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नकली दवाई की फैक्ट्री में पुलिस ने मारा छापा, दो आरोपी गिरफ्तार, करोड़ों का माल बरामद

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 15, 2023, 6:11 PM IST

Updated : Oct 15, 2023, 7:32 PM IST

Fake medicines worth crores recovered in Dehradun देहरादून में रायपुर पुलिस ने दिल्ली की फार्मा कंपनी के नाम पर नकली दवाइयां बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. बरामद की गई दवाइयों की कीमत 4 करोड़ रुपए है. पढ़ें पूरी खबर..

DEHRADUN
देहरादून

नकली दवाई की फैक्ट्री में पुलिस ने मारा छापा

देहरादून: दिल्ली की फार्मा कंपनी की नकली दवाई देशभर में सप्लाई होने की शिकायत पर मुकदमा दर्ज होने के बाद थाना रायपुर पुलिस ने देहरादून और हरिद्वार में छापेमारी की है. इसी बीच करोड़ों रुपए की नकली पेन किलर कैप्सूल और लाखों रुपए की मशीनें बरामद की गई हैं. साथ ही दो आरोपियों को पॉलिटेक्निक रोड धर्मकांटा रायपुर के पास से गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन होने वाले बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया है.

14 अक्टूबर को कंपनी ने दर्ज कराई थी शिकायत: 14 अक्टूबर को विक्रम रावत निवासी गुडगांव ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सचिन शर्मा निवासी देहरादून अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर जगसनपाल फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED) कंपनी के नाम से नकली और मिलावटी दवाइयां बेच रहा है. पीड़ित की तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद पुलिस टीम को नामजद आरोपी सचिन शर्मा के संबंध में जानकारी मिली कि आरोपी की अमन विहार में एक मेडिकल शॉप है. पुलिस ने तुरंत दबिश देकर सचिन शर्मा और विकास कुमार को गिरफ्तार किया.

राज्यों में सप्लाई करते थे नकली दवाइयां : आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि मकदूमपुर गांव, हरिद्वार में उनकी एक फर्जी फैक्ट्री है और गोदावरी, रुड़की स्थित फ्लैट में उनके द्वारा नकली दवाइयां और उससे संबंधित सामग्री रखी हुई है. जिसे वह मूल दवाई की कंपनी के नाम से विभिन्न राज्यों में सप्लाई करते हैं. फर्म से जितना लाभ प्राप्त होता है, उसको दोनों बराबर-बराबर में बांटते थे. इसके बाद एसएस मेडिकोज की फर्म बनाने के लिए सचिन शर्मा ने अपने नाम पर ड्रग लाइसेंस लिया. साथ ही आरोपी फर्जी बिल अपने लैपटॉप पर एडिट करके तैयार करते थे.

हर साल करोड़ों का मुनाफा: देहरादून पुलिस ने बताया कि सचिन शर्मा और विकास जगसन पाल दोनों दवाइयों की कंपनी में काम करते थे. जिससे उन्हें दवाई बनाने की सारी जानकारी थी. कोरोना में दोनों की नौकरी छूट जाने के बाद से दोनों जगसनपाल फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के नाम पर नकली दवाइयां बनाने लगे. एक हफ्ते में दवाई की 10 पेटी यानी करीब 200 डिब्बे तैयार कर लेते थे, जिन्हें बेचकर आरोपियों ने करोड़ों रुपये कमाए और कई संपत्तियां अर्जित की. दोनों आरोपी एक साल में करीब तीन करोड़ रुपए की कमाई कर रहे थे.

फैक्ट्री से बरामद माल

1- INDOCAP एसआर कैप्सूल की 20 पेटी में रखे कुल 2500 डिब्बे (7,50,000 कैप्सूल)
2- नीले प्लास्टिक के 07 डिब्बों में रखे कुल 9,01,000 कैप्सूल
3- काली रंग के 11 प्लास्टिक की पन्नी में रखे 12,82,600 कैप्सूल
4- अलग-अलग बैंकों की 24 चैक बुक
5- INDOCAP एसआर खाली कैप्सूल बॉक्स के रैपर 3 हजार
6- खाली कैप्सूल 1 लाख
7- दवाई बनाने के लिए कच्चा माल 50 किलो
8- सीलिंग के लिए कंपनी के टेप रोल 107
9- कंपनी का प्रिंटेड फाइल कवर बड़े 15
10- कंपनी के गत्ते की खाली पेटी 50
11- नकली दवाईयों की टैक्स इनवाइस बिल 7
12- HP लैपटाप 1
13- मोबाइल फोन 7
14- रैंज रोवर और KIA गाड़ी

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अलग-अलग कंपनियों के बनाए थे फर्जी बिल: एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आरोपी विकास जगसन पाल के बाजार में संपर्क होने के कारण फर्जी जीएसटी बिल अलग-अलग कंपनियों के बनाए हुए थे और कई कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर दिया करते थे. अभी तक की जांच में 23 अकाउंट पता चले हैं, जिनसे लगातार ट्रांजेक्शन हो रहा था और 65 लाख रुपए को फ्रिज कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में देहरादून सहित अन्य राज्यों में नकली दवाइयां सप्लाई की गई हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जहां रेपर बन और जहां से कच्चा माल आ रहा था, वहां पर भी जांच की जा रही है.

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Last Updated : Oct 15, 2023, 7:32 PM IST
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