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औरंगजेब ने मथुरा का नाम इस्लामाबाद करके तोड़े थे 76 मंदिर, जानें और क्या कहते हैं इतिहाकार

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Published : May 17, 2023, 6:25 PM IST

मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में बनी आगरा की शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियां और मथुरा के केशवदेव मंदिर का मामला बढ़ता जा रहा है. ताजनगरी की अदालत में वाद दायर किया गया है. देश के इतिहासकारों के अनुसार शाहजहां के काल में जयपुर में ही 76 मंदिर ध्वस्त किए गए थे.

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इतिहासकार राजकिशोर ने बताया.

आगरा: मुगलिया सल्तनत की राजधानी आगरा रही है, अब मुगल बादशाह औरंगजेब और मथुरा के केशवदेव मंदिर का विवाद एक बार फिर चर्चा में है. ताजनगरी की अदालत में वाद दायर होने से औरंगजेब और केशवदेव मंदिर के साथ ही आगरा की शाही जामा मस्जिद भी सुर्खियों में है. क्योंकि, वाद में दावा किया गया है कि औरंगजेब ने जब मथुरा के केशव देव मंदिर को ध्वस्त किया तो रत्न जड़ित प्रतिमाएं, भगवान श्रीकृष्ण और अन्य विग्रह आगरा लाकर जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए थे.

इस पर ईटीवी भारत ने आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' से बातचीत की. उन्होंने कहा कि औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में लिखा है कि, आगरा की जामा मस्जिद (शाही जामा मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे मथुरा के केशवदेव मंदिर की मूर्तियां दबी हैं. औरंगजेब ने यह काम इसलिए किया था. जिससे मस्जिद आने-जाने वालों के पैरों के नीचे यह मूर्तियां रहें.

शाही जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियां.
शाही जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियां.

यूपी सेंट्रल वक्ख बोर्ड लखनऊ और श्रीकष्ण सेवा संस्थान को नोटिस: श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट की ओर से आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियाों के नीचे दबी भगवान केशव देव के विग्रहों को वापस दिलवाने की न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड), आगरा में प्रार्थना की है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने 11 मई 2023 को न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड) आगरा में वाद डाला था. इस वाद के बाद कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने प्रेसवार्ता करके जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद दीवाने खास जहांआरा मस्जिद आगरा किला, यूपी सेंट्रल वक्ख बोर्ड लखनऊ और श्रीकष्ण सेवा संस्थान को नोटिस भेजा गया है. इस मामले में सभी को दिनांक 31 मई 2023 तक इस सम्बंध में अपना पक्ष रखना है.

इस्लामाबाद कर दिया था मथुरा का नाम: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने बताया कि औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने से पहले मथुरा का नाम बदल दिया था. औरंगजेब ने तब मथुरा का नाम इस्लामाबाद कर दिया था. औरंगजेब के समय सरकारी दस्तावेज और फरमानों में मथुरा का नाम इस्लामाबाद भी लिखा जाता था. सरकारी फरमानों में मथुरा का नाम इस्लामाबाद ही दर्ज किया गया. लेकिन मथुरा का यह नाम ज्यादा दिनों तक नहीं चला. यही वजह है कि आज भी लोग इसे मथुरा के नाम से जानते हैं.

औरंगजेब ने मंदिर बनाए थे निशानाः वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, जब औरंगजेब ने मुगलिया सल्तनत संभाली तो उसने राजस्थान के हिंदू राजा जयसिंह और राजा जसवंत सिंह तब तक जिंदा रहे. तब तक उसने हिंदुओं के खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठाया था. लेकिन, राजा जयसिंह और राजा जसवंत सिंह के निधन के बाद औरंगजेब ने 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाना शुरू किया. हिंदू धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया. औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करा दिया. वहां की मूर्तियों को आगरा में लाकर जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया. यह मस्जिद जहांआरा बेगम ने बनाई थी. मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन थी. जिसे बेगम साहिबा भी कहा जाता था.

इतिहासकारों ने किताबों में लिखी हकीकत: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि औरंगजेब के मथुरा के केशवदेव मंदिर को तोड़कर वहां की भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाने की चर्चा उस समय खूब हुई. इस बारे में औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद खां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में इस बारे में लिखा है. इसके साथ भी भारत के मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में भी इस बारे में लिखा है. वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मेरी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने के बारे में लिखा है. इसके साथ ही मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी इसका जिक्र है. अब सवाल यह है कि, केशव देव मंदिर की मूर्तियां किन सीढ़ियों के नीचे हैं. क्योंकि, जामा मस्जिद में तीन तरफ सीढ़ियां हैं. यह ​विवादास्पद और खोज का विषय है.

औरंगजेब ने जोधपुर में भी ध्वस्त किया था मंदिर: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों को ध्वस्त कराया था. उसने मंदिर ध्वस्त कराकर मस्जिदें बनवाईं थीं. इसके साथ ही मूर्तियों और विग्रहों को मस्जिदों के नीचे दबया था. जिससे नमाज पढ़ने आने वालों के पैरों के नीचे मूर्तियां और विग्रह कुचले जाएं. औरंगजेब ने जोधपुर राजा जसवंत सिंह की अफगानिस्तान में मौत होने पर उसने उनके नाबालिग बेटा अजीत सिंह को अपने पास रखा था. लेकिन उसे इस्लाम में दीक्षित करने की बात कही थी. लेकिन दुर्गादास राठौड़ आगरा के किले से अपने साहस पूर्वक अजीत सिंह को ले गए. गुपचुप अजीत सिंह का लानन-पालन हुआ और औरंगजेब ने जोधपुर पर कब्जा कर लिया. वहां पर मौजूद सभी मंदिरों को ध्वस्त कराया. उनके ऊपर मस्जिदें बनवाईं. औरंगजेब ही नहीं अन्य मुगल शासक ने मंदिर ध्वस्त कराए थे. शाहजहां के काल में जयपुर में ही 76 मंदिर ध्वस्त किए गए थे.

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