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डीडीए के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

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Published : Oct 7, 2019, 1:11 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 8:46 AM IST

बागेश्वर में डीडीए के खिलाफ जिला विकास प्राधिकरण हटाओ मोर्चा के सदस्यों ने एक बैठक की. बैठक में मोर्चा के सदस्यों ने सरकार पर कई आरोप लगाए. इस दौरान डीडीए खत्म न करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

डीडीए के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा.

बागेश्वर: जिले में विकास प्राधिकरण हटाने को लेकर रविवार को एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में विकास प्राधिकरण को हटाने के लिए चलाये जा रहे आंदोलन को लक्ष्य तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया. आंदोलनकारियों ने कहा कि डीडीए की आड़ में आम जनता का उत्पीड़न किया जा रहा. साथ ही बैठक में मोर्चे के सदस्यों ने कहा कि सरकारी कार्यों के निर्माण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ है. बैठक में आंदोलकारियों ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द डीडीए को नहीं हटाया गया तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे. जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

डीडीए के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा.

बैठक में मोर्चा अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने कहा कि महायोजना और डीडीए के मानक अव्यवहारिक हैं. सरकार को इस व्यवस्था को भंग कर देना चाहिए. विधायक चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित समिति से भी जनमत को सरकार तक पहुंचाने की अपील की. साथ ही कहा कि निजी और सरकारी निमार्ण कार्यों में सभी सरकारी नियम समान रूप से लागू होने चाहिए. लेकिन निजी और सरकारी भवन निर्माण में डीडीए के मानकों का क्रियान्वयन करने में भेदभाव किया जा रहा है. विभागीय अधिकारी नियमों का पालन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं.

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मोर्चा के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि बागेश्वर में विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को आम जनता पर जबरन थोप दिया गया है. जिसके चलते आम आदमी अपने घर बनाने के सपने को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. उन्होंने कहा कि बड़े- बड़े सरकारी भवनों का निर्माणकार्य विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर धड़ल्ले से हो रहा हैं. जिस पर किसी की नजर नहीं है. प्रमोद मेहता ने कहा कि जिला प्रशासन आम आदमी को प्राधिकरण के नियमों का हवाला दे कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रही है.

प्रमोद मेहता ने ने बताया कि ईवीएम/वीवीपैट कलेक्शन सेंटर, विकास भवन में कार पार्किंग, बागनाथ मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण, नदीगांव के निर्माणाधीन रैन बसेरे, 132 केवी सब स्टेशन, हाइडिल परिसर में हुए निर्माण, डायट भवन, जीआईसी सभागार, ताइक्वांडो हॉल बनने के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों से औपचारिकता पूरी करवाने को कहा जा रहा है. जबकि आम लोगों को आवेदन करने के बाद चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जनता जन आंदोलनों के माध्यम से सरकार को इसका मुहतोड़ जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे हैं. जिसके लिए सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि मोर्चा के माध्यम से जनता यही मांग करती है कि पर्वतीय क्षेत्र से जिला विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को जल्द से जल्द हटाया जाए.

बता दें कि सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत 15 दिन में नक्शा पास न होने पर नगर क्षेत्र के दो लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इसके बावजूद सरकार की आंख नहीं खुल सकी है. स्थानीय लोग डीडीए का लगातार विरोध कर रहे हैं. इसके लिए वार्ड स्तर पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है. डीडीए के विरोध में जल्द ही मंडल स्तरीय महारैली भी निकाली जाएगी. साथ ही मोर्चा के सदस्यों ने जल्द ही डीडीए खत्म न करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

Intro:बागेश्वर।

एंकर- जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण व महायोजना बागेश्वर के नियमों की आड़ में आम जनता के हो रहे उत्पीड़न को लेकर और वहीं सरकारी निर्माण कार्यों में उन्हीं नियमों के हो रहे उल्लंघन का खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है। जिसको लेकर प्रधिकरण हटाओ मोर्चा ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। जिसके लिए मोर्चा के सदस्यों ने एक बैठक आयोजित की।

