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मसूरी का 200 साल का इतिहास 'बक्से' में कैद, आखिर कब बनेगा म्यूजियम?

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Published : Apr 8, 2021, 3:46 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 2:33 PM IST

ब्रिटिशकाल में अंग्रजों द्वारा बसाया गया मसूरी शहर किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अंग्रेजों ने खुद इस शहर की खूबसूरती और इतिहास को पुस्तकों और डायरियों में संजोए रखने का प्रयास किया है. वहीं स्थानीय लोग शहर में म्यूजियम बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं.

मसूरी का 200 साल का इतिहास
मसूरी का 200 साल का इतिहास

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी का नैसर्गिक सौन्दर्य अतीत से ही देश-विदेश के सैलानियों को रिझाता रहा है. इसका इतिहास भी काफी पुराना है. ब्रिटिशकाल में अंगेजों की इस हिल स्टेशन से दीवानगी किसी से छुपी नहीं है. आज नैसर्गिक सौंदर्य से पूर्ण मसूरी युवाओं का फेवरेट पर्यटन स्थल है. इस पर्यटन स्थल के जर्रे-जर्रे में बिखरे प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के साथ-साथ ट्रैकिंग का सैलानी जमकर लुत्फ उठाते हैं. लेकिन विडंबना देखिए इस सब के बीच मसूरी के समृद्ध इतिहास को संजोए रखने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. वहीं स्थानीय लोगों की म्यूजियम बनाने की मांग शासन-प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंच रही है. देखिए खास रिपोर्ट...

अंग्रेज भी खूबसूरती के कायल

ब्रिटिशकाल में अंग्रजों द्वारा बसाया गया मसूरी शहर किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अंग्रेजों ने खुद इस शहर की खूबसूरती और इतिहास को पुस्तकों और डायरियों में संजोए रखने का प्रयास किया है. वहीं स्थानीय लोग शहर में म्यूजियम बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. इतिहास गोपाल भारद्वाज के पास मसूरी के दो सौ साल पुराने दुर्लभ फोटो, सामान व अन्य वस्तुएं हैं, जो धूल फांक रही हैं. लेकिन आज तक इन्हें संजोए रखने के लिए सरकार के स्तर पर कोई म्यूजियम नहीं बन पाया है.

मसूरी का 200 साल का इतिहास 'बक्से' में कैद.

पहाड़ों की रानी का 200 साल पुराना इतिहास

हिल स्टेशन मसूरी का इतिहास करीब 200 साल से अधिक पुराना माना जाता है. जिसमें राजा महाराजाओं से लेकर ब्रिटिश शासन और आजाद भारत के विभिन्न नेताओं से जुड़े कई पन्ने और प्रमाण आज भी मौजूद हैं. जो आज इतिहासकार गोपाल भारद्वाज के घर में बक्सों में कैद होकर रह गए हैं. इतिहासकार गोपाल भारद्वाज के पास मसूरी के इतिहास से जुड़ी अनेक दुर्लभ सामग्री हैं. उन्होंने कई बार राज्य सरकार, पर्यटन मंत्री, नगर पालिका से मसूरी के इतिहास को संजोए रखने के लिए म्यूजियम बनाए जाने की मांग की. लेकिन मांग के बावजूद एक अदद म्यूजियम तक नहीं बन पाया.

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गोपाल भारद्वाज कर रहे इतिहास संजोए रखने का काम

गोपाल भारद्वाज ने कहा कि मसूरी के इतिहास का संग्रह उन्होंने अपने लिए नहीं किया, यह शहर का इतिहास है और हर शहर का अपना इतिहास होता है. उन्होंने बताया कि उनके पिता 1935 में मसूरी आ गये थे और उन्होंने मसूरी के इतिहास का संग्रह किया कुछ मैंने किया. यहां तक कि मसूरी के इतिहास से जुड़ी कई तस्वीरें अपने खर्चे से लंदन की लाइब्रेरी व अन्य स्थानों से मंगवाई, इसमें कुछ पुस्तकें भी हैं. उन्होंने बताया कि मसूरी को अंग्रेजों ने बसाया और उन्होंने विभिन्न माध्यमों से फोटो, गाइड बुक व अन्य माध्यमों से संभाल के रखा, उसे मैंने एकत्र किया है. लेकिन आज उम्र के अंतिम पड़ाव पर होने के कारण अब इसकी प्रदर्शनी भी नहीं लगा सकते हैं.

म्यूजियम बनने से युवा पीढ़ी इतिहास से होगी रूबरू

उन्होंने कहा कि मसूरी में कोई स्थान मिल जाए, जहां पर इस इतिहास को रखा जाए. ताकि लोग अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें व आने वाली पीढ़ी को अपने शहर के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सकें. इसके लिए पर्यटन विभाग सहित नगर पालिका से अनुरोध किया गया, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली. मामला आश्वासन तक ही सिमट गया है. उन्होंने कहा कि इसमें व्यक्तिगत मेरा नहीं शहर का नुकसान है. आने वाले समय में लोग कहेंगे कि पुराने लोगों ने अपने शहर का इतिहास भी संभाल कर नहीं रखा.

जानें क्या कह रहे जनप्रतिनिधि ?

वहीं स्थानीय नगर पालिका सभासद गीता कुमाई ने कहा कि उन्होंने ही नगर पालिका बोर्ड में गोपाल भारद्वाज के इतिहास संग्रह के लिए म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसे सदन ने स्वीकृत भी किया. ताकि आने वाली पीढ़ी मसूरी के इतिहास से रूबरू हो सकें. इस संबंध में नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि जब उन्होंने अध्यक्ष पद की शपथ ली थी, उसी दिन यह घोषणा की थी कि मसूरी के इतिहास से जुड़ा एक संग्रहालय बनाया जायेगा. जिस पर विगत तीन माह पूर्व बोर्ड बैठक में संग्रहालय का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया, जो शहीद स्थल पर बनाया जाना है. उन्होंने कहा कि संग्रहालय की डीपीआर बनने जा रखी है, जैसे ही डीपीआर आएगी इस दिशा में कार्य शुरू किया जाएगा.

भले ही जनता के चुने नुमाइंदे मसूरी के इतिहास को संजोए रखने के लिए म्यूजियम बनाने की बात कर रहे हों, लेकिन उनके कथन धरातल पर कब उतरेंगे, इसका जनता इंतजार कर रही है.

Last Updated : Apr 17, 2021, 2:33 PM IST
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