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जीएसपी का दर्जा छिनने के बाद, नए बाजारों और सब्सिडी से घटेगा व्यापार घाटा

ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि जीएसपी के दर्जा को 5 जून, 2019 से छीन लिया जाएगा. ये गैर-पारस्परिक और गैर-भेदभावपूर्ण निर्यात लाभ विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को दिए जाते हैं.

जीएसपी का दर्जा छिनने के बाद, नए बाजारों और सब्सिडी से घटेगा व्यापार घाटा
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Published : Jun 5, 2019, 10:30 PM IST

नई दिल्ली/मुंबई: अमेरिका द्वारा भारत के जीएसपी का दर्जा समाप्त करने के बाद अब नए निर्यात बाजार, वित्तीय सहायता और कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण भारत पर व्यापार घाटे का प्रभाव कम पड़ने की उम्मीद है.

ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि जीएसपी के दर्जा को 5 जून, 2019 से छीन लिया जाएगा. ये गैर-पारस्परिक और गैर-भेदभावपूर्ण निर्यात लाभ विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को दिए जाते हैं.

उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस दर्जे से भारत को मिलने वाला लाभ महज 20 करोड़ डॉलर ही है. इसलिए इसके छिनने से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हालांकि यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, जहां विकास दर में कमी है, खपत घटी हुई है और प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है.

ये भी पढ़ें- इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग के लिए जेएलआर-बीएमडब्ल्यू का गठजोड़

नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल के दौरान देश का व्यापार घाटा 15.33 अरब डॉलर रहा, जोकि एक साल पहले के इसी महीने में 13.72 अरब डॉलर था.

इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (फिच समूह) के निदेशक (सार्वजनिक वित्त) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "जीएसपी लाभ के छिनने से निर्यात एक बार प्रभावित होगा और इसका असर समूचे व्यापार घाटा पर होगा."

उन्होंने कहा, "हालांकि इसके बाद किसी निर्यात सब्सिडी जैसी योजनाओं पर भरोसा करने के बजाए निर्यातकों को नए बाजार ढूंढ़ने पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका शामिल हैं. हमें विनिर्माण और लागत संरचना में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है."

हालांकि ट्रेड प्रमोशन कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मोहित सिंगला का कहना है, "नुकसान काफी कम होगा. इसके अलावा अमेरिका को जो उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, उनमें फार्मास्यूटिकल्स, प्राकृतिक या कृत्रिम मोती, मशीनें और मैकेनिकल एपलाएंसेज समेत अन्य शामिल हैं, जो भारत द्वारा काफी प्रतिस्पर्धी कीमत पर भेजे जाते हैं. अमेरिका के लिए इनकी जगह दूसरे उत्पाद मंगाना काफी मुश्किल होगा."

उनका कहना है, "इसलिए भारत पर इसका काफी कम असर पड़ेगा, और जो थोड़ा बहुत नुकसान होगा, उसे दूसरे देशों को आपूर्ति कर भरपाई की जा सकती है."

जीएसपी के तहत भारत ने अमेरिका को 2018 में मुख्यत: मोटर वाहन पुर्जे, फेरो अलॉय, कीमती धातु के आभूषण, बिल्डिंग स्टोन, इंसुलेटेड केबल्स और वायर्स के निर्यात किए थे.

भारत द्वारा अमेरिका को कुल 36 अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है, जिसमें जीएसपी दर्जा छीनने से केवल 5.7 अरब डॉलर का निर्यात ही प्रभावित होगा.

नई दिल्ली/मुंबई: अमेरिका द्वारा भारत के जीएसपी का दर्जा समाप्त करने के बाद अब नए निर्यात बाजार, वित्तीय सहायता और कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण भारत पर व्यापार घाटे का प्रभाव कम पड़ने की उम्मीद है.

ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि जीएसपी के दर्जा को 5 जून, 2019 से छीन लिया जाएगा. ये गैर-पारस्परिक और गैर-भेदभावपूर्ण निर्यात लाभ विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को दिए जाते हैं.

उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस दर्जे से भारत को मिलने वाला लाभ महज 20 करोड़ डॉलर ही है. इसलिए इसके छिनने से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हालांकि यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, जहां विकास दर में कमी है, खपत घटी हुई है और प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है.

ये भी पढ़ें- इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग के लिए जेएलआर-बीएमडब्ल्यू का गठजोड़

नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल के दौरान देश का व्यापार घाटा 15.33 अरब डॉलर रहा, जोकि एक साल पहले के इसी महीने में 13.72 अरब डॉलर था.

इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (फिच समूह) के निदेशक (सार्वजनिक वित्त) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "जीएसपी लाभ के छिनने से निर्यात एक बार प्रभावित होगा और इसका असर समूचे व्यापार घाटा पर होगा."

