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High Sugar Diet : इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में लक्षणों को ज्यादा खराब कर सकती है हाई शुगर डाइट

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Published : Jun 4, 2023, 5:16 AM IST

हाई शुगर डाइट आंतों से जुड़ी समस्याओं विशेषकर इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में लक्षणों तथा प्रभावों को ज्यादा खराब कर सकती है. हाल ही में जर्नल सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी में प्रकाशित हुए एक शोध/अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है. पढ़ें पूरी खबर..

High Sugar Diet
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज

हैदराबाद: हाई शुगर डाइट, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज या आईबीडी की समस्या में जोखिम के ज्यादा बढ़ने का कारण बन सकती है. हाल ही में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के माउस मॉडल पर हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है. गौरतलब है इससे पहले भी दुनियाभर में हाई शुगर डाइट के स्वास्थ्य पर अलग अलग प्रभावों को लेकर कई शोध हो चुके हैं, जिनमें इस तरह के आहार के सेहत पर कई तरह के खराब प्रभाव की पुष्टि हो चुकी है. वहीं चिकित्सक भी हाई शुगर डाइट को हर लिहाज से सेहत के लिए काफी नुकसानदायक बताते हैं.

गौरतलब है कि हाई शुगर डाइट सामान्य तौर पर भी शरीर में सूजन बढ़ने के कारणों में एक मानी जाती है. इसके साथ ही इसे ओबेसिटी, क्रोनिक किडनी रोग और हृदय रोग सहित कई गंभीर समस्याओं में जोखिम को बढ़ाने या ट्रिगर करने वाले कारणों में से एक माना जाता है. ऐसे में इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में जोखिम को बढ़ाने में इसकी भूमिका को लेकर हुए इस शोध के नतीजे इस रोग में समस्या के बढ़ने के कारणों तथा इलाज में काफी मदद कर सकते हैं.

क्या है आईबीडी की समस्या
इन्फ्लैमेटरी बाउल डिजिज या आईबीडी आंतों से जुड़ी एक आम समस्या है जिसमें आंतों में सूजन तथा जटिलताएं बढ़ जाती है. इस समस्या के बढ़ने पर पेट और आंत के अंदरूनी हिस्सों में भी सूजन हो सकती है क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस भी इसी के प्रकार है. आंकड़ों की माने तो वैश्विक स्तर पर लगभग 6 मिलियन से अधिक लोग इस समस्या से पीड़ित हैं.

आंत हमारे पाचन तंत्र के महत्वपूर्ण अंगों में से एक होती है. ऐसे में आहार आईबीडी के होने या उसके जोखिम को बढ़ाने तथा उसके लक्षणों को कम या ज्यादा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. गौरतलब है कि आईबीडी के लक्षणों को बढ़ाने और कम करने में आहार की भूमिका को लेकर इससे पहले भी कई शोध किए जा चुके है. जिनमें से कुछ में हाई शुगर डाइट के सूजन आंत्र रोग (इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज ) के विकास पर जोखिम का उल्लेख किया गया था. इसी तथ्य की पुष्टि के लिए पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चूहों पर यह शोध किया है.

कैसे हुआ शोध
जर्नल सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी में प्रकाशित हुए इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक तथा पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में पिट्सबर्ग के यूपीएमसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक्स और इम्यूनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ टिम हैंड ने मेडिकल न्यूज टुडे में बताया है कि इस अध्ययन में आईबीडी पर ज्यादा चीनी के प्रभाव का अध्ययन किया गया था. जिसके लिए उन्होने तथा उनकी टीम ने चूहों के दो समूहों पर स्टैंडर्ड/मानक चीनी आहार तथा उच्च-चीनी आहार के प्रभाव का परीक्षण किया था. इन दोनों समूहों में चूहों में आईबीडी जैसे प्रभाव देखने के लिए उन पर रसायन ट्रीटमेंट भी किया गया था.

इनमें से एक समूह को स्टैंडर्ड चीनी वाले आहार तथा दूसरे समूह को हाई शुगर वाला आहार खिलाया गया था. 14 दिनों तक चले इस प्रयोग में उस समूह के सभी चूहों की नौ दिनों के भीतर ही मृत्यु हो गई जिन्होंने अधिक चीनी वाला आहार खाया था. वहीं जिस समूह को स्टेंडर्ड शुगर वाला आहार दिया गया था वो सभी 14 दिनों तक जीवित रहे. इस प्रयोग के समापन के बाद जब शोधकर्ताओं ने उन चूहों के कोलन की जांच की जिन्होनें हाई शुगर डाइट ली थी , तो उन्होंने पाया कि चीनी की ज्यादा मात्रा वाला आहार खाने से उनमें आंतों के उपचार या पुनर्जनन प्रक्रिया बाधित हुई थी.

शोध के निष्कर्ष में डॉ टिम हैंड ने बताया कि हमारी आंत एक एपिथेलियल लेयर से ढकी होती है जिसकी ऊपरी परत पर म्यूकस होता है. इस इंटेस्टाइनल बैरियर को हर तीन से पांच दिनों में खुद को रीजेनरेट करने की आवश्यकता होती है. ऐसा 'स्टेम सेल' की क्रिया के माध्यम से होता है जो खुद की नई प्रतियां (कॉपी) बनाने के लिए विभाजित होता रहता है. ये स्टेम सेल क्षतिग्रस्त एपिथेलियम को पुनर्जीवित करने में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. परीक्षण के बाद जांच में पाया गया कि हाई शुगर डाइट ने आंत में स्टेम कोशिकाओं की टूटने तथा पुनर्निर्माण की क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित किया था. जिससे आईबीडी की गंभीरता भी बढ़ गई थी.

डॉ टिम हैंड ने मेडिकल न्यूज टुडे को बताया है कि इस विषय पर ज्यादा गहन अध्ययन के लिए वे तथा उनकी टीम अन्य शोध भी कर रहें हैं, जिनमें सिर्फ हाई शुगर ही नहीं बल्कि उच्च वसा वाले आहार के सीबीडी पर प्रभाव तथा कम प्रोटीन व कम वसा वाले आहार का कम आय वाले देशों में बच्चों में आंतों की बीमारी पर प्रभाव को लेकर भी अध्ययन किया जा रहा है.

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