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कोरोना के दौर में जब सब कुछ था ठप, उत्तराखंड के नेताओं की संपत्ति दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ी, पढ़ें रिपोर्ट

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Published : Aug 23, 2022, 4:45 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 3:33 PM IST

कोरोना महामारी के दौरान जहां एक ओर देश में गरीबों के सामने खाने पीने का संकट पैदा हो गया था, तो दूसरी तरफ माननीयों पर धन की वर्षा हो रही है. ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रही है, क्योंकि ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है.

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देहरादून: उत्तराखंड के लिए पिछले 5 साल कभी मंदी तो कभी कोरोना वायरस (corona virus) के साये के चलते बेहद परेशानी भरे रहे. साल 2020 के बाद कोरोना काल में (Corona period) प्रदेश ही नहीं दुनियाभर के काम धंधे चौपट हो गए, लेकिन इन हालात में भी उत्तराखंड के माननीयों की कमाई आसमान छूती रही. ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की (According to the ADR report) रिपोर्ट कुछ ऐसे ही आंकड़े पेश कर रही है. राज्य में एक-दो या तीन नहीं बल्कि ऐसे कई मंत्री और विधायक हैं. जिनकी संपत्ति पिछले 5 सालों में 100% से भी ज्यादा बढ़ी है.

उत्तराखंड में माननीयों के पास ऐसा जबरदस्त फॉर्मूला है, जो संपत्ति को 300 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद कर सकता है. जी हां प्रदेश में ऐसे मंत्री और विधायक हैं, जिन्होंने पिछले 5 सालों में अपनी संपत्ति को 100 प्रतिशत से लेकर 300 प्रतिशत तक बढ़ाने में हैरतअंगेज कामयाबी पाई है. देश में चुनावों और चुनाव लड़ने वाले नेताओं के रिकॉर्ड का अध्ययन करने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स संस्था (Association for Democratic Reforms) ने कुछ ऐसे ही आंकड़े पेश किए हैं.

उत्तराखंड के नेताओं की संपत्ति दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ी

चौंकाने वाली बात यह है कि देश दुनिया में जब सभी धंधे और कामकाज ठप चल रहे थे, उस दौरान भी मंत्री और विधायकों की संपत्ति दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ोतरी कर रही थी. रिपोर्ट बताती है कि अपनी संपत्ति में तेजी से बढ़ोतरी करने वाले केवल मंत्री ही नहीं थे. बल्कि विधायकों ने भी अपनी सैलरी, खेती और किराए के बिजनेस की बदौलत 5 सालों में खूब संपत्ति बटोरी.
पढ़ें-ADR Report: उत्तराखंड में 'खादी' दागदार, मौजूदा 31 प्रतिशत विधायकों का क्रिमिनल रिकॉर्ड

एडीआर के ये आंकड़े बेहद दिलचस्प है, इसमें 70 में से 16 मंत्री या विधायक ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 100% से ज्यादा बढ़ी है. इसमें अधिकतर विधायक एवं मंत्रियों ने अपनी इनकम का जरिया विधायक की सैलरी और पेंशन के साथ खेती और किराए के बिजनेस को बताया है. इसी के जरिए यह मंत्री और विधायक लाखों रुपए सालाना संपत्ति बढ़ाने की जानकारी निर्वाचन और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दे रहे हैं.

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मंदी में भी बढ़ी सैकड़ों प्रतिशत संपत्ति

बड़ी बात यह है कि कोरोना काल के दौरान भी इन माननीयों की संपत्ति बढ़ी है. सरकार में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास जिनकी संपत्ति में 151% की बढ़ोतरी दर्शा गई है. उनसे जब इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने राजनीति में पारदर्शिता की जरूरत बताई और चुनाव के दौरान बढ़ रहे खर्चे का जिक्र करके मामले में सफाई भी दे दी.

  • 360 प्रतिशत तक बढ़ी मंत्रियों की संपत्ति: कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की संपत्ति में 306% की बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई. रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 65,96,864 रुपए की संपत्ति दिखाने वाले मंत्री जी ने 2022 में 26763303 की संपत्ति दर्शाई.
  • भाजपा विधायक बिशन सिंह की संपत्ति में भी 234% की बढ़ोतरी बताई गई, 2017 में 7869547 की कुल संपत्ति को 2022 में 26268231 दिखाया गया.
  • विधायक प्रदीप बत्रा की संपत्ति में 216% की बढ़ोतरी दिखाई गई, 2017 में 38120898 की संपत्ति थी जो 2022 में बढ़कर 120650465 दिखाई गई.
  • भाजपा विधायक विनोद कंडारी की संपत्ति में 205% की बढ़ोतरी हुई, 2017 में 5291245 की संपत्ति वाले विधायक की 2022 में 16141372 की संपत्ति हो गई.

यह बात भी सच है कि जिस तरह से चुनावी खर्चों में नेता पानी की तरह पैसा बहाते हैं, उसका असर चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. चुनाव जैसे-जैसे महंगा हो रहा है जनप्रतिनिधियों से चुनाव जीतने के बाद ईमानदारी की उम्मीद करना भी उतना ही बेईमानी लगता है. हालांकि निर्वाचन की तरफ से चुनाव के दौरान खर्च होने वाली रकम की सीमा तय की गई है.

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माननीयों का धंधा कभी भी नहीं पड़ता मंदा

लेकिन हकीकत यह है कि इस खर्चे से कई गुना ज्यादा रकम जनप्रतिनिधि चुनाव पर लगा देते हैं और जाहिर है कि घर से या कर्ज लेकर रकम लगाने के बाद जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर इस रकम को हासिल भी करना चाहेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने बयानों में कुछ ऐसी ही बातों को सामने रख रहे हैं.
पढ़ें- UKSSSC पेपर लीक मामले पर हरीश रावत और यशपाल आर्य हमलावर, बताया कई और हाकम सिंह

वैसे तो माननीय अपनी संपत्ति में जिस तरह बढ़ोतरी कर रहे हैं, उसका पूरा हिसाब उनकी तरफ से इनकम टैक्स को दिया जा रहा होगा. लेकिन सवाल तो तब उठता है, जब जनप्रतिनिधियों की संपत्ति हर बार लाखों में बढ़ जाती है, हालांकि इसके पीछे हर जनप्रतिनिधि अपने बिजनेस और कारोबार को वजह या जरिया बता सकते हैं. लेकिन जनप्रतिनिधियों को जनता को भी वह फॉर्मूला बताना चाहिए जिसमें मंदी और महामारी के दौरान भी मुनाफा कमाने का राज छिपा हुआ है.

Last Updated : Aug 24, 2022, 3:33 PM IST
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