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देवभूमि में अवैध धार्मिक स्थलों पर चलने वाले बुलडोजर को माफियाओं से डर! 'लैंड जिहाद' तक सीमित धाकड़ धामी का 'पंजा'

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Published : Jun 3, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Jun 3, 2023, 9:55 PM IST

उत्तराखंड में में पिछले कुछ समय से अतिक्रमण पर एक्शन देखने को मिल रहा है. इस अभियान के तहत प्रदेश में कई अवैध धार्मिक स्थलों को धराशायी कर दिया गया. धामी सरकार ने इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित भी किया है. वहीं, इसके ठीक उलट प्रदेश में भू-माफियाओं पर कोई एक्शन होता नहीं दिख रहा, जबकि भू-माफिया सरकारी जमीनों पर कब्जा किए बैठे हैं.

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उत्तराखंड में लैंड माफिया पर एक्शन कब?

उत्तराखंड में लैंड माफिया पर एक्शन कब?

देहरादून (उत्तराखंड): पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में 2000 एकड़ से ज्यादा भूमि पर धामी सरकार का बुलडोजर कहर ढा चुका है. अबतक करीब 50 दिनों के अभियान में कई अवैध धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया है. लेकिन उत्तराखंड में अवैध मजारों और मंदिरों पर गरजने वाले ये बुलडोजर भू-माफियाओं के आगे नतमस्तक दिखाई दे रहे हैं. हालात ये हैं कि धामी सरकार का पीला पंजा माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर बेदम दिख रहा है. देहरादून जिला प्रशासन, नगर निगम और वन विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो इसकी तस्दीक होती है.

माफियाओं से क्यों लग रहा डर? उत्तराखंड में चल रहे अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान में 200 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खाली करा ली गई है. लगातार अवैध धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है. प्रदेश में मंदिरों और मजारों पर तो कार्रवाई हो रही है, मगर भू-माफिया इससे बचे हुए हैं. उत्तराखंड में सरकार की ऐसी कई हेक्टेयर जमीनें हैं जो सरकार के विभागों के ही कब्जे में नहीं हैं क्योंकि उन पर माफियाओं का राज चल रहा है. ऐसे अतिक्रमण को आज तक प्रशासन खाली करवाने में कामयाब नहीं हो पाया है. यह बात अलग है कि समय-समय पर प्रशासन अतिक्रमण हटाने के दावे करता रहता है. इससे भी बड़ी बात ये कि सरकारी विभागों को देहरादून में अपने कार्यालय या केंद्र के संस्थानों के साथ उद्योगों के लिए जमीन ही नहीं मिल रही हैं.

Uttarakhand Dhami government took action on illegal tombs and temples
अतिक्रमण पर एक्शन

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लैंड जिहाद पर सख्त लेकिन माफिया पर नहीं चला डंडा: सवाल उठता है कि सत्ता में बैठे नेताओं और राज्य की बागडोर संभालने वाले अफसरों को क्या सरकारी जमीनों का हिसाब रखने की फुरसत नहीं है, तभी तो माफिया सरकारी जमीनों को आसानी से हथिया लेते हैं और सरकार उनका बाल भी बांका नहीं कर पाती. राज्य में पिछले कुछ समय के दौरान कई मंदिरों और मजारों को धराशायी किया गया और सरकार ने इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित भी किया. साथ ही तमाम जिलों के जिलाधिकारियों को भी ऐसे ही अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन, कहीं से भी माफियाओं के खिलाफ कोई बड़ा अभियान चलने की खबर सामने नहीं आई है.

