ETV Bharat / bharat

Jim Corbett Birth Anniversary: एक ऐसा शिकारी जिसने मारे 33 नरभक्षी, हृदय परिवर्तन के बाद बना वन्य जीव संरक्षक

author img

By

Published : Jul 25, 2023, 12:22 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 1:23 PM IST

कॉर्बेट नेशनल पार्क जिनके नाम से जाना जाता है उन जिम कॉर्बेट की आज जयंती है. जिम की 148वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. जिम कॉर्बेट ने उत्तराखंड के लोगों को नरभक्षी बाघों और तेंदुओं से निजात दिलाई थी. दिलचस्प बात ये है कि 33 नरक्षक्षी बाघों और तेंदुओं को मारने के बाद वो वन्य जीव संरक्षण का सबसे बड़ा उदाहरण बन गए थे.

Jim Corbett Birth Anniversary
जिम कॉर्बेट

जिम कॉर्बेट की जयंती

रामनगर (उत्तराखंड): जिम ने कॉर्बेट पार्क को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई थी. आज कॉर्बेट के नाम से लाखों लोगों की जीविका चलती है. जिम ने 31 साल की उम्र में 19 आदमखोर बाघ और 14 आदमखोर तेंदुओं को ढेर किया था. इस तरह उन्होंने कुल 33 आदमखोर बाघ और तेंदुओं को ढेर कर आम जन को राहत दिलाई थी. आज उन्हीं जिम कॉर्बेट की जयंती है.

Jim Corbett Birth Anniversary
वन्य जीव संरक्षण में जिम कॉर्बेट का अहम योगदान है

जिम कॉर्बेट की 148वीं जयंती: जिसके नाम से भारत में पहला वन्य जीव संरक्षण पार्क बना आज उस शख्स की 148वीं जयंती है. कॉर्बेट प्रशासन उनका जन्मदिन छोटी हल्द्वानी, कालाढूंगी व कॉर्बेट पार्क के धनगढ़ी के मुख्य द्वार पर बनी उनकी स्टेच्यू पर मालार्पण व केक काटकर धूमधाम से मनाता है. जिम कॉर्बेट एक शिकारी और महान व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. बता दें कि जिम ने नरभक्षियों से निजात दिलाने के साथ ही 6 किताबें भी लिखी थी. इनमें से कई पुस्तकें पाठकों को काफी पसंद आईं, जो आगे चलकर काफी लोकप्रिय हुईं.

नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेट: आपको बता दें कि जिम कॉर्बेट नैनीताल में जन्मे थे. एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्मे होने के कारण जिम कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में ही पूरी की. अपनी युवावस्था में जिम कॉर्बेट ने पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली, लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों में फिर खींच लाया.

Jim Corbett Birth Anniversary
जिम कॉर्बेट प्रसिद्ध शिकारी थे

आदमखोर बाघ मारने के लिए जाने जाते थे जिम कॉर्बेट: एडवर्ड जिम कॉर्बेट एक साहसिक व्यक्ति थे. उनको तत्कालीन अंग्रेज सरकार आदमखोर बाघ को मारने के लिए बुलाती थी. गढ़वाल और कुमाऊं में उस वक्त आदमखोर बाघ और गुलदारों ने आतंक मचा रखा था. उनके खात्मे का श्रेय जिम कॉर्बेट को जाता है. साल 1907 में चंपावत में एक आदमखोर 436 लोगों को अपना निवाला बना चुका था. तब जिम कॉर्बेट ने लोगों को आदमखोर के आतंक से मुक्त कराया था.
ये भी पढ़ें: कॉर्बेट-राजाजी के साथ देशभर के टाइगर रिजर्व में बाघों पर बड़ा 'खतरा', WCCB ने जारी किया रेड अलर्ट

जिम कॉर्बेट ने आदमखोर बाघों-तेंदुओं का आतंक खत्म किया: जिम ने 1910 में मुक्तेश्वर में जिस पहले तेंदुए को मारा था, उसने 400 लोगों को मौत के घाट उतारा था. जबकि दूसरे तेंदुए ने 125 लोगों को मौत के घाट उतारा था. उसे जिम ने 1926 में रुद्रप्रयाग में मारा था. जिम कॉर्बेट ने अपनी जान की परवाह न करते हुए एक के बाद एक सभी आदमखोरों को मौत की नींद सुला दिया था. कहा जाता है कि जिम कॉर्बेट ने 31 साल में 19 आदमखोर बाघ और 14 आदमखोर तेंदुओं को ढेर किया था. इस तरह उन्होंने कुल 33 आदमखोर बाघ और तेंदुओं को ढेर कर आम जन को राहत दिलाई थी.

जिम कॉर्बेट ने छोटी हल्द्वानी में बनाया था घर: जिम कॉर्बेट ने 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी कालाढूंगी में जमीन खरीदी और यहां घर बनाया. जिम सर्दियों में यहां रहने के लिए आते और 1922 में यहां रहना शुरू कर दिया. गर्मियों में वो नैनीताल में रहने के लिए चले जाया करते थे. उन्होंने छोटी हल्द्वानी (कालाढूंगी) में अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दिया. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है. उस दौर में छोटी हल्द्वानी में चौपाल लगा करती थी.

देश की आजादी के समय चले गए थे जिम कॉर्बेट: साल 1947 में जिम कॉर्बेट देश छोड़कर विदेश चले गए और कालाढूंगी स्थित घर को अपने मित्र चिरंजीलाल साहब को दे दिया. साल 1965 में चौधरी चरण सिंह वन मंत्री बने तो उन्होंने इस ऐतिहासिक बंगले को आने वाली नस्लों को जिम कॉर्बेट के महान व्यक्तित्व को बताने के लिए चिरंजीलाल साहब से ₹20 हजार देकर खरीद लिया और एक धरोहर के रूप में वन विभाग के सुपुर्द कर दिया. आज देश विदेश से सैलानी कॉर्बेट पार्क के साथ ही कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी इनकी धरोहर को देखने आते हैं.
ये भी पढ़ें: शिकारियों के संकेत से कॉर्बेट में हाई अलर्ट, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम

नरभक्षियों को मारते मारते जिम का हृदय परिवर्तन होने लगा. जिम कॉर्बेट ने बाघों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने फिर कभी भी बाघ या अन्य जानवरों को मारने के लिए बंदूक नहीं उठाई. जिम कॉर्बेट का आगे का जीवन वन्य जीव संरक्षण में बीता. उनके सम्मान में भारत सरकार ने साल 1955 में राष्ट्रीय उद्यान रामगंगा नेशनल पार्क का नाम बदलकर कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क आज विश्व में बाघों की राजधानी के रूप में जाना जाता है. यहां हर वर्ष देश विदेश से वन्य जीवों के दीदार के लिए लाखों की तादाद में पर्यटक रामनगर पहुंचते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 1:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.