ETV Bharat / state

आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, ये उपाय करने से मिलेगा भगवान गजानन का आशीर्वाद

author img

By

Published : Feb 20, 2022, 7:06 AM IST

हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी (Dwijpriya Sankashti chaturthi 2022) 20 फरवरी रविवार को है. इस दिन विधि-विधान से माता गौरी और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

dwijpriya sankashti
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी

देहरादून/जयपुर. फाल्गुन का आगाज हो चुका है. फाल्गुन माह की संकटी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकटी चतुर्थी (Dwijpriya Sankashti chaturthi 2022) भी कहा जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी रविवार को है. इस दिन विधि-विधान से माता गौरी और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. नियत दिन गणेश जी की पूजा, व्रत, कथा और आरती करके भोग लगाया जाता है.

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शास्त्रों में विशेष महत्व है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijpriya Sankashti chaturthi 2022) के दिन पूरे विधि-विधान से गौरी गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है. भगवान गणेश देवताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं और सर्वप्रथम पूजनीय हैं इसलिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेशजी का उनकी माता गौरी के साथ पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर करें ये उपाय.

पढ़ें-यहां है भगवान शंकर का ससुराल, फाल्गुन और श्रावण मास में विराजते हैं साक्षात भोलेनाथ

इस तरह पूजा करने से मिलेगा गौरी-गणेश का आशीर्वाद (Dwijpriya Sankashti chaturthi Shubh Muhurat)

  • चतुर्थी तिथि के दिन सुबह स्नान के बाद लाल रंग के कपड़े धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
  • मंदिर में दीपक जलाएं और पूरब या उत्तर दिशा की ओर करके पूजन करें.
  • लकड़ी की चौकी पर आसन बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें.
  • गणेशजी के सामने धूप-दीप जलाएं.
  • गौरी-गणेश की विधि-विधान से पूजा और इस दौरान ॐ गणेशाय नमः या ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें.
  • पूजन के बाद गणेश जी को मिठाई, मोदक या लड्डू का भोग लगाएं.
  • गणपति को चंदन और दूर्वा अर्पित करें. अंत में भगवान गणेश की आरती करें.- संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्रदर्शन के बाद ही खोला जाता है. - चांद निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें. व्रत कथा कहें या सुनें.
  • पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.