत के नेतृत्व में कैंट विधानसभा के स्थानीय लोगों ने सीमाद्वार क्षेत्र में बड़ी धूमधाम से हरेला पर्व मनाया. इस मौके पर लोगों ने पौधारोपण कर हरियाली का संदेश दिया. इस दौरान भाजपा नेता दिनेश रावत ने कहा कि हरेला मुहिम में आरएसएस का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा बीते 10 सालों में हरेला को आरएसएस ने नया स्वरूप दिया है. उन्होंने बताया आज इसी कड़ी में 1 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के आह्वान पर 2 करोड़ 75 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया था.

लाखों पौधे रोप रहा वन विभाग

डोईवाला के लच्छीवाला वन रेंज के द्वारा हरेला पर्व के मौके पर खाली पड़ी जगहों में पौधारोपण किया गया. जिसमें वन विभाग ने एक घंटे में एक लाख से अधिक पौधे लगाए. देहरादून डीएफओ राजीव धीमान ने बताया कि बरसात के समय अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए. उन्होंने कहा जितना जरूरी पोधे लगाना है उतना ही जरूरी उनको बचाना भी है. डीएफओ राजीव धीमान ने बताया कि वन विभाग ब्लॉकों की वन रेंज में जनता के सहयोग से कई लाख पौधे रोप रहा है.

कुमाउंनी परिधान में सजकर किया पौधारोपण

गदरपुर क्षेत्र में भी हरेला का पर्व धूमधाम से मनाया गया. हरेला पर्व के मौके पर गदरपुर के दिलीपनगर गांव में तमाम महिलाओं ने कुमाउंनी परिधान के साथ रीति रिवाज से हरेला मनाया. इस दौरान मंदिर परिसर में पौधा रोपण भी किया गया.

टिहरी में देवी धार पिकनिक स्पॉट का उद्घाटन

टिहरी जिले में हरेला कार्यक्रम के दौरान टिहरी विधायक धन सिंह नेगी ने देवी धार पिकनिक स्पॉट का उद्घाटन किया. स्वदेश पर्यटन योजना के तहत 20 लाख की लागत से देवीधार पिकनिक स्पॉट का निर्माण किया गया है. इस दौरान जिलाधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे.उसके बाद चंबा में चुखाल नामक स्थान पर भी हरेला कार्यक्रम के तहत पौधे लगाये. यहां हरेला कार्यक्रम के तहत आज जिले में 50 हजार पेड़ लगाए गए. और जिले के 256 न्याय पंचायतों को 20, 20 पेड़ लगाने के निर्देश दिए गये. जनपद में 50 हजार पौध रोपने का लक्ष्य रखा गया है. जिससे 24 सौ हेक्टेयर से ज्यादा भूमि को कवर किया जायेगा. हरेला की शुरुआत जिला मुख्यालय से लगे पिकनिक स्पॉट में देवदार, तिमला, पदम, आकेशिया, मोलिथिया, माल्टा के पौधों के रोपण से हुई.

प्रतापनगर में भी मनाया गया हरेला

जिले के प्रताप नगर ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला ने भी हरेला के मौके पर पौधारोपण किया. उन्होंने कहा प्रतापनगर ब्लॉक के 98 ग्राम पंचायतों में लगभग 33 हजार से भी ज्यादा पौधों का लगाने का लक्ष्य रखा गया है. कार्यक्रम के तहत प्रकृति संरक्षण के साथ-साथ फलदार वृक्षों का भी रोपण किया जाएगा, जो आगे भविष्य काम आएंगे. प्रदीप रमोला ने आज प्रतापनगर माजफ, लम्बगांव आदि कई जगहों पर हरेला पर्व पर पौधारोपण कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

धनौल्टी में मुख्य विकास अधिकारी ने किया पौधारोपण

धनौल्टी में हरेला पर्व के मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक रुहेला ने थौलधार विकास खंड मुख्यालय में पौधारोपण किया. इससे पहले एक सूक्ष्म गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी में सीडीओ ने कहा कि मानव जीवन के लिए प्रकृति का संरक्षण बेहद जरूरी है. प्रकृति अपने आप में बहुत बलशाली है. सभी को यह जानना अति आवश्यक है कि यदि मानव इसे लेकर नहीं जागा तो प्रकृति अपना अस्तित्व बचाना भी जानती है, जिसका उदाहरण विश्वभर मे फैला कोविड-19 महामारी के रूप में देखने को मिल रहा है. एक स्वस्थ जिन्दगी जीने के लिए सबसे जरूरी स्वच्छ पर्यावरण है.

