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सीएम की घोषणा को ठेंगा दिखा रही आउटसोर्स कंपनियां, कई जगह सफाई कर्मियों को नहीं मिल रहा ₹500 मानदेय

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Published : Dec 17, 2022, 8:57 AM IST

Updated : Dec 17, 2022, 10:18 AM IST

मुख्यमंत्री धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की घोषणा के बाद भी पर्यावरण मित्रों को बढ़ा हुआ मानदेय नहीं मिल रहा है. इसके उलट आउटसोर्स एजेंसियों के संचालकों का सर्विस जार्च बढ़ने तथा जीएसटी, ईएसआई तथा जीपीएफ कटौती की अधिक धनराशि मिलने से उन्हें सर्वाधिक लाभ हुआ है. इन आउटसोर्सिंग एजेंसियों के संचालकों पर कर्मचारी शोषण के गंभीर आरोप भी लगाते रहते हैं.

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सीएम की घोषणा को ठेंगा दिखा रही आउटसोर्स कंपनियां

देहरादून: मुख्यमंत्री धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने घोषणा संख्या 140/2022 से पर्यावरण मित्रों का मानदेय बढ़ाते हुए ₹ 500 प्रतिदिन किया था. जिसका शासनादेश 12-4-2022 को जारी कर दिया गया था. लेकिन इसका लाभ अभी भी नगर निकायों के सभी पर्यावरण मित्रों (सफाई कर्मचारियों) को नहीं मिल रहा है. इतना जरूर है कि इससे आउटसोर्स एजेंसियों के संचालकों का सर्विस जार्च बढ़ने तथा जीएसटी, ईएसआई तथा जीपीएफ कटौती की अधिक धनराशि मिलने से उन्हें सर्वाधिक लाभ हुआ है. इन आउटसोर्सिंग एजेंसियों के संचालकों पर कर्मचारी शोषण के गंभीर आरोप भी लगाते रहते हैं.

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमुद्दीन ने उत्तराखंड के सभी नगर निगमों से मुख्यमंत्री की घोषणा पर जारी शासनादेश का पालन कर 500 रुपये प्रतिदिन मानदेय का भुगतान करने सम्बन्धी सूचनायें मांगी थी. इसके उत्तर में किसी भी नगर निगम ने पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई. जो सूचनाएं उपलब्ध करायी गयी हैं उसी से चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये हैं. लोक सूचना अधिकारी/मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम देहरादून के पत्रांक 821 दिनांक 22-11-22 के साथ उपलब्ध करायी गयी. सूचना के अनुसार आउटसोर्स के माध्यम से तैनात सफाई कर्मियों को शासनादेश दिनांक 12-04-22 के अन्तर्गत 500 रुपए प्रतिदिन की दर से मानदेय का कर्मियों को लाभ नहीं दिया जा रहा है. जिस कारण कार्मिकों को पुरानी दर 350 रुपये प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जा रहा है. इसमें से भी 13 प्रतिशत पीएफ तथा 3.25 प्रतिशत ईएसआई की कटौती की जा रही है.
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क्या कह रहे देहरादून के मेयर: देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा (Dehradun Mayor Sunil Uniyal) का कहना है कि वह अपने नगर निगम में हर सफाई कर्मचारियों को 500 रुपए प्रतिदिन मानदेय दे रहें है. इसका लाभ भी निगम और निगम कर्मियों को हो रहा है. जहां तक 500 रुपये प्रतिदिन ना दिये जाने की बात है तो ऐसा आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा किया जा रहा है. जिसके लिए वह एजेंसी जिम्मेदार है. निगम द्वारा पूरा पैसा दिया जा रहा है. लोक सूचना अधिकारी/सहायक नगर आयुक्त नगर निगम, कोटद्वार ने अपने पत्रांक 2559 से सूचित किया है कि सभी पर्यावरण मित्रों को 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है.

उनके द्वारा उपलब्ध आउटसोर्स एजेंसी के बिल की प्रतिलिपियों से स्पष्ट है कि एजेंसी के 500 रुपए प्रतिदिन मानदेय के अतिरिक्त 13 प्रतिशत ईपीएफ तथा 3.25 प्रतिशत ईएसआई की धनराशि का अलग से भुगतान किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 1.6 प्रतिशत की दर से सर्विस चार्ज भी एजेंसी को मिल रहा है. जून तक 316 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान के कारण सर्विस चार्ज की धनराशि कम थी. लेकिन दर में बढ़ोत्तरी से इसमें भारी वृद्धि हो गयी है. नगर निगम ऋषिकेश के लोक सूचना अधिकारी द्वारा पत्रांक 1691 से उपलब्ध करायी गयी. सूचना के अनुसार आउटसोर्स एजेंसी को जुलाई 2022 से 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का भुगतान किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 13 प्रतिशत ईपीएफ 3.25 प्रतिशत ईएसआई तथा 20 प्रतिशत डिविडेंड के भी भुगतान किये जा रहे हैं. जबकि इससे पूर्व 320 रुपए प्रतिदिन तथा इस धनराशि पर ईपीएफ, ईएसआई व डिविडेंड का भुगतान किया जा रहा है.
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RTI एक्टिविस्ट ने क्या कहा: आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमुद्दीन (RTI activist Nadeem Uddin) ने बताया कि पर्यावरण मित्रों की आउटसोर्स व्यवस्था लागू होने से जहां प्राइवेट आउटसोर्सिंग एजेंसी रूपी बिचौलियों को लाभ होता है. वहीं कर्मचारियों का भारी शोषण होता है तथा आउटसोर्स एजेंसी के संचालकों के दबाव के चलते सफाई कार्य भी प्रभावित होती है. इसके अतिरिक्त उन्हें दिए जा रहे सर्विस चार्ज/डिविडेंड,जीएसटी के रूप में अतिरिक्त भार भी नगर निकायों पर पड़ता है. इन एजेंसियों पर पूरा मानदेय न देने, जीपीएफ तथा ई.एस.आई. का पैसा जमा न करने तथा इसका भुगतान कर्मचारी द्वारा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करने के आरोप लगते रहते हैं. इसके विरूद्ध कर्मचारी सेवा समाप्त किये जाने तथा उसके परिवार व रिश्तेदारों को सेवा से हटाने के डर से कोई कार्रवाई या शिकायत भी नहीं कर पाता. इसलिए जनहित, निगम हित तथा कर्मचारी हित में यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए.

Last Updated : Dec 17, 2022, 10:18 AM IST
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