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अल्मोड़ा में सूख रहे पारंपरिक नौले, बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण, अब इंद्र देव का इंतजार

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Published : Jul 2, 2019, 10:43 AM IST

अल्मोड़ा में समय से बारिश न होने के कारण लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों के लिए एक तरफ जहां पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई है. वहीं, किसान भी धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं.

अल्मोड़ा में लोगों के सामने पानी का संकट

अल्मोड़ा: प्रदेशभर में मानसून की दस्तक के बाद जहां लोगों ने राहत की सांस ली है, वहीं अल्मोड़ा जिले में समय से बारिश न होने से सैकड़ों गांवों में पानी का संकट बरकरार है. द्वाराहाट क्षेत्र में धान की रोपाई का काम शुरू करने के लिए ग्रामीणों को अब भी इंद्र देव का इंतजार है.

अल्मोड़ा में लोगों के सामने पानी का संकट


आषाढ़ का महीना शुरू होते ही धान रोपाई का काम शुरू हो जाता है. लेकिन मानसून में हो रही देरी के कारण आधा महीना बीत जाने के बाद भी धान रोपाई का काम शुरू नहीं हो पाया है. जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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जिले के स्याल्दे, सल्ट, द्वाराहाट क्षेत्र के कई गांवों के लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं. कई गांवों में मवेशियों के लिए पानी जुटाने में भी दिक्कतें हो रही है. बिजेपुर, भौरा, डढोली आदि गांवों पारंपरिक नौले, धारों का पानी लगातार घट रहा है.


जहां एक तरफ लोग अधिक बारिश होने से बाढ़ जैसे हालातों का सामना कर रहे हैं. वहीं, अल्मोड़ा के इन इलाकों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. लोगों के लिए हैंडपंप ही एक मात्र सहारा है.

Intro:अल्मोड़ा जिले के सैकड़ो गांवों में अभी भी पानी को लेकर त्राहिमाम मची हुई है। जिले के स्याल्दे, सल्ट, द्वाराहाट क्षेत्र के कई गांवों में लोगो को पीने का पानी तक मयस्सर नही हो पा रहा है। मानसून में हो रही देरी के कारण द्वाराहाट क्षेत्र में धान की रोपाई का कार्य शुरू नही हो सका है। यहाँ लोग रोपाई को लेकर बारिश के इंतजार में लगे हैं।

Body:द्वाराहाट के कैड़ारौ घाटी की उपजाऊ भूमि धान की रोपाई का इंतजार कर रही हैं। आषाड़ का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक रोपाई का कार्य शुरू नही हो पाया। जबकि पहले आषाढ़ शुरू होते ही यहाँ रूपायी शुरू हो जाती थी। बारिश नहीं होने से ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि कई गांवों में मवेशियों के लिए पानी जुटाने में भी दिक्कतें हो रही हैं। बिजेेपुर, भौरा, डढोली आदि गांवों के ग्रामीण हैंडपंपों पर निर्भर होकर रहे गए हैं। बिंता, बिजेपुर, भौरा, डढोली सहित तमाम स्थानों पर पानी के लिए ग्रामीणों के हलक सूखे हुए हैं। बारिश नहीं होने के कारण लोग परेशान हैं। वही द्वाराहाट के ही बिंता क्षेत्र के उपजाऊ मानी जाने वाले खेत भी धान की रोपाई का इंतजार कर रहे हैं। क्षेत्र में सूखे के हालात बने हुए हैं। पारंपरिक नौले, धारों का पानी निरंतर घट रहा है। एकमात्र हैंडपंपों के सहारे लोग किसी तरह से काम चला रहे हैं।
वही स्याल्दे तहसील के मेहरगांव और इससे जुड़े सात गांवों में लोग पानी के लिए परेशान हैं। रानीखेत के ताड़ीखेत, पाखुड़ा गाड़ी आदि गांवों में पानी की समस्या जस की तस है।
Conclusion:
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