थराली में संयुक्त रूप से किया गया पौधारोपण

थराली विकासखंड के अंतर्गत वन पंचायत क्षेत्र चौड़ा (सिमलसैंण) में वन विभाग एवं वन पंचायत चौड़ा सिमलसैंण ने संयुक्त रूप से पौधारोपण किया. इस कार्यक्रम में वन दरोगा खिमानन्द खण्डूरी, चौड़ा के सरपंच सुरेंद्र सिंह फर्स्वाण के नेतृत्व में सिमलसैंण की सांकरी तोक में वृहद रूप से पौधारोपण किया गया. इसके तहत बांज, बुरांश, फयाट, कोराल, सुराई आदि प्रजाति के पौधों का लगाया गया. इस मौके पर चौड़ा के वन पंचायत सरपंच सुरेंद्र फर्स्वाण ने कहा की जब तक रोपित पौधों के देख-रेख का लोग स्वयं जिम्मा नहीं लेंगे तब तक रोपित पौधों का कोई लाभ नहीं हैं. उन्होंने सभी ग्रामीणों से पौधों की देखभाल करने की भी अपील की है.

हरेला के मौके पर कांग्रेस ने बांटा प्रसाद

नैनीताल जिले के रामनगर में हरेला बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. इस अवसर पर कांग्रेस के बैनर तले रामनगर के कई क्षेत्रों में पौधारोपण किया गया. इस मौके कांग्रेस पर प्रदेश कमेटी के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने कहा कि यह पर्व प्रकृति को संरक्षण देने वाला पर्व है. साथ ही रावत ने कहा कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए बढ़-चढ़कर आगे आना चाहिए. इस मौके पर सभी को पौधारोपण करना चाहिए. हरेला के मौके पर आज कांग्रेस कार्यालय में हलवा, पूरी और प्रसाद बनाकर सभी लोगों में वितरित किया गया.

किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने कार्यकर्ताओं के साथ किया पौधारोपण

उधम सिंह नगर जिले में भी तमाम राजनीतिक दलों ने दर्जनों पौधे रोप कर हरेला पर्व मनाया. किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने आज उत्तराखंड के लोक पर्व हरेला पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ किच्छा और उसके आसपास के क्षेत्रों में पहुंचकर दर्जनों छायादार व फलदार पौधे रोपे. इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पौधा जरूर लगाये. इस दौरान उन्होंने कहा कि हरेला पर्व खासकर उत्तराखंड का लोक पर्व है, यह हरियाली व सुख-समृद्धि का पर्व माना जाता है. हरेला के दिन लोग अच्छी फसल पैदावार व धन-धान्य के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं. यह पर्व उत्तराखंड में रहने वाले निवासियों को प्रकृति से जोड़ता है.

चंपावत में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हरेला

चंपावत जिला मुख्यालय में सुख समृद्धि का प्रतीक माने जाने वाला हरेला पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान कई स्थानों पर पौधारोपण किया गया. प्राकृतिक सौंदर्य हरियाली के प्रतीक हरेला त्योहार को खासकर कुमाऊं क्षेत्र में परंपरागत उल्लास के साथ मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार घर में सुख-समृद्धि शांति और अच्छी फसल के लिए मनाया जाने वाले हरेला पर्व में सुबह-सुबह घर के बुजुर्ग व्यक्तियों की ओर से पूजा पाठ करके सबसे पहले देवी देवताओं हरेला को चढ़ाया जाता है. जिसके बाद घर के बुजुर्ग सभी छोटे बड़े बच्चों को हरेला चढ़ाते हैं.

Last Updated : Jul 16, 2020, 6:37 PM IST
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