ETV Bharat / bharat

मुश्किल में मददगार होती है हेल्थ इंश्योरेंस की टॉप-अप और सुपर टॉप-अप पॉलिसी

author img

By

Published : Dec 31, 2021, 12:30 PM IST

टॉप-अप और सुपर टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान हमें हेल्थ पॉलिसी में अतिरिक्त मेडिकल कवरेज प्रदान करते हैं. ये टॉप-अप पॉलिसी हेल्थ इंश्योरेंस के विस्तार की तरह हैं, जिसका उपयोग हम तब कर सकते हैं जब हेल्थ पॉलिसी में उपलब्ध धनराशि का इलाज के लिए क्लेम कर चुके होते हैं.

health insurance
health insurance

हैदराबाद: 'स्वास्थ्य ही धन है', इसका एहसास हमें बीमार पड़ने के बाद ही होता है. जो लोग अधिक पैसा खर्च कर सकते हैं, वे कॉरपोरेट अस्पतालों में इलाज कराकर ठीक हो जाएंगे. लेकिन, अगर हमारे पास कोई बचत नहीं है और कोई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं है, तो हम हम मुसीबत में पड़ सकते हैं. अगर आपके पास पहले से कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है तो आप बड़ी बीमारियों में इलाज में होने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए टॉप-अप और सुपर टॉप-अप प्लान जरूर लें.

पहले कोविड और अब ओमीक्रोन का प्रकोप बढ़ रहा है. इससे सावधान रहना जरूरी है. कई लोगों की हेल्थ पॉलिसी में कोविड कवर नहीं है. चूंकि पुरानी पॉलिसी में बदलाव करना संभव नहीं है, इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में टॉप-अप वाली पॉलिसी का चुनना आवश्यक है. टॉप-अप पॉलिसी लगातार बढ़ते मेडिकल खर्चों के वित्तीय बोझ से बचने का एक तरीका है. ये टॉप अप प्लान हमें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत अतिरिक्त खर्च को पूरा करने में मदद करते हैं. ऐसे प्लान फैमिली फ्लोटर और पर्सनल पॉलिसी सभी के लिए उपलब्ध हैं. हम उन्हें टॉप-अप कर सकते हैं.

संभावित मेडिकल खर्चों के लिए नई पॉलिसी खरीदने से अच्छा है कि पुरानी पॉलिसी के लिए टॉप अप प्लान लें. इस प्रीमियम में 30 से 40 प्रतिशत की बच हो सकती है. टॉप-अप पॉलिसी के साथ आप ओरिजिनल पॉलिसी का लाभ भी उठा सकते हैं. यह पुरानी पॉलिसी में दी गई खर्च लिमिट को भी बढ़ाती है. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप 10 लाख रुपये की टॉप-अप पॉलिसी लेते हैं. इसके लिए अनिवार्य छूट 5 लाख रुपये तय की गई है. मान लें कि किसी बीमारी के इलाज में जब हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता है तो 5 लाख से ज्यादा का बिल आता है. टॉप-अप पॉलिसी उस अतिरिक्त राशि का ध्यान रखेगी.

अगर हमारे पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं है तो क्या एक निश्चित राशि की छूट के साथ टॉप-अप पॉलिसी लेना संभव है? यहां याद रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि टॉप-अप पॉलिसी लेना पूर्ण स्वास्थ्य बीमा का विकल्प नहीं है. सुपर टॉप-अप पॉलिसी थोड़ी अलग हैं. वह अधिक रकम तभी देते हैं, जब इलाज के चक्कर में खर्च एक वर्ष के लिए तय की गई रकम से अधिक हो. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की ओरिजिनल पॉलिसी 5 लाख रुपये की है . पहली बार अस्पताल में भर्ती होने के दौरान आपने 2 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं. दूसरी बार अस्पताल में एडमिट होने के बाद 4 लाख रुपये का बिल आ जाता है. ऐसी स्थिति में साल में खर्च की गई रकम 5 लाख रुपये की सीमा को पार कर जाता है. ऐसे में सुपर टॉप-अप पॉलिसी एक लाख रुपये अतिरिक्त खर्च का भुगतान करती है.

इन लाभ को समझने के लिए हमें खरीदी गई टॉप-अप पॉलिसी या सुपर टॉप-अप पॉलिसी के नियमों के बारे में जानना होगा. हमें यह जानकारी लेनी चाहिए कि टॉप-अप पॉलिसी या सुपर टॉप-अप पॉलिसी के अंतर्गत क्या लागू होता है और क्या नहीं. पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड क्या है? अस्पताल में भर्ती होने से पहले इलाज की लागत को ध्यान में रखना जरूरी है. प्रीमियम भुगतान और क्लेम सेटलमेंट से पहले हमें इससे जुड़े सारे नियमों की जानकारी लेनी चाहिए.

आप टॉप-अप पॉलिसियों के लिए किए गए प्रीमियम के भुगतान पर भी धारा 80D के तहत छूट का दावा कर सकते हैं. बेसिक पॉलिसी के लिए किसी कंपनी का टॉप अप प्लान लेना जरूरी नहीं है. आप अपनी पसंद के बीमा कंपनी से जरूरत के हिसाब से पॉलिसी चुन सकते हैं. यह पॉलिसी पर्सनल, फैमिली फ्लोटर और ग्रुप बीमा पॉलिसी हो सकती है. यदि छूट की सीमा अधिक है तो प्रीमियम उसी के हिसाब कम हो जाएगा. कुल मिलाकर अगर आपके पास पहले से हेल्थ पॉलिसी है तो जरूरत के दौरान हॉस्पिटल के बिल में टॉप-अप और सुपर टॉप-अप पॉलिसी मददगार साबित होगी.

पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान दें, अच्छी सेहत वाले को प्रीमियम में छूट दे रही हैं इंश्योरेंस कंपनियां

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.