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Corona Effect: पर्यटकों बिन सूनी रही काशी, लगा 500 करोड़ का झटका

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Published : Aug 26, 2021, 5:28 PM IST

वाराणसी की रीढ़ यहां का पर्यटन उद्योग (tourism industry) माना जाता है, लेकिन कोरोना काल (corona period) में यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसको उबरने में वक्त लगने वाला है. टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन (Tourism Welfare Association) का अनुमान है कि कोरोना की दूसरी लहर (second wave of covid) की अवधि में उद्योग को करीब 500 करोड़ रुपये का घाटा (500 crore loss) हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

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कोरोना से काशी के पर्यटन उद्योग को करोड़ों का नुकसान

वाराणसी: काशी के पर्यटन (Kashi Tourism) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार (central and state government) तमाम कवायदें कर रही हैं. काशी को नई-नई सौगातें भी दी जा रही हैं, लेकिन कोरोना महामारी (corona pandemic) के दंश ने काशी के पर्यटन को खासा प्रभावित (tourism affected) किया है. इतना ही नहीं इस बार सावन माह के दौरान काशी में उम्मीद से बेहद कम पर्यटक पहुंचे, जिससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को बड़ा आर्थिक (economic) झटका लगा है. अनुमान के मुताबिक, कोरोना काल (corona period) में एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहले ही यहां के पर्यटन को हो चुका था. अब सावन माह में पर्यटकों की कमी ने नुकसान को और बढ़ा दिया है. ऐसे में पर्यटन की कमर पूरी तरह टूट चुकी है और इससे जुड़े लोग प्रभावित हुए हैं.

कोरोना काल में सबसे अधिक नुकसान पर्यटन उद्योग को हुआ है. इस नुकसान से देश की पर्यटन नगरी में शुमार और सांस्कृतिक राजधानी कहा जाने वाला वाराणसी भी अछूता नहीं है. यहां, अगर हालात न सुधरे तो हजारों करोड़ का नुकसान और उठाना पड़ सकता है, लिहाजा अब पर्यटन उद्यमी किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं. दरअसल, देश में कोरोना की शुरूआत और लॉकडाउन के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें (international flights) कभी बंद हुईं तो कभी चालू हुईं, जिसका सबसे ज्यादा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ा. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती (economy strengthen) देने वाले पर्यटन नगरी में वाराणसी का नाम भी शुमार है, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अनलॉक (Unlock-2) में पर्यटन उद्योग लगभग ठप पड़ा हुआ है.

कोरोना से काशी के पर्यटन उद्योग को करोड़ों का नुकसान


पर्यटन से जुड़े हुए कारोबारी अभिषेक सिंह बताते हैं कि पर्यटन के गिने-चुने कुछ सीजन होते हैं, जब टूरिस्ट काशी विजिट करते हैं. काशी महादेव (Lord Shiva) की नगरी है तो यहां पर पर्यटक बाबा विश्वनाथ पर आस्था और यहां की खूबसूरती को निहारने के लिए भी आते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) के कारण लगी पाबंदियों ने टूरिस्टों के आने पर रोक लगा दी. इससे पर्यटन बेहद प्रभावित हुआ. उन्होंने बताया कि पहले टूरिस्ट आने वाले थे, लेकिन प्रशासन की मनाही पर लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसल करा दी. इस कारण समस्याओं का आलम ऐसा है कि कई लोगों को अपनी गाड़ियां तक सेल आउट करनी पड़ रही हैं, ताकि वह अपने और अपने परिवार का गुजारा कर सकें.

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रेस्टोरेंट संचालक संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर (second wave of covid) के बीच अनलॉक के दौरान जुलाई माह में रेस्टोरेंट खोला था. उम्मीद थी कि जुलाई में पर्यटक आएंगे और लाभ मिलेगा, लेकिन उम्मीद के मुताबिक पर्यटकों का अभाव रहा. इससे हमारा काफी ज्यादा नुकसान हुआ. अब इस वर्ष की एक उम्मीद देव दीपावली बची है. उस सीजन में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित लोगों को कुछ मुनाफा मिल सकता है. हालांकि, काशी को पर्यटन के लिहाज से कई बड़ी सौगातें दी गई हैं. यदि, देव दीपावली में पर्यटक आते हैं तो काशी को एक बड़ा फायदा होगा.

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टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं कि बनारस में यदि कोई यात्री आता है तो उसका संबंध सिर्फ घूमने से नहीं होता, बल्कि यहां के कारोबार से भी होता है. सावन में काशी कावड़ यात्री आते हैं. उनसे यहां आने से पर्यटन क्षेत्र और व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी फायदा मिलता है. पर्यटक काशी आकर यहां की साड़ियां मशहूर चीजों की खरीदारी करते हैं, जिससे कारोबारियों को भी लाभ होता है. काशी में सावन की खूबसूरती और कावड़ यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश के लोग भी आते हैं, लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित होने के कारण न ही घरेलू पर्यटक आए न ही विदेशी, जिसके कारण इस अवधि में काशी के पर्यटन को करीब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. पिछली बार कोरोना की पहली लहर में लगभग 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पर्यटन विभाग झेल चुका था. ऐसे में फिर से नुकसान कमर तोड़ने जैसा है.

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पर्यटन से जुड़ा होता है लोगो का रोजगार
बता दें कि पर्यटन उद्योग से मुख्य तौर पर होटल इंडस्ट्री, टूरिस्ट गाइड, टूर एवं ट्रैवल कंपनियां, प्रोग्राम और इवेंट मैनेजर और छोटे-मोटे दुकानदार जुड़े होते हैं, लेकिन टूरिस्ट विजिट न होने से इन लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. पीक सीजन में भी इनके पास कोई काम नहीं है. ऐसे में यह सिर्फ इस उम्मीद से बैठे हुए हैं कि शायद अगला सीजन इनके लिए बेहतर होगा और उन्हें दो पैसे की कमाई हो पाएगी.

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