वीओ- प्राधिकरण हटाओ मोर्चा ने बैठक आयोजित कर बताया कि शासन और प्रशासन पहाड़ की जनता पर विकास प्राधिकरण और महायोजना को जबरन थोप रहे हैं। विकास प्राधिकरण के जो नियम प्लेन्स की भगौलिक परिस्थिति को ले कर बनाए गए थे वही नियम पहाड़ी क्षेत्र में भी लागू कर दिए गए हैं। जबकि यहां की भगौलिक परिस्थिति विकास प्राधिकरण के नियमों पर खरी नहीं उतरती। मोर्चा के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को आम जनता पर जबरन थोप दिया गया है। जिसके चलते आम आदमी जिसने जमीन खरीद कर अपना एक छोटा सा घर बनाने का सपना देखा था वह सपना पूरा नहीं कर पा रहा है। इसके ठीक विपरीत बड़े- बड़े सरकारी भवनों का निर्माण कार्य विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर धड़ल्ले से हो रहा है। जिला प्रशासन आम आदमी को प्राधिकरण के नियमों का हवाला दे कर ध्वस्तीकरण और चलानी कार्रवाई कर प्रत्याड़ित कर रही है इसके ठीक उलट सरकारी निर्माण कार्यों की ओर प्रशासन आंख मूंदे बैठी है। उन्होंने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी से साफ पता चल रहा है कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा सरकारी निर्माण कार्यों में उन्हीं नियमों का पालन करने में घोर लापरवाही बरती गई है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार से पता चला है कि सरकारी विभागों द्वारा निर्मित व निर्माणाधीन भवनों के लिए न तो कार्यदायी संस्थाओं द्वारा स्वीकृति के लिए आवेदन किया गया और ना ही इनसे जुड़ी कोई सूचना जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण कार्यालय के पास है। वहीं दो करोड़ की लागत से ईवीएम व वीवी पैड भंडारण के लिये बनाये जा रहे वेयर हाउस का निर्माण कार्य जिस भूमि पर हो रहा है ना तो वह भूमि वन भूमि से कार्यालयी भू उपयोग के लिए परिवर्तित की गई और ना ही निर्माण की स्वीकृति मिली। ऐसे ही करीब एक दर्जन मामलों का खुलासा आरटीआई में हुआ है जिनमे सरकारी निर्माण कार्य प्रशासन की नाक के नीचे विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोर्चा प्रशासन व शासन पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है। जन आंदोलनों के माध्यम से जनता मुहतोड़ जवाब देगी। वहीं उन्होंने कहा कि मामले को ले कर प्राधिकरण ने हाइकोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं। जिसके लिए सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोर्चा के माध्यम से जनता यही मांग करती है कि पर्वतीय क्षेत्र से जिला विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को हटाया जाए। इन नियमों के चलते उत्पीड़न के शिकार हो कर आत्महत्या को मजबूर हुए देवकी नन्दन भट्ट व कल्याण सिंह रावत के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए साथ ही आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार व अपने दायित्यों का निर्वहन करने में पक्षपात कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाये।
बाईट 01- प्रमोद मेहता, अध्यक्ष प्राधिकरण हटाओ मोर्चा बागेश्वर।Body:वीओ- प्राधिकरण हटाओ मोर्चा ने बैठक आयोजित कर बताया कि शासन और प्रशासन पहाड़ की जनता पर विकास प्राधिकरण और महायोजना को जबरन थोप रहे हैं। विकास प्राधिकरण के जो नियम प्लेन्स की भगौलिक परिस्थिति को ले कर बनाए गए थे वही नियम पहाड़ी क्षेत्र में भी लागू कर दिए गए हैं। जबकि यहां की भगौलिक परिस्थिति विकास प्राधिकरण के नियमों पर खरी नहीं उतरती। मोर्चा के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को आम जनता पर जबरन थोप दिया गया है। जिसके चलते आम आदमी जिसने जमीन खरीद कर अपना एक छोटा सा घर बनाने का सपना देखा था वह सपना पूरा नहीं कर पा रहा है। इसके ठीक विपरीत बड़े- बड़े सरकारी भवनों का निर्माण कार्य विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर धड़ल्ले से हो रहा है। जिला प्रशासन आम आदमी को प्राधिकरण के नियमों का हवाला दे कर ध्वस्तीकरण और चलानी कार्रवाई कर प्रत्याड़ित कर रही है इसके ठीक उलट सरकारी निर्माण कार्यों की ओर प्रशासन आंख मूंदे बैठी है। उन्होंने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी से साफ पता चल रहा है कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा सरकारी निर्माण कार्यों में उन्हीं नियमों का पालन करने में घोर लापरवाही बरती गई है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार से पता चला है कि सरकारी विभागों द्वारा निर्मित व निर्माणाधीन भवनों के लिए न तो कार्यदायी संस्थाओं द्वारा स्वीकृति के लिए आवेदन किया गया और ना ही इनसे जुड़ी कोई सूचना जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण कार्यालय के पास है। वहीं दो करोड़ की लागत से ईवीएम व वीवी पैड भंडारण के लिये बनाये जा रहे वेयर हाउस का निर्माण कार्य जिस भूमि पर हो रहा है ना तो वह भूमि वन भूमि से कार्यालयी भू उपयोग के लिए परिवर्तित की गई और ना ही निर्माण की स्वीकृति मिली। ऐसे ही करीब एक दर्जन मामलों का खुलासा आरटीआई में हुआ है जिनमे सरकारी निर्माण कार्य प्रशासन की नाक के नीचे विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोर्चा प्रशासन व शासन पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है। जन आंदोलनों के माध्यम से जनता मुहतोड़ जवाब देगी। वहीं उन्होंने कहा कि मामले को ले कर प्राधिकरण ने हाइकोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं। जिसके लिए सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोर्चा के माध्यम से जनता यही मांग करती है कि पर्वतीय क्षेत्र से जिला विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को हटाया जाए। इन नियमों के चलते उत्पीड़न के शिकार हो कर आत्महत्या को मजबूर हुए देवकी नन्दन भट्ट व कल्याण सिंह रावत के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए साथ ही आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार व अपने दायित्यों का निर्वहन करने में पक्षपात कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाये।
बाईट 01- प्रमोद मेहता, अध्यक्ष प्राधिकरण हटाओ मोर्चा बागेश्वर।Conclusion:
Last Updated : Oct 7, 2019, 8:46 AM IST
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