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सुगंध फसलों से बढ़ेगी किसानों की आजीविका, जिलों को भेजे गए तीन लाख पौधे

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Published : Jul 29, 2023, 8:05 PM IST

aromatic crops in Dehradun देहरादून में आज कृषि मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के अधिकतर जिलों में सुगंध फसलों के तीन लाख पौधों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है. इसी बीच कृषि मंत्री ने कहा कि सुगंध फसलों की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. साथ ही उत्तराखंड में इस क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल कर सकता है.

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देहरादून: उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जिलों में कृषि फसलों को जंगली जानवर बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. जिसके चलते तमाम किसान कृषि छोड़कर अन्य व्यवसाय या व्यापार में जुड़ रहे हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार दालचीनी, तिमूर और लेमनग्रास के कृषि को बढ़ावा देने के लिए मिशन के रूप में काम कर रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के तहत कृषि मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के तमाम जिलों में सुगंध फसलों के तीन लाख पौधों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

चंपावत और नैनीताल जिले में शुरू होगी दालचीनी की फसल: मिशन "दालचीनी, तिमूर और लेमनग्रास" के पहले चरण के तहत 3 लाख पौधों को जिलों में भेजा गया है. हालांकि, मिशन दालचीनी के पहले चरण के तहत चंपावत और नैनीताल जिले में इसकी शुरूआत, कृषि वानिकी के रूप की जाएगी. साथ ही इस फसल के प्रचार प्रसार, तकनीकी प्रशिक्षण, प्रसंस्करण और बाजार के लिए चंपावत जिले के खतेडा में “सिनामन सेटेलाइट सेंटर" भी विकसित किया जाएगा. जिससे किसानों को इसकी कृषि करने में सहायता मिलेगी.

सुगंध फसलों की खेती कर आय बढ़ा सकते हैं किसान: कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार सुगंध फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है. जिसका किसान सीधे फायदा उठा सकते हैं. दरअसल, पारंपरिक फसलों को जंगली जानवर काफी नुकसान पहुंचाते रहे हैं. जिसके चलते किसानों ने तमाम कृषि भूमि पर खेती करना छोड़ दिया है. ऐसे में किसानों ने जो कृषि भूमि छोड़ दी है. उन कृषि भूमि पर सुगंध फसलों की खेती शुरू कर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उत्तराखंड राज्य दालचीनी के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

उत्तराखंड में दालचीनी की बेची जा रहीं पत्तियां: कृषि मंत्री ने कहा कि दक्षिण भारत में दालचीनी का काफी उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में किसान इसकी केवल पत्तियों को ही बेच रहे हैं. हालांकि कैंप के वैज्ञानिकों ने सिनमन की एक नई लाइन, जिसके छाल की गुणवत्ता दालचीनी जैसी ही है उसकी खेती कराने जा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड दालचीनी के नाम से अपनी एक अलग पहचान बना सकेगा. उन्होंने कहा कि मिशन दालचीनी और मिशन तिमूर के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब 200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इनकी खेती का लक्ष्य रखा गया है.

तिमूर सेटेलाइट सेंटर को किया जाएगा विकसित: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाले तिमूर की मांग भी बढ़ती जा रही है. जिसको देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम करने के लिए योजना तैयार की है. जिसके तहत वर्तमान में तिमूर के बीज को नेपाल से उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि उत्तराखंड की जलवायु, तिमूर की खेती के लिए काफी अनुकूल है. लिहाजा, पहले चरण के तहत पिथौरागढ जिले में इसकी रोपाई की जाएगी. इसके बाद प्रदेश भर में तिमूर की खेती के लिए अनूकूल जलवायु वाले क्षेत्रों में इस फसल की खेती की जाएगी. साथ ही पिथौरागढ़ में तिमूर सेटेलाइट सेंटर को विकसित किया जाएगा.

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250 हेक्टेयर भूमि में लैमनग्रास की खेती करने का लक्ष्य: गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार किसानों में लोकप्रिय फसल लैमनग्रास को भी बड़े पैमानें पर प्रोसाहित कर रही है. हालांकि, इस फसल की खेती बंजर पड़ी है. कृषि भूमि में भी आसानी से की जा सकती है. सरकार ने इस साल 250 हेक्टेयर भूमि में लैमनग्रास की खेती करने का लक्ष्य रखा है, जिसके तहत किसानों को निशुल्क पौध योजना और मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा.

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