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मिसाल: छोटे से गांव से निकलकर मोनिका परिहार बनीं बॉल बैडमिंटन चैंपियन, विदेशों में लहराया तिरंगा

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Published : Feb 28, 2020, 3:12 PM IST

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ऐसी महिलाओं को सलाम कर रहा है जिन्होंने रूढ़िवादी सोच को दरकिनार कर सफलता की सीढ़ियां पार की हैं. इस सीरीज में हम आपको उत्तराखंड के साथ-साथ देशभर की उन महिलाओं की कहानियों से रूबरू करवा रहे हैं जिन्होंने अपने साहस और मेहनत से दुनिया के लिये एक 'मिसाल' कायम की है. एक ऐसी बेटी हैं मोनिका परिहार, जिन्होंने छोटे से गांव से निकलकर मलेशिया में अपने खेल का लोहा मनवाते हुए स्वर्ण पदक जीता है.

women's day misaal
मोनिका परिहार ने पेश की मिसाल

छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश): जब हौसले बुलंद हों तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं होता. ऐसे ही एक सपना छिंदवाड़ा के एक छोटे से गांव की बेटी मोनिका ने देखा और हौसले के दम पर साकार भी किया. हनोतिया गांव की रहने वाली मोनिका परिहार ने बॉल बैडमिंटन खेल में सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी हिंदुस्तान का झंडा बुलंद किया और अपने खेल के दम पर गोल्ड मेडल हासिल किया.

प्रेरणादायी है मोनिका परिहार की सफलता

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इंडो-मलेशिया बॉल बैडमिंटन में रही चैंपियन

मोनिका परिहार ने अपने देश में खेलते-खेलते मलेशिया में भी अपने सफलता के झंडे गाड़े हैं. 2018 में इंडो-मलेशिया बॉल बैडमिंटन टूर्नामेंट मलेशिया में वो विनर रहीं. मोनिका बताती हैं कि उनको खेल का शौक है इसलिए उन्होंने इसी को अपना करियर बनाया है. मोनिका अब छिंदवाड़ा के पीजी कॉलेज में कोच हैं, जो बच्चों को खेल के गुर सिखा रही हैं.

सरकार से उम्मीदें कि बेटियों को भी दें तवज्जो

मोनिका परिहार कहती हैं कि मध्य प्रदेश की पिछली शिवराज सरकार में घोषणा की गई थी कि खेल क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली बेटियों को वे पुलिस में नौकरी देंगे. मोनिका का सपना हे कि वो भी पुलिस में जाएं, लेकिन सरकार की घोषणा पर अमल नहीं हुआ, जिसकी वजह से वे प्राइवेट जॉब करने को मजबूर हैं.

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