ETV Bharat / bharat

हरिद्वार में साधु-संतों ने डाली थी राम मंदिर आंदोलन की नींव, स्वामी रूपेंद्र प्रकाश से जानें संघर्ष की कहानी

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 16, 2024, 5:25 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 5:33 PM IST

राम मंदिर संघर्ष Ram Mandir struggle श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने राम मंदिर संघर्ष की कहानी बताई है. उन्होंने बताया कि राम मंदिर आंदोलन की नींव हरिद्वार से साधु-संतों द्वारा ही डाली गई थी. अशोक सिंघल भी हरिद्वार में साधु-संतों से मुलाकात कर राम मंदिर आंदोलन को मजबूत करते रहे.

Swami Rupendra Prakash
स्वामी रूपेंद्र प्रकाश

हरिद्वार में साधु-संतों ने डाली थी राम मंदिर आंदोलन की नींव.

हरिद्वार (उत्तराखंड): देश 22 जनवरी 2024 का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. इस दिन अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसके साथ ही साधु-संतों का सपना भी साकार होने जा रहा है. मंदिर को लेकर रणनीति और 1992 में राम मंदिर रथ यात्रा की नींव साधु-संतों द्वारा ही डाली गई थी. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर और प्राचीन अमधूत मंडल के परमाध्यक्ष स्वामी रूपेंद्र प्रकाश बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण का संघर्ष हरिद्वार से ही शुरू हुआ था.

राम मंदिर बनने की खुशी और राम मंदिर से जुड़ी बातों को साझा करते हुए स्वामी रूपेंद्र प्रकाश कहते हैं, जिस समय राम मंदिर के लिए संघर्ष किया जा रहा था, उस समय मैं संघ का कार्यकर्ता था. बाद में प्रचारक बना. उस समय अशोक सिंघल संघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे. विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय में बैठकें हुआ करती थी. रणनीति तैयार की जाती थी कि आगे किस तरह से संघर्ष किया जाना है. जिम्मेदारी दी जाती थी कि अपने क्षेत्र से राम मंदिर संघर्ष में आम जन को कैसे जोड़ें.

स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने बताई राम मंदिर संघर्ष की कहानी.

राम मंदिर आंदोलन के राजनीतिकरण की कोशिश: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश बताते हैं कि एक समय था जब राम मंदिर को लेकर लोगों में उत्साह हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे कर यह उत्साह समय के विलंब के कारण कम होता चला गया. लोगों ने इसका राजनीतिकरण करना भी शुरू कर दिया. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनते ही हमें उम्मीद थी कि अब शायद राम मंदिर का रास्ता साफ होगा. लेकिन गठबंधन की सरकार भी इस फैसले को नहीं ले पाई.

Swami Rupendra Prakash
हरिद्वार राम जन्मभूमि आंदोलन का विशेष गढ़ रहा- रूपेंद्र प्रकाश

सिंघल और अटल के बीच खराब हुए संबंध: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने बताया कि सरकार बनने के बावजूद भी राम मंदिर को लेकर विलंब किया जा रहा था. जिससे अशोक सिंघल नाराज थे. उन्होंने कई बार अटल बिहारी वाजपेयी से इस विषय पर चर्चा भी की. लेकिन उनकी तरफ से गठबंधन की सरकार होने के कारण कोई भी फैसला नहीं लिया जा रहा था. जिस कारण दोनों के संबंधों में काफी खटास आ गई थी. लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और वह आमजन को जोड़ते रहे.
ये भी पढ़ेंः कुछ ऐसी दिखेगी भगवान राम की नई मूर्ति!, 18 जनवरी को नए भवन में होगी स्थापित

अशोक सिंघल के सपने में राम: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश बताते हैं कि अशोक सिंघल जब एकांत में कार्यकर्ताओं से बातचीत किया करते थे तो वह बताते थे कि उनके सपने में राम आया करते हैं और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया करते हैं कि किस तरह से इस आंदोलन को आगे चलाना है. उन्होंने बताया कि जब उनके सपने में राम आते हैं तो वह बताते हैं कि यह आंदोलन साधु संतों को जोड़कर ही सफल होगा और आज नहीं तो कल राम मंदिर जरूर बनेगा. जिसका परिणाम था कि अशोक सिंघल को साधु-संतों का आशीर्वाद प्राप्त था और हर साधु संत उनकी बात को माना करते थे. इतना ही नहीं, जब हम किसी साधु संत के बारे में कुछ बोलते थे तो वह हमें डांट दिया करते थे. कहते थे कि साधु संत पूजनीय होते हैं और वह इस आंदोलन की रीढ़ की हड्डी हैं.

