चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर के पास पटियालाधार में नर्सिंग कॉलेज के आस-पास देर सांय चीड़ के जंगल में अचानक आग लग गई. आग ने जब आवासीय बस्ती का रूख किया तो स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई. सूचना पर मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया. जिसके बाद आस-पास क्षेत्र में रह रहे आवसीय बस्ती के लोगों ने राहत की सांस ली.
इस वर्ष फरवरी माह में चमोली के जंगल धू-धू कर जलने लगे हैं. बीते दिनों जोशीमठ में नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में हाथी पर्वत के आसपास आग लगने के बाद अब बदरीनाथ वन प्रभाग क्षेत्र अन्तर्गत कर्णप्रयाग के जंगल जल रहे हैं. आज भी चमोली के ज़िला मुख्यालय गोपेश्वर स्थित पठीयालधार में नर्सिंग कॉलेज के पास चीड़ के जंगल में अचानक आग लग गई, जिसने कुछ ही देर में विकराल रूप ले लिया.
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आग को बढ़ता देख स्थानीय लोगों ने वन विभाग को सूचित किया. जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारी दमकल कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में जुट गए. दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे का कहना है कि जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए चमोली में सभी वन प्रभागों के द्वारा 106 क्रू स्टेशन तैयार किए गए हैं. इसके साथ ही सभी क्रू स्टेशनों पर फायर वाचर की तैनाती भी सुनिश्चित कर दी गई है.
उन्होंने कहा कि जंगलों आग लगने की घटनाएं कम से कम हो, इसके लिए कर्मचारियों के साथ कई दौर की बैठकें भी कर दी गई हैं. बताया कि चमोली जनपद में 506094.473 हेक्टेयर वन क्षेत्र है, जिसमें 161547.25 हेक्टेयर संवेदनशील और 39736.62 हेक्टेयर अति संवेदनशील वन क्षेत्र है. वर्ष 2022 में वनाग्नि की 147 घटनाएं हुई थी, जिसमें 190.75 हेक्टेयर जंगल वनाग्नि की भेंट चढ़ गया था. प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश दुबे ने कहा कि कहीं भी वनाग्नि की घटनाओं की जानकारी प्राप्त होने पर आग बुझाने का काम शुरु कर दिया जाएगा. इसके साथ ही वनों में आग लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.