वाराणसी: उत्तर प्रदेश में धान का कटोरा कहे जाने वाला चंदौली जिला अब मछली पालन के लिए भी देश में जाना जाएगा. दिल्ली-कोलकत्ता नेशनल हाई वे पर अब अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी (Ultra Model Fish Market) बनने जा रही है. करीब 1 हेक्टेयर में 62 करोड़ की लागत से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी बनेगी. इस मंडी के बनने से पूर्वांचल के मत्स्य पालन करने वालों की आय दोगुनी से भी ज्यादा होने की उम्मीद है.
होलसेल, रिटेल और मछली पालन से संबंधित सभी उपकरण सीड्स, दवाएं, चारा सभी कुछ एक छत के नीचे उपलब्ध होगा. एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट, प्रशिक्षण के लिए कांफ्रेंस हॉल, प्रोसेसिंग यूनिट समेत कई तरह की सुविधाएं होंगी. नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड हैदराबाद से ग्रीन सिग्नल मिलते ही पूर्वांचल की सबसे बड़ी इस आधुनिक मत्स्य मंडी के बिल्डिंग का काम शुरू हो जाएगा.
62 करोड़ लागत से बनेगी तीन मंजिला इमारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के बगल के जिला चंदौली में बनने जा रहा है. इसके बनने से पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन करने वालों को सुविधा मिलेंगी. साथ ही बड़े पैमानें पर रोजगार का सृजन होगा. कोलकत्ता से दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-2) पर चंदौली में भारत की सबसे आधुनिक मत्स्य मंडी बनेगी. दस हजार वर्गमीटर में लगभग 62 करोड़ की लागत से तीन मंजिला इमारत होगी. इस बिल्डिंग में मछली पालन के तरीकों, मार्केटिंग, तकनीक, एक्सपोर्ट से लेकर मछली के कई प्रकार के डिश पकाने और खाने तक की सुविधा होगी.
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अभी है 200 करोड़ का कारोबार
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि वाराणसी मंडल में करीब 200 करोड़ का व्यवसाय है. जिसे पांच सालों के अंदर 2 गुना करने का लक्ष्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रखा है. उन्होंने बताया कि ये देश की पहली अपने तरह की मत्स्य सम्बंधित कारोबार की अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग होगी. जिसमें मछली का होलसेल और रिटेल मार्किट भी रहेगा. साथ ही मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, सेमिनार आदि होगा. पीपीपी मॉडल पर तीसरी मंजिल पर एक एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट होगा. जहां फिश के कई प्रकार के व्यंजनों का स्वाद कोई भी चख सकेगा.
कई किस्म की होंगी मछलियां
विदेशों में सबसे ज्यादा मांग वाली टेलिपिया किस्म की मछली का पैदावार करके, यहां से एक्सपोर्ट करने का प्लान है. नार्थ ईस्ट, कोलकत्ता, नेपाल समेत कई जगहों पर यहां के मछलियों की खासी मांग है. इस इलाके में करीब 30 से 35 किस्मों की मछलियों का पालन होता है. पहले करीब 20 प्रतिशत मछलियां खराब हो जाया करती थी. परिवहन की सुविधा और तमाम आधुनिक सुविधाओं से अब मछलियों के महज पांच प्रतिशत से भी कम खराब होने की उम्मीद है. कनेक्टिविटी के हिसाब से भी ये जगह अच्छी है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन बेहद करीब है. वाराणसी मुख्यालय से 32 किलोमीटर और एयरपोर्ट से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है. महज 35 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी के राजातालाब में पेरिशेबल कोल्ड स्टोरेज है. जहां मछलियां को कई दिनों तक ताजी और सुरक्षित रखा जा सकती है. जिसका सीधा लाभ मछली पलकों को मिलेगा.
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होंगी बहुत हाईटेक सुविधाएं
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक ने बताया कि अल्ट्रा मॉडल मत्स्य बिल्डिंग देश की पहली ऐसी आधुनिक इमारत होगी. जहां एक छत के नीचे सभी सुविधाएं होंगी. व्यापारियों के और ट्रक ड्राइवरों के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा. वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर में अभी करीब 1500 मछली पालक है, जो बड़े पैमाने पर काम कर रहे है. प्रत्यक्ष औरा अप्रत्यक्ष रूप से 3 हजार से ज्यादा परिवार इस व्यवसाय से जुड़ा है. मंडी में 100 दुकानें होंगी भी होंगी. इस अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग के बन जाने से पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होगा. मत्स्य कारोबार के साथ ही किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जाएंगे.