Swami Rupendra Prakash
राम मंदिर संघर्ष के समय संघ के कार्यकर्ता थे स्वामी रूपेंद्र प्रकाश

राम मंदिर आंदोलन से मिली संत बनने की प्रेरणा: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने बताया कि शुरू से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े होने के कारण उनकी कई साधु संतों से बातचीत थी. वह कुंभ में अशोक सिंघल के साथ स्नान करने हरिद्वार आए थे. लेकिन उन्हें तब यह नहीं पता था कि वह भी एक दिन संत बनेंगे. धीरे-धीरे संघ का कार्य करते-करते उन्हें बिजनौर की जिम्मेदारी सौंप दी गई. जिसके बाद वह हरिद्वार पहुंचे और गुरु स्वामी हंस प्रकाश महाराज की सेवा में लग गए. इसके बाद अशोक सिंघल से जब उनकी दिल्ली में मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि हमारे बीच के लोग अब संत भी बन रहे हैं. जिससे मुझे उम्मीद है कि राम मंदिर अब तो जरूर ही बनेगा.
ये भी पढ़ेंः सूरत के राम भक्त ने अपनी कार को राम मंदिर की थीम पर सजाया, देखें तस्वीरें

अशोक सिंघल को था राम मंदिर बनने का विश्वास: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने बताया कि कई बैठकों में अशोक सिंघल को साधु और आमजन द्वारा पूछा जाता था कि राम मंदिर निर्माण का प्रकरण कोर्ट में है. ऐसे में इस पर क्या आंदोलन छेड़ सकते हैं? तब अशोक सिंघल द्वारा सबको विश्वास दिलाया जाता था कि राम मंदिर आज नहीं तो कल जरूर बनेगा. जिसकी तैयारी हमें अभी से शुरू करनी है. लोगों के विश्वास को और मजबूत करने के लिए अशोक सिंघल ने रामसेवक पुरम कार्यशाला (अयोध्या) में पहले ही पत्थर खरीद कर रख दिए थे. पत्थर की घिसाई की शुरुआत भी करवा दी. इसी के साथ उन्होंने राम मंदिर को लेकर एक मॉडल भी तैयार किया था और फिर उस मॉडल को पूरे देश में बांटा गया. जिससे लोगों को विश्वास होने लगा कि राम मंदिर जल्द ही बनेगा.

Swami Rupendra Prakash
हरिद्वार में अशोक सिंघल साधु-संतों के साथ करते थे चर्चा.

हरिद्वार था राम जन्मभूमि आंदोलन का विशेष गढ़: स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने बताया कि हरिद्वार राम जन्मभूमि आंदोलन का विशेष गढ़ हरिद्वार रहा. ज्यादातर धर्म संसद हरिद्वार में ही आयोजित हुईं. क्योंकि हरिद्वार में साधु संतों की संख्या बहुत अधिक थी. इतना ही नहीं, हरिद्वार से जुड़े साधु संत भी राम मंदिर को लेकर उत्साहित थे. वह भी इन बैठकों में प्रतिभाग किया करते थे. इसी के साथ ही अशोक सिंघल हर बार बैठकों के स्थल को बदला करते थे. ताकि हर कोई इस आंदोलन से जुड़े.
ये भी पढ़ेंः राम मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' के पहले अमेरिका में आयोजित किया गया लाइट शो

अशोक सिंघल और गुरु का सपना पूरा: रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि अभी पिछले दिनों ही में अयोध्या जाकर आया हूं और वहां पर अयोध्या मानो राम राज्य की तरह संवर गया हो. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को पूरी तरह से ही बदल दिया है. 22 जनवरी की तैयारी लगातार चल रही है. जो सपना अशोक सिंघल और लाखों करोड़ों हिंदुओं ने देखा था, वह 22 जनवरी को जाकर साकार होने जा रहा है. जिसका साक्षी पूरा विश्व होगा.

Last Updated :Jan 16, 2024, 5:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.