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नवजोत सिंह सिद्धू: क्रिकेट, कमेंट्री, कॉमेडी और कॉन्ट्रोवर्सी

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Published : Jul 19, 2021, 5:13 PM IST

नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का कैप्टन बना दिया गया है. लेकिन क्रिकेट से लेकर कमेंट्री और कॉमेडी तक वो हमेशा कॉन्ट्रोवर्सी से घिरे रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या वो पंजाब में कांग्रेस के खेवनहार बनेंगे या इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी. सियासत हो या क्रिकेट का मैदान, सिद्धू को रास नहीं आए 'कप्तान'

नवजोत सिद्धू
नवजोत सिद्धू

हैदराबाद: पंजाब में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान दे दी गई है. हालांकि उनके साथ जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का हवाला देकर 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. बीते कई दिनों से पंजाब कांग्रेस में दो फाड़, दिल्ली दरबार तक दौड़ भाग और मंथन का दौर की वजह सिर्फ और सिर्फ नवजोत सिंह सिद्धू हैं. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ झंडा बुलंद कर वो दिल्ली पहुंच गए और लंबी माथापच्ची के बाद पंजाब कांग्रेस का ताज अपने सिर सजा लाए. ये कहानी है नवजोत सिंह सिद्धू की

क्रिकेट, कमेंट्री और कॉमेडी

20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला में जन्मे नवजोत सिंह सिद्धू अपने पिता की तरह फौज में जाना चाहते थे. लेकिन पिता की ख्वाहिश उन्हें क्रिकेटर बनाने की थी. साल 1983 में सिद्धू को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली. सिद्धू के लिए क्रिकेट की पिच पर आगाज़ भले शानदार ना रहा हो लेकिन 1983 की वर्ल्ड कप टीम के सदस्य और फिर एक बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में उन्होंने अपनी जगह टीम में बनाई.

सिद्धू मतलब क्रिकेट, कमेंट्री, कॉमेडी और कॉन्ट्रोवर्सी
सिद्धू मतलब क्रिकेट, कमेंट्री, कॉमेडी और कॉन्ट्रोवर्सी

साल 1999 में क्रिकेट से संन्यास के बाद नवजोत सिद्धू ने क्रिकेट कंमेट्री और टीवी पर कॉमेडी शो के जज के रूप में हाथ आजमाया. यहां भी सफलता मिली और सिद्धू टीवी का चर्चित चेहरा बन गए. वो टीवी के चर्चित शो बिग बॉस का भी हिस्सा रह चुके हैं.

सियासत की पिच पर कभी इस टीम में, कभी उस टीम में

साल 2004 में नवजोत सिंह सिद्धू सियासत की पिच पर उतरे. बीजेपी में शामिल हुए और कमल थमाने वाले बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली को अपना गुरु मानने लगे. 2004 लोकसभा चुनाव में सिद्धू पहली बार अमृतसर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और कांग्रेस के बड़े नेता को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया.

गैर इरादतन हत्या के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले उन्होंने इस्तीफा दिया. चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने पर 2007 में उपचुनाव में फिर अमृतसर से जीत हासिल की और 2009 लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगा दी. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अमृतसर से सिद्धू का टिकट काटकर अरुण जेटली को उतार दिया. वही अरुण जेटली जिन्हें सिद्धू अपना गुरु मानते रहे. हालांकि जेटली चुनाव हार गए और बीजेपी ने सिद्धू को राज्यसभा भेज दिया.

साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पंजाब में कांग्रेस की जीत हुई. सिद्धू विधायक और फिर मंत्री बन गए लेकिन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मतभेद के चलते उनकी टीम से बाहर हो गए और अब चुनाव से ऐन पहले कैप्टन के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोला कि पंजाब कांग्रेस के कैप्टन बन बैठे.

क्रिकेट में भी कैप्टन से थी नाराजगी
क्रिकेट में भी कैप्टन से थी नाराजगी

क्रिकेट हो या सियासत, 'कैप्टन' नहीं आया रास

क्रिकेट के बाद नवजोत सिद्धू की सियासी मैदान में पारी जारी है लेकिन चाहे क्रिकेट का मैदान हो या सियासत का मंच, सिद्धू को 'कैप्टन' कभी रास नहीं आए.

1996 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर थी लेकिन नवजोत सिद्धू दौरे को बीच में छोड़कर ही भारत लौट आए. कहा गया कि नवजोत सिद्धू और टीम के कैप्टन के खिलाफ विवाद चल रहा है. तब भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन थे.

कैप्टन बनाम सिद्धू
कैप्टन बनाम सिद्धू

2017 में कांग्रेस ने पंजाब में चुनाव जीता और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने. सिद्धू को शहरी निकाय विभाग दिया गया लेकिन यहां भी उनकी कैप्टन के साथ दाल नहीं गली और टीम कैप्टन से छुट्टी हो गई.

सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम

पाकिस्तान प्रेम को लेकर सिद्धू कई बार निशाने पर आ चुके हैं. साल 2018 में इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. भारत के पूर्व क्रिकेटरों के साथ कई लोगों को निमंत्रण भी भेजा गया था लेकिन सिर्फ नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान गए और इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत की. इस दौरान वो पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के गले भी मिले. जिसके बाद वो सियासी विरोधियों से लेकर सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए.

पाकिस्तान में बाजवा को दी थी झप्पी
पाकिस्तान में बाजवा को दी थी झप्पी

साल 2019 के अंत में भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होना था. इस मौके पर भी नवजोत सिद्धू पाकिस्तान गए और उद्घाटन समारोह में शिरकत की जबकि भारत की ओर से भी उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.

सिद्धू जहां, विवाद वहां

दरअसल क्रिकेट से लेकर कॉमेडी और सियासत तक सिद्धू जहां भी रहे हैं विवाद उनके साथ जुड़ते रहे हैं.

- साल 1988 में सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था. जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया था.

- क्रिकेट मैदान पर भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान खिलाड़ियों के बीच तू-तू, मैं-मैं के दौरान वो बल्ला लेकर आमिर सोहेल की तरफ बढ़े थे.

- भारतीय क्रिकेट टीम के मोहम्मद अजहरुद्दीन से अनबन के बीच वो इंग्लैड का दौरा बिना किसी को बताए ही बीच में छोड़ आए थे. जिसके बाद उन्हें कुछ मैचों का बैन भी झेलना पड़ा.

- नवजोत सिंह सिद्धू पर टीम के खिलाड़ी मनोज प्रभाकर को थप्पड़ मारने का भी आरोप लगा है.

- सिद्धू ने जो शायरी बीजेपी में रहते हुए नरेंद्र मोदी और पार्टी के दूसरे नेताओं के लिए कहे, नाम बदलकर वही शायरी कांग्रेस में आने पर सोनिया, राहुल और मनमोहन सिंह के लिए पढ़ दिए. जिसके बाद वो मीडिया और सोशल मीडिया में खूब ट्रोल हुए.

- पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सिद्धू की कभी नहीं बनी. एक बार सिद्धू ने कहा था कि मेरे कैप्टन तो राहुल गांधी है. जिसके बाद वो फिर कईयों के निशाने पर आए थे.

- एक कॉमेडी शो के दौरान अश्लील चुटकुला सुनाने को लेकर भी सिद्धू विवादों में आए थे. जिसके बाद सिद्धू के खिलाफ एक वकील ने कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी.

- एक विधायक और मंत्री रहते हुए कॉमेडी शो में जज बनने पर भी सिद्धू विवादों में आए थे

-इमरान खान को अपना दोस्त बताने से लेकर शपथ ग्रहण में शामिल होने, पाक आर्मी चीफ से गले मिलने, करतारपुर कॉरिडोर उद्घाटन के लिए पाकिस्तान जाने और कॉरिडोर का श्रेय पाकिस्तान को देने पर भी सिद्धू विवादों में रहे हैं.

इमरान के बुलावे पर गए थे पाकिस्तान
इमरान के बुलावे पर गए थे पाकिस्तान

नवजोत सिद्धू और कांग्रेस की रणनीति

पंजाब में कैप्टन बनाम सिद्धू की जंग के बीच कांग्रेस ने रास्ता निकालकर सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान तो दे दी ही लेकिन जानकार मानते हैं कि सिद्धू के साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है. ये कदम एक तरह से बताता है कि सिद्धू पर कांग्रेस आलाकमान को उतना भी भरोसा नहीं है और साथ ही कैप्टन को भी पूरी तरह से नहीं मनाया जा सका है. ऐसे में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले हल निकालने की बजाय मसले को और उलझा दिया है.

राहुल और प्रियंका के करीबी है सिद्धू
राहुल और प्रियंका के करीबी है सिद्धू

कांग्रेस पंजाब में सत्ता में फिर से काबिज होने का सपना संजो रही है लेकिन अपनों की कलह ही उसकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा है. सिद्धू अलग-अलग मुद्दों को लेकर जरूर अकाली दल के सबसे बड़े विरोधियों में से एक हैं लेकिन उन्हें ना संगठन का अनुभव है और ना लोगों तक उनकी पहुंच. जानकार मानते हैं कि कैप्टन पंजाब में कांग्रेस के सर्वमान्य नेता हैं लेकिन राहुल और प्रियंका से करीबी ने सिद्धू को कैप्टन पर भारी साबित कर दिया. आलाकमान ने कैप्टन और सिद्धू की लड़ाई में बीच का रास्ता तो निकाला है लेकिन देखना होगा कि क्या ये बीच का रास्ता जीत की मंजिल तक जाएगा.

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