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पिटकुल में नियम-कायदों की निकली हवा, अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर सुधारी गलती

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Published : Mar 30, 2022, 1:01 PM IST

उत्तराखंड ऊर्जा विभाग यूं तो गड़बड़ियों और घपलों की शिकायतों को लेकर सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है उसने सरकार की शक्तियों को भी चुनौती दे दी है. दरअसल, पिटकुल में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर को उनसे जूनियर अधिकारी ने ही बोर्ड के सदस्य सूची से बाहर कर दिया.

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पिटकुल में नियम-कायदों की निकली हवा.

देहरादून: पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पिटकुल में नियम कायदों को लेकर प्रबंधन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. मामला पिटकुल में बोर्ड और ऑडिट कमिटी की बैठक से जुड़ा है. खबर है कि पिटकुल में बोर्ड की बैठक से पहले ही निदेशक वित्त को बोर्ड की सदस्यता से ही बाहर कर दिया गया. यह हाल तब है जब निदेशक वित्त की तैनाती सरकार के स्तर पर की जाती है और शासन या सरकार ही इसको लेकर कोई फैसला कर सकते हैं. जानिए क्या है यह पूरा मामला.

उत्तराखंड ऊर्जा विभाग यूं तो गड़बड़ियों और घपलों की शिकायतों को लेकर सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है उसने सरकार की शक्तियों को भी चुनौती दे दी है. दरअसल, पिटकुल में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर को उनसे जूनियर अधिकारी ने ही बोर्ड के सदस्य सूची से बाहर कर दिया. खास बात ये है कि निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर की तरफ से इसकी शिकायत प्रबंध निदेशक से लेकर अपर मुख्य सचिव को की गई. शिकायत के होने के बाद बोर्ड की बैठक को दो बार स्थगित किया गया लेकिन प्रबंध निदेशक की तरफ से इस पर कोई कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई. वहीं, जब मामला अपर मुख्य सचिव ऊर्जा राधा रतूड़ी के पास पहुंचा तो उन्होंने फौरन इसका संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को कड़े शब्दों में सूची में निदेशक वित्त का नाम जोड़ने के निर्देश दिए और इसके बाद जाकर निदेशक वित्त का नाम जोड़ा गया.

कब हो रही थी बैठक और क्या है इसका महत्व
पिटकुल में 79वीं बोर्ड बैठक आहूत होनी थी और इसमें 51वीं ऑडिट कमिटी की बैठक भी होनी थी. इससे पहले बोर्ड की बैठक पहले 4 मार्च को होनी थी. इसके बाद इस बैठक को 26 मार्च को प्रस्तावित किया गया. इस बार भी बैठक को स्थगित करते हुए यह बैठक 29 मार्च को संपन्न हुई. दरअसल, इस बैठक में कॉरपोरेशन के एजेंडे और नीतिगत फैसलों को लिया जाता है. बोर्ड की बैठक में 15 सदस्य हैं लेकिन बैठक को लेकर जब सभी को सूचना भेजी गई तो उसमें डायरेक्टर फाइनेंस का ही नाम हटा दिया गया. जबकि, बोर्ड की बैठक में डायरेक्टर वित्त स्पेशल इनवाइटी होते हैं. उधर, ऑडिट कमिटी की बैठक में तो फाइनेंस से जुड़े विषय ही रखे जाते हैं. ऐसे में इन बैठकों में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर को ही बैठक से हटा देना बड़े सवाल खड़े कर रहा है.

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कौन है निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर
सुरेंद्र बब्बर पिटकुल में अगस्त 2020 से निदेशक वित्त की अहम जिम्मेदारी देख रहे हैं. सुरेंद्र बब्बर की पिटकुल में 3 साल के लिए तैनाती की गयी है. इससे पहले सुरेंद्र बब्बर दिल्ली ट्रांसको में उच्च पद पर तैनात थे. हालांकि, सुरेंद्र बब्बर की तरफ से पिछले साल सितंबर में इस्तीफा दे दिया गया था. हालांकि, अब तक शासन की तरफ से इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है.

पिटकुल में क्या है विवाद
पिटकुल में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर प्रबंधन की कार्यप्रणाली को देखते हुए पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. जानकार कहते है कि कॉरपोरेशन में इस अधिकारी को परेशान कर हटाने की कोशिशें की जा रही है और जिस तरह सुरेंद्र बब्बर ने इस्तीफा दिया है. उससे इस बात को और भी बल भी मिल रहा है. हालांकि, इस मामले में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के निर्देश के बाद गलती को सुधार दिया गया है लेकिन सवाल भी उठ रहा है कि शासन से बिना अनुमति के इस तरह बोर्ड के सदस्यों को लेकर ही नामों में छेड़छाड़ करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी. इस मामले को लेकर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और प्रबंध निदेशक अनिल यादव से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

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