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दरअसल, राज्य स्थापना के बाद से ही सरकारी जमीनों पर कब्जे का सिलसिला तेज हो गया था, लेकिन, एकाएक जमीनों के दाम आसमान छूने के बावजूद सरकार ने कभी अपनी सरकारी जमीनों को बचाने के लिए कोई खाका ही तैयार नहीं किया. अब धामी सरकार ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए निर्देश तो दिए लेकिन इसकी गंभीरता केवल वन क्षेत्र में ही दिखाई दी है. सीएम के निर्देश के बाद क्या हुई कार्रवाई अब यह भी जान लीजिए-

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अतिक्रमण पर एक्शन

वन क्षेत्र में हो रही कार्रवाई को लेकर वन विभाग के अधिकारी संतोष जताते हैं. भविष्य में भी कानूनी रूप से जरूरी कार्रवाई के मद्देनजर कदम उठाने की बात कह रहे हैं. प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक कहते हैं कि राज्य में अवैध धार्मिक संरचनाओं को करीब-करीब सभी जगहों से हटाया जा चुका है. यदि कुछ जगहों पर अब भी ऐसी अवैध संरचनाएं मौजूद है तो उनको भी कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा.

Uttarakhand Dhami government took action on illegal tombs and temples
अतिक्रमण एक्शन पर वन विभाग के मुखिया का बयान

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उत्तराखंड में अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए पहले भी कदम उठाए गए हैं, लेकिन, राजनीतिक कारणों के चलते इन पर कभी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई. साल 2018 में पुलिस के स्तर पर एसआईटी का गठन भी किया, जिन्हें 3070 शिकायतें प्राप्त हुई. जिसमें जांच के बाद करीब 900 से ज्यादा गिरफ्तारियां भी हुई. खास बात यह है कि इसमें अधिकतर शिकायतें गढ़वाल मंडल से थी. इस मामले में पूरे प्रदेश में हजारों एकड़ सरकारी जमीन पर माफियाओं का कब्जा रहा. लेकिन, इन्हें छेड़ने की हिम्मत कभी किसी सरकार ने नहीं की. राजधानी देहरादून के ही कुछ आंकड़ों को देख लिया जाए तो यह पूरे प्रदेश की आंखें खोलने वाले दिखाई देते हैं.

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देहरादून में अतिक्रमण के आंकड़े

यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों में जिलाधिकारियों को अतिक्रमण चिह्नित करने और उन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं. बड़ी बात यह है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार के ऐसे कई विभाग हैं जिन्होंने राजधानी देहरादून में जमीन की उपलब्धता के लिए जिला प्रशासन को डिमांड भेजी है. ऐसे करीब 56 आवेदन विभिन्न विभागों की तरफ से जमीनों के लिए देहरादून प्रशासन को भेजे हैं, लेकिन, जिला प्रशासन के पास भूमि की उपलब्धता ही मौजूद नहीं है. अब मुख्य रूप से उन विभागों की जानकारी भी लीजिए जिन्होंने जमीनों के लिए डिमांड की.

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देहरादून में इन विभागों ने भेजा जमीन के लिए प्रस्ताव

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ऐसे ही कई विभाग हैं जिन्होंने अलग-अलग कामों के लिए जमीनों की डिमांड की है, लेकिन, यह डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. इससे भी बड़ी हैरत की बात यह है कि देहरादून जिले में ही 31 जगहों पर लेखपालों की कमी है. यानी जमीनों का हिसाब रखने और उसकी निगरानी के लिए लेखपाल समेत दूसरे कर्मचारियों की ही भर्ती नहीं हो पाई है. सरकार और जिला प्रशासन के लिए इसलिए भी जमीनों का लेखा-जोखा रख पाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, इस सबके बावजूद देहरादून जिलाधिकारी सोनिका ने कहा मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अतिक्रमण के खिलाफ अभियान को चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा जिस अतिक्रमण को चिन्हित किया गया है उन पर कार्रवाई की जा रही है. संबंधित अधिकारी इसकी पूरी जानकारी जिलाधिकारी कार्यालय को भी भेज रहे हैं.

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क्या कहती हैं देहरादून जिलाधिकारी
Last Updated : Jun 3, 2023, 9:55 PM IST
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