ETV Bharat / state

न लॉकडाउन ना कोरोना की बंदिश, फिर भी डिजिटल माध्यम से पढ़ने को मजबूर हैं उत्तराखंड के छात्र

author img

By

Published : Apr 20, 2023, 6:54 AM IST

नए शिक्षा सत्र में उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के छात्र डिजिटल माध्यम से पढ़ाई को मजबूर हैं. दरअसल शिक्षा मंत्री और उनका विभाग अपना वादा पूरा नहीं कर पाया है. सरकारी स्कूलों के छात्रों को किताबें नहीं मिल पाई हैं. स्कूल खुले 20 दिन हो चुके हैं, लेकिन छात्र किताबों का इंतजार कर रहे हैं.

government books
उत्तराखंड स्कूल समाचार

देहरादून: उत्तराखंड में ना तो कोरोना को लेकर कोई आपात स्थिति है और ना की किसी तरह का लॉकडाउन. बावजूद इसके छात्रों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. खास बात यह है कि छात्र स्कूल भी पहुंच रहे हैं, लेकिन किताबें न होने के कारण उन्हें ऑनलाइन सिलेबस को पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

सत्र शुरू लेकिन किताबें नहीं: देश भर की तरह उत्तराखंड में भी नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है. नए एडमिशन के साथ छात्र अगली कक्षा में नए सिलेबस को पढ़ने के लिए उत्सुक भी हैं. लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण छात्रों के लिए इस साल नई कक्षाओं में प्रवेश के बावजूद अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा पाना काफी मुश्किल हो रहा है. ऐसा छात्रों के पास नई कक्षाओं के लिए नए सिलेबस की किताबे नहीं होने के कारण हो रहा है.

शिक्षा मंत्री का दावा हुआ फुस्स: वैसे तो यह मुद्दा पिछले कई दिनों से लगातार गर्म है. लेकिन नए शिक्षा सत्र के कई दिन बीत जाने के बाद भी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाई हैं. यह हालत तब है जब पिछले दिनों शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत जल्द से जल्द किताबें पहुंचने का दावा कर रहे थे. लेकिन दावे फिसड्डी साबित हुए और स्कूलों तक किताबें नहीं पहुंच पाईं. अब इसमें खास बात यह सामने आई है कि विद्यालयों में किताबों के आने वाले दिनों में भी जल्द मुहैया ना होने की स्थिति को देखते हुए विभाग ने छात्र-छात्राओं के नए शिक्षा सत्र को आगे बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी की वेबसाइट में मौजूद सिलेबस के आधार पर पढ़ाने के लिए शिक्षकों को निर्देश दिए हैं.

सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई चौपट: इसके लिए बाकायदा सभी जिलों में मुख्य शिक्षा अधिकारियों को भी आदेशित कर दिया गया है, ताकि किताबें ना होने की स्थिति में छात्रों की पढ़ाई को आगे बढ़ाया जाए. चिंता की बात यह है कि स्कूलों में किताबों के देरी से पहुंचने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी स्कूलों में समय से किताबें नहीं पहुंचने को लेकर विवाद होते रहे हैं. लेकिन इस बार तो शिक्षा विभाग ने सारी हदें पार करते हुए विद्यालय खुलने के कई दिनों बाद तक भी किताबें स्कूल तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल नहीं की. बहरहाल इसका सीधा असर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चों पर पड़ रहा है.

शिक्षा विभाग का जुगाड़: वैसे आपको बता दें कि बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े बच्चे यानी कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों को लेकर खास तौर पर दिक्कत है आ रही है. बताया गया है कि एनसीईआरटी द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार बोर्ड की इन दोनों कक्षाओं में मौजूद पाठ्यक्रम को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है. यानी एनसीईआरटी में मौजूद पाठ्यक्रम में मुख्य सिलेबस को संकलित किया जा रहा है. जाहिर है कि यह काम काफी समय ले सकता है. ऐसे में फिलहाल एनसीईआरटी के मौजूदा सत्र के पाठ्यक्रम की सामग्री को वेबसाइट से डाउनलोड करके पढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.

इस मामले में शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत कह चुके हैं कि छात्रों तक किताबें जल्द से जल्द पहुंचाई जाएं. इसके लिए उनकी तरफ से अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं. उधर शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी भी किताबों की उपलब्धता को जल्द से जल्द पूरा किए जाने की बात कह रहे हैं. हालांकि फिलहाल किताबें ना होने के चलते शिक्षकों द्वारा वेबसाइट पर मौजूद सिलेबस की मदद ली जा सकती है.
ये भी पढ़ें: पढ़ने को किताब नहीं जीतेंगे सारा जहां! उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों को बुक का इंतजार

इंटरनेट नहीं, कैसे पढ़ें डिजिटली: इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि पुस्तकों को लेकर शिक्षा विभाग की लेटलतीफी सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एक बड़ी परेशानी बन गई है. उधर अधिकतर स्कूल ऐसे हैं, जहां इंटरनेट की कोई व्यवस्था नहीं है. ना ही कोई टीवी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है. लिहाजा ऑनलाइन सिलेबस के आधार पर पढ़ाया जाना भी बेहद मुश्किल दिखाई दे रहा है. जहां तक सवाल इस सिलेबस को डाउनलोड कर अलग से संकलित कर पढ़ाने का है, तो कई दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं जहां यह सब करना भी काफी मुश्किल काम है और शिक्षक इस स्थिति में अलग से कोई सरदर्द लेंगे इसकी भी कोई गारंटी नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.