उन्होंने कहा, "हालांकि इसके बाद किसी निर्यात सब्सिडी जैसी योजनाओं पर भरोसा करने के बजाए निर्यातकों को नए बाजार ढूंढ़ने पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका शामिल हैं. हमें विनिर्माण और लागत संरचना में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है."

हालांकि ट्रेड प्रमोशन कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मोहित सिंगला का कहना है, "नुकसान काफी कम होगा. इसके अलावा अमेरिका को जो उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, उनमें फार्मास्यूटिकल्स, प्राकृतिक या कृत्रिम मोती, मशीनें और मैकेनिकल एपलाएंसेज समेत अन्य शामिल हैं, जो भारत द्वारा काफी प्रतिस्पर्धी कीमत पर भेजे जाते हैं. अमेरिका के लिए इनकी जगह दूसरे उत्पाद मंगाना काफी मुश्किल होगा."

उनका कहना है, "इसलिए भारत पर इसका काफी कम असर पड़ेगा, और जो थोड़ा बहुत नुकसान होगा, उसे दूसरे देशों को आपूर्ति कर भरपाई की जा सकती है."

जीएसपी के तहत भारत ने अमेरिका को 2018 में मुख्यत: मोटर वाहन पुर्जे, फेरो अलॉय, कीमती धातु के आभूषण, बिल्डिंग स्टोन, इंसुलेटेड केबल्स और वायर्स के निर्यात किए थे.

भारत द्वारा अमेरिका को कुल 36 अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है, जिसमें जीएसपी दर्जा छीनने से केवल 5.7 अरब डॉलर का निर्यात ही प्रभावित होगा.

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जीएसपी का दर्जा छिनने के बाद, नए बाजारों और सब्सिडी से घटेगा व्यापार घाटा

नई दिल्ली/मुंबई: अमेरिका द्वारा भारत के जीएसपी का दर्जा समाप्त करने के बाद अब नए निर्यात बाजार, वित्तीय सहायता और कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण भारत पर व्यापार घाटे का प्रभाव कम पड़ने की उम्मीद है.

ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि जीएसपी के दर्जा को 5 जून, 2019 से छीन लिया जाएगा. ये गैर-पारस्परिक और गैर-भेदभावपूर्ण निर्यात लाभ विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को दिए जाते हैं.

उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस दर्जे से भारत को मिलने वाला लाभ महज 20 करोड़ डॉलर ही है. इसलिए इसके छिनने से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हालांकि यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, जहां विकास दर में कमी है, खपत घटी हुई है और प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है. 

नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल के दौरान देश का व्यापार घाटा 15.33 अरब डॉलर रहा, जोकि एक साल पहले के इसी महीने में 13.72 अरब डॉलर था. 

इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (फिच समूह) के निदेशक (सार्वजनिक वित्त) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "जीएसपी लाभ के छिनने से निर्यात एक बार प्रभावित होगा और इसका असर समूचे व्यापार घाटा पर होगा."

उन्होंने कहा, "हालांकि इसके बाद किसी निर्यात सब्सिडी जैसी योजनाओं पर भरोसा करने के बजाए निर्यातकों को नए बाजार ढूंढ़ने पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका शामिल हैं. हमें विनिर्माण और लागत संरचना में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है."

हालांकि ट्रेड प्रमोशन कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मोहित सिंगला का कहना है, "नुकसान काफी कम होगा. इसके अलावा अमेरिका को जो उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, उनमें फार्मास्यूटिकल्स, प्राकृतिक या कृत्रिम मोती, मशीनें और मैकेनिकल एपलाएंसेज समेत अन्य शामिल हैं, जो भारत द्वारा काफी प्रतिस्पर्धी कीमत पर भेजे जाते हैं. अमेरिका के लिए इनकी जगह दूसरे उत्पाद मंगाना काफी मुश्किल होगा."

उनका कहना है, "इसलिए भारत पर इसका काफी कम असर पड़ेगा, और जो थोड़ा बहुत नुकसान होगा, उसे दूसरे देशों को आपूर्ति कर भरपाई की जा सकती है."

जीएसपी के तहत भारत ने अमेरिका को 2018 में मुख्यत: मोटर वाहन पुर्जे, फेरो अलॉय, कीमती धातु के आभूषण, बिल्डिंग स्टोन, इंसुलेटेड केबल्स और वायर्स के निर्यात किए थे. 

भारत द्वारा अमेरिका को कुल 36 अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है, जिसमें जीएसपी दर्जा छीनने से केवल 5.7 अरब डॉलर का निर्यात ही प्रभावित होगा. 


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