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रसोई ही नहीं परिवार भी संभाल रहीं यूपी के इस गांव की महिलाएं, अपने हुनर से बना रही नई पहचान

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 5:18 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi News) जिले के सुलतानपुर गांव की महिलाएं पहले सिर्फ मिट्टी के दीए बनाया करती थीं. लेकिन, पर्यटन विभाग की मदद से अब ये महिलाएं मिट्टी की अन्य कलाकृतियां भी बना रही हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है. आईए जानते हैं महिलाएं क्या-क्या बना रहीं हैं.

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वाराणसी में महिला सशक्तिकरण पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की रिपोर्ट

वाराणसी: एक ओर जहां सरकार ने महिला आरक्षण बिल को पास कर महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास किया. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सशक्त हो रही महिलाओं की एक बेहद खूबसूरत तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर है सुलतानपुर गांव की. जहां महिलाएं अपने हुनर से रसोई से लेकर के परिवार को चलाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.

वाराणसी में कैसे हो रहा महिला सशक्तिकरण
वाराणसी में कैसे हो रहा महिला सशक्तिकरण

इस गांव की महिलाएं पहले जहां पारंपरिक दीए बनाकर अपने जीवन का गुजारा करती थीं, अब ये महिलाएं पर्यटन विभाग की मदद से नई कलाकृतियां तैयार कर अपनी आमदनी को बढ़ाने का काम कर रही हैं. इसके लिए महिलाओं को 20 दिन की ट्रेनिंग दी गई, जिसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और विद्यार्थियों ने इन महिलाओं को मिट्टी के अलग-अलग आकृतियों को बनाना सिखाया, जो इनके जीवन को नया आकर दे रहा है.

वाराणसी में कैसे हो रहा महिला सशक्तिकरण
वाराणसी में कैसे हो रहा महिला सशक्तिकरण

महिलाओं ने बनानी सीखी बेहतरीन कलाकृतियांः मिट्टी की कलाकृति बनाने वाली ममता ने बताया कि 'हम लोग पहले सामान्य दीए बनाते थे. फिर हमसे पर्यटन विभाग के लोगों ने मुलाकात की. उन लोगों ने हमें सपोर्ट किया. इसके बाद हमने गणपति बनाना, पॉट बनाना सीखे हैं. इससे पहले सिर्फ दीया बनाने का काम करते थे. क्योंकि हमें और कुछ बनाना आता ही नहीं था. बीस दिन की ट्रेनिंग में हमने बहुत कुछ सीखा है. हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है. वॉल हैंगिंग बनाना, दीवार पर टांगने के लिए चिड़िया बनाना और कलश बनाना सीखा. इसके साथ ही गणेश जी की अलग-अलग आकृतियां बनान सीखीं हैं.'

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वाराणसी के सुलतानपुर गांव की महिलाओं के द्वारा तैयार की वॉल हैंगिंग

तैयार हुए प्रोडक्ट बनारस से बाहर जाएंगेः कलाकृतियां बनाने वाली महिलाएं बताती हैं, 'सामान्य दीए बनाने से लेकर वॉल हैंगिंग बनाना हम लोगों ने सीखा है. इससे हमारी आय में भी बहुत बदलाव देखने को मिला है. पहले जब हम लोग बनाते थे तो छोटे प्रोडक्ट होते थे. वे बहुत कम दाम में बिकते थे. अब जो भी माल हम लोग बनाएंगे वह बाहर जाएगा. हमें उससे अच्छी आय मिलेगी. हम लोगों ने ट्रेनिंग ली और अब हम जिम्मेदारी लेते हैं कि हम और भी अच्छे माल तैयार कर सकते हैं. हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि सरकार हमें मिट्टी दिला दे. क्योंकि, मिट्टी की हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है.'

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वाराणसी के सुलतानपुर गांव की महिलाओं कलाकृतियों के लिए इस तरह से तैयार करती हैं मिट्टी

बिजली की समस्या करा देती है नुकसानः महिलाओं का कहना है कि बिजली की समस्या भी काफी हो जाती है. अगर हम कोई प्रोडक्ट चाक पर बना रहे हैं और बिजली कट गई तो फिर वह प्रोडक्ट खराब हो जाता है. अगर लाइट दो घंटे नहीं आई तो उसकी मिट्टी खराब हो जाती है. उसे चाक से उतारना पड़ता है. मिट्टी को फिर से लपेटना और उसे दोबारा बनाना हमारे लिए बहुत ज्यादा मेहनत का काम हो जाता है. वही ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित करने वाली प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर चंद्रा कार्की ने बताया कि सुलतानपुर गांव में 65 परिवार मिट्टी का काम करते हैं. 144 रजिस्टर्ड आर्टिस्ट हैं. हमने इनके हुनर को देखते हुए इनसे इन्हीं की कला के आधार पर प्रोडक्ट बनवाए हैं. इन्हें बीएचयू के द्वारा ट्रेनिंग दिलाई गई है.

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वाराणसी के सुलतानपुर गांव की महिलाएं इस तरह से तैयार करती हैं कलाकृतियां

पर्यटन गांव के रूप में विकसित हो रहा सुलतानपुरः खास बात यह है कि इन महिलाओं के हुनर को तराशने का काम पर्यटन विभाग कर रहा है, जिसके तहत बाकायदा यहां पर एक ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाया गया है. जहां महिलाओं को पारंपरिक दीए बनाने की जगह नई व अनोखी कलाकृतियों को बनाना सिखाया गया. यह लाभ इनके जीविकोपार्जन में बेहद मददगार साबित हो रही है. यह गांव पर्यटन गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसके तहत निश्चित रूप से इन महिलाओं के भविष्य के का मार्ग और भी ज्यादा प्रशस्त हो रहा है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जो महिलाएं कलतक घर संभालती थीं, आज वो अपने जीवन को बेहतर बनाने का काम कर रही हैं.

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वाराणसी के सुलतानपुर गांव की महिलाओं के द्वारा तैयार की गईं कलाकृतियां

हस्तकला को निखार रहा पर्यटन विभागः पर्यटन उप निदेशक आरके रावत ने बताया कि बनारस के पर्यटन को विस्तार देने के साथ ही पर्यटन गांव बनाने की भी योजना चल रही है. इसके तहत गांवों की हस्तकलाओं को निखारा जा रहा है और इसके तरह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इसमें विभाग गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग देकर हुनरमंद बना रहा है, जिससे वहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़े और उन महिलाओं की आमदनी भी बढ़ाई जा सके. वाराणसी में पर्यटन विभाग द्वारा ऐसे लगभग 10 गांवों का चुनाव किया गया है, जहां पर ऐसे गांवों को हैरिटेज गांव के रूप में विकसित किया जाना है.

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वाराणसी के सुलतानपुर गांव की महिलाओं के द्वारा तैयार की गईं कलाकृतियां

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