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वाराणसी: बाढ़ में डूब न जाए बनारसी साड़ी उद्योग !

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Published : Sep 21, 2019, 11:30 AM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी के जलस्तर में काफी बढ़ोतरी हुई है. बाढ़ के कारण बनारसी साड़ी उद्योग पर खासा असर पड़ रहा है.

गंगा और वरुणा मिल के मचा रही तबाही.

वाराणसी: इन दिनों गंगा और वरुणा नदी के उफान से शहर के लोग काफी परेशान हैं. एक तरफ जहां गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण पानी सड़कों पर आ गया है, वहीं वरुणा नदी तबाही मचाने के लिए तैयार है. वरुणा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से बनारसी साड़ी उद्योग में खासा असर पड़ने वाला है.

जिन इलाको में वरुणा नदी का पानी घुस रहा है, वह इलाका बुनकर बाहुल्य क्षेत्र है. इन इलाकों से बनारसी साड़ी उद्योग का 80% हिस्सा संचालित होता है क्योंकि इन इलाकों में पावरलूम लगाए गए हैं. इस बढ़ते जलस्तर के कारण त्योहारी मौसम में बनारसी साड़ी तैयार करने में जुटे कारीगरों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ रहा है.

गंगा और वरुणा मिल कर मचा रहीं तबाही.

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वरुणा नदी के पार इलाकों जैसे सरैया, कोनिया पुलकोहना, पुरानापुल सहित लगभग 24 से अधिक जगहों पर बनारसी साड़ी उद्योग है. यहीं से बुनकर बनारसी साड़ियां तैयार कर गद्दी और शोरूम तक पहुंचाते हैं.

वहीं सितंबर माह में हमेशा इनका काम बड़ी तेजी से होता है, क्योंकि नवरात्रि से दशहरा और दिवाली के बाद शादी ब्याह की तैयारियों में साड़ियों की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन इस बार राजस्थान की चंबल और मध्य प्रदेश की दो अन्य नदियों से असमय आए पानी छोड़े जाने की वजह से गंगा और वरुणा का जलस्तर बढ़ गया है. इसी कारण कारोबार पूरी तरह ठप होता नजर आ रहा है. घर में पानी घुस जाने के कारण पावरलूम बंद करना पड़ रहा है और बुनकरों को घर छोड़ पलायन करना पड़ रहा है.

साड़ी तैयार करने वाले बुनकरों का ये है कहना

  • कई पावरलूम काफी ज्यादा डूब गए हैं.
  • पूरी तरह से पानी में डूबे होने के कारण पावरलूम तक पहुंच पाना मुश्किल है.
  • स्थिति यह है कि ताना-बाना में पानी चला गया है.
  • इसमें धागों से तैयार की जा रही साड़ियां भी फंसी हुई हैं.
  • इसकी वजह से लंबा नुकसान होने की भी आशंका है.
  • अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो आने वाले समय में बनारसी साड़ी उद्योग जो पहले से ही मंदी की चपेट में था, वह बाढ़ की कहर से और भी ज्यादा टूट जाएगा.
Intro:वाराणसी: शहर बनारस इन दिनों गंगा और वरुणा नदी के उफान से परेशान हैं हर कोई सहना है गंगा की तेज बढ़ रहे कदमों की वजह से एक तरफ गंगा जहां तेजी से ऊपर चढ़ते हुए सड़क तक आ पहुंची है वही वरुणा अभी तबाही मचाने की ओर अग्रसर हो रही है हजारों लोगों को बेघर करने के बाद अब वरुणा नदी का कहर बनारसी साड़ी उद्योग पर पड़ने वाला है क्योंकि जिन इलाकों में वरुणा का पानी घरों में घुसा है वह इलाका बुनकर बाहुल्य क्षेत्र है इन इलाकों से बनारसी साड़ी उद्योग का 80% हिस्सा संचालित होता है क्योंकि इन इलाकों में लगाए गए हैं पावर लूम और हद कर के जो अब पानी में डूबने लगे हैं जिसकी वजह से त्योहारी मौसम में बनारसी साड़ी तैयार करने में जुटे कारीगरों अपना घर छोड़कर जाना पड़ रहा है.


Body:वीओ-01 दरअसल वरुणा पार इलाके के सरैया, कोनिया पुलकोहना, पुरानापुल समेत लगभग दो दर्जन से ज्यादा इलाकों में बनारसी साड़ी उद्योग फूलता फलता है क्योंकि इन्हीं इलाकों में रहने वाले बुनकर बनारसी साड़ियां तैयार कर गद्दी और शोरूम तक ले पहुंचाते हैं, और सितंबर माह में हमेशा इनका काम पीक पर होता है क्योंकि नवरात्र से दशहरा और दिवाली के बाद शादी ब्याह की तैयारियों में साड़ियों की डिमांड के अनुरूप यह काम तेज करते हैं लेकिन इस बार राजस्थान की चंबल और मध्य प्रदेश की दो अन्य नदियों से असमय आए पानी की वजह से गंगा वरुणा सितंबर में ही बढ़ गई है जिसकी वजह से इनका कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया पावरलूम हद कर के बंद पड़े हैं घर पूरी तरह से पानी में डूबे हुए हैं जिसकी वजह से इन्हें घर छोड़कर बाहर निकलना पड़ा है और साड़ी बनाने का काम रुक गया है.


Conclusion:वीओ-02 साड़ी तैयार करने वाले बुनकरों का कहना है कि कई पावरलूम हद कर गए तो पूरी तरह से पानी में डूबे हुए वहां तक पहुंच पाना भी मुश्किल है. अब कई की यह स्थिति है ताना-बाना पानी के अंदर चला गया है और इसमें धागों के बल पर तैयार की जा रही साड़ियां भी फंसी हुई है जिसकी वजह से इनको लंबा नुकसान होने की भी आशंका है. अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो आने वाले समय में बनारसी साड़ी उद्योग जो पहले से ही मंदी की चपेट में था वह बाढ़ के कहर से और भी ज्यादा टूट जाएगा.

बाईट- रमजान अली, बुनकर

गोपाल मिश्र

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