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लिंगायत समुदाय से जुड़ा है केदारनाथ का कर्नाटक चुनाव कनेक्शन, पीएम मोदी भी साध चुके हैं 'समीकरण'

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Published : May 10, 2023, 5:54 PM IST

Updated : May 10, 2023, 6:52 PM IST

साल 2018 में केदारनाथ से कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदल गई थी. तब कर्नाटक विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले पीएम मोदी केदारनाथ के दौरे पर आये थे. यहां उन्होंने केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी (रावल) से मुलाकात की. पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे के दौरान रावल ने भी पीएम को लिंगायत समाज की तरफ से एक पात्र भी सौंपा था. तब मुख्य पुजारी के साथ बातचीत करते हुए पीएम मोदी का वीडियो और फोटो कर्नाटक में खूब प्रचारित हुए थे, जिसका बीजेपी को खूब फायदा भी हुआ. अब एक बार फिर से कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हो रहा है. इस बार भी बीजेपी की नजर इसी लिंगायत समाज पर है.

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लिंगायत समुदाय से जुड़ा है केदारनाथ का कर्नाटक चुनाव कनेक्शन

लिंगायत समुदाय से जुड़ा है केदारनाथ का कर्नाटक चुनाव कनेक्शन

देहरादून: आज Karnataka Election 2023 के लिए वोटिंग हुई. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार भी बीजेपी को बड़ी और बंपर जीत की उम्मीद है. कर्नाटक में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, तब इसका श्रेय पीएम मोदी और केदारनाथ को दिया गया था. ऐसा क्यों हुआ और कर्नाटक चुनाव का क्या है केदारनाथ कनेक्शन, आइए जानते हैं.

भगवान केदारनाथ हर किसी की मन की मुराद पूरी करते हैं. कहते हैं बाबा केदारधाम धाम में आने वाले भक्तों के मन की बात सुन लेते हैं. साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी या ये कहें पीएम नरेंद्र मोदी के मन की बात को भी बाबा केदार और कर्नाटक के वोटरों ने अच्छी तरह सुना. बीते चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी केदारनाथ यात्रा से कर्नाटक लिंगायत समाज को पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया था.
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कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समाज निर्णायक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कहते हैं कर्नाटक की राजनीति में जिस तरफ लिंगायत समाज करवट लेता है सरकार उसी दल की बनती है. साल 2018 में लिंगायत समाज का अधिकतर वोट बीजेपी को पड़ा था. केदारनाथ धाम से कर्नाटक का यह कनेक्शन है. केदारनाथ धाम में आज भी मुख्य पुजारी या कहें रावल कर्नाटक राज्य से ही आते हैं. कर्नाटक में रावल को भगवान की तरह ही पूजा जाता है.

साल 2018 में कर्नाटक चुनाव प्रचार शुरू होने से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे थे. पीएम का केदारनाथ आना वैसे तो लगा रहता है, लेकिन उस वक्त इसे सीधे तौर से कर्नाटक चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था. माना जा रहा था कि केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी जो लिंगायत समुदाय से आते हैं, वो कर्नाटक में बीजेपी की नैया पार लगा सकते हैं.

केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी को रावल कहा जाता है. भीमाशंकर लिंग शिवाचार्य वीरशैव लिंगायत समुदाय के सदस्य हैं. कर्नाटक में इस समाज का अच्छा खासा जनाधार है. साल 2018 से पहले कांग्रेस की सरकार के दौरान सीएम रहे सिद्धारमैया ने भी लिंगायत समाज को अलग धर्म का दर्जा देने की वकालत की थी. इसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना गया, लेकिन बीजेपी की रणनीति के आगे कांग्रेस की एक चली, जिसके बाद कांग्रेस को सत्ता से बाहर जाना पड़ा.
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2018 में बीजेपी की तरफ गया 57% वोट: कर्नाटक में जब-जब चुनाव हुए हैं, तब-तब लिंगायत समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कर्नाटक की आबादी का 17% वोट लिंगायत समाज का है. 224 निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 100 से अधिक चुनाव परिणामों में यह निर्णायक भूमिका निभाता है. कहा जाता है कि हमेशा से यह वोट वैसे बीजेपी की तरफ ही झुका रहा है. राज्य में बीएस येदुरप्पा इस समाज की अगुवाई करते आए हैं, लेकिन कांग्रेस के एक फैसले ने इन्हे बीजेपी से कुछ समय के लिए थोड़ा दूर कर दिया था. मगर पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे का कर्नाटक में बीजेपी को फल मिला.

साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद लगभग 57% वोट बीजेपी की ओर गया. पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे के दौरान रावल ने पीएम को लिंगायत समाज की तरफ से एक पात्र भी सौंपा था. मुख्य पुजारी के साथ बातचीत करते हुए पीएम मोदी का वीडियो और फोटो कर्नाटक में खूब प्रचारित हुआ, जिसका बीजेपी को खूब फायदा मिला.

लिंगायत समाज की केदार में अपार आस्था: मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी कहते हैं कि केदारनाथ का कर्नाटक से खास कनेक्शन है. भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 11वां ज्योतिर्लिंग बाबा केदार का है. जो केदारनाथ धाम के रावल होते हैं वो कर्नाटक से आते हैं और लिंगायत संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. हमेशा से केदारनाथ में लिंगायत समाज का ही पुजारी होता है. इसके साथ ही केदारनाथ के अलावा पंच केदार में भी कर्नाटक से आए लिंगायत समुदाय के पुजारी होते हैं. यहां के रावल को कर्नाटक और उनके समुदाय में भगवान की तरह पूजे जाते हैं. मतलब, उनका एक आदेश पूरा समाज मानता है. उनका बहुत सम्मान होता है.

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आशुतोष डिमरी कहते हैं, वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार केदारनाथ और बदरीनाथ आते हैं, लेकिन पिछले कर्नाटक चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ आए थे तब लिंगायत समाज ने उनको अपना खूब समर्थन दिया था. कर्नाटक के इस समुदाय से जुड़े लोगों का जुड़ाव केदारनाथ से भी बेहद गहरा है. जब पीएम यहां पर आए थे तो ये स्वभाविक हो जाता है कि लिंगायत समाज में भी एक अच्छा संदेश जरूर गया होगा.

क्या कहती है बीजेपी: वहीं, बीजेपी नेता अभिमन्यु कुमार कहते हैं कि, पीएम मोदी के दौरों का हर कोई अपने हिसाब से आकलन करता है. कहा जाता है कि वो केदारनाथ में आकर एक समाज को लुभा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैं. पीएम मोदी हमेशा से ही केदारनाथ के लिए आस्थावान रहे हैं. पिछली बार भी पीएम मोदी आस्था के चलते ही केदारनाथ पहुंचे थे. ये हो सकता है कि कर्नाटक चुनाव से समय टाइमिंग सही बैठी हो. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में सम्मानित लिंगायत समाज बीजेपी को ही सपोर्ट करने का काम करेगा. दोबारा से कर्नाटक में बीजपी की सरकार बन रही है.

Last Updated :May 10, 2023, 6:52 PM IST
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