ETV Bharat / state

बनारस में गंगा को दूषित कर रहीं उसकी ही दो सहायक नदियां, लाख प्रयास के बाद भी नहीं सुधर रहे हालात

author img

By

Published : May 17, 2023, 6:54 PM IST

बनारस में गंगा नदी को साफ करने के लिए कई अभियान चलाए गए, लेकिन फिर गंगा नदी साफ नहीं हो पाई. बताया जा रहा है कि गंगा की दो सहायक नदियां ही गंगा नदी को प्रदूषित कर रही हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं..

etv bharat
बनारस में गंगा

वाराणसी वरुणा और अस्सी के बीच में ही बसा हुआ है.

वाराणसी: 'गंगा तेरा पानी अमृत' और इसी अमृत को बचाने के लिए लंबे वक्त से सरकारें प्रयास कर रही हैं. कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन गंगा के हालात क्या अभी सुधर सके हैं? यह सवाल बड़ा है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद गंगा निर्मलीकरण अभियान को रफ्तार देने की कोशिश की. पीएम मोदी ने खुद गंगा के किनारे पहुंचकर श्रमदान किया और गंगा स्वच्छता के लिए नए मंत्रालय को बनाकर इस प्रयास को एक नया रूप देने की कोशिश की, लेकिन क्या उनके संसदीय क्षेत्र बनारस में गंगा वाकई में साफ हो गई है और क्या अब कोई भी नाला गंगा में सीधे नहीं गिर रहा? इन्हीं सवालों का जवाब हमने तलाशने की कोशिश की.

इसके बाद स्पष्ट हुआ कि गंगा को दूषित करने का काम उसकी ही दो सहायक नदियां अस्सी और वरुणा कर रही हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि जल निगम व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी के रहे हैं. वर्तमान समय में वाराणसी में गंगा में जा रहे सीवर को रोकने के लिए संचालित हो रहे 8 एसटीपी भी अब तक गंगा में गिर रहे सीवर को पूरी तरह से रोकने में नाकाम है. हालात ये हैं कि वाराणसी में लगभग 332 एमएलडी सीवरेज को भले ही शोधित करके गंगा में भेजा जा रहा है, लेकिन अब भी लगभग 80 से 85% सीवरेज सीधे गंगा में जा रहा है. जिसके लिए दोषी गंगा की सहायक नदी अस्सी और वरुणा है.

दरअसल, वाराणसी को अस्सी और वरुणा के बीच के संगम के तौर पर जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पूरा वाराणसी वरुणा और अस्सी के बीच में ही बसा हुआ है और इन दो सहायक नदियों के उद्गम से लेकर अंत तक यह इतनी ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हैं कि इनसे गंगा के स्वच्छता पर सीधा असर पड़ रहा है. इस बारे में उत्तर प्रदेश जल निगम और गंगा स्वच्छता का काम देख रहे परियोजना अभियंता विकी कश्यप का कहना है कि बनारस में तमाम काम हो रहा है. बहुत से एसटीपी तैयार हुए हैं अभी हाल ही में 140 एमएलडी एसटीपी का भी उद्घाटन हुआ.

गंगा
गंगा नदी में गिर रहा नाले का पानी

अस्सी और वरुणा की अगर हम बात करते हैं तो अस्सी में टोटल डिस्चार्ज 70 से 75 एमएलडी है. जिसे हम 50 एमएलडी फिल्टर के लिए रमना एसटीपी भेजते हैं, बाकी जो 20 से 25 एमएलडी का जो बाकी डिस्चार्ज है उसका कोई अब तक स्थाई समाधान नहीं है. यानी सीधे तौर पर लगभग 25 एमएलडी अस्सी नदी का सीवरेज सीधे गंगा में अभी जा रहा है. इसके अलावा दूसरा ड्रेनेज नक्खा नाला सामने घाट है. उसके जरिए भी लगभग 5 से 10 एमएलडी सीवरेज का पानी सीधे गंगा में पहुंच रहा है.

विक्की कश्यप ने बताया कि वर्तमान समय में गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए 7 एसटीपी क्रियान्वित किए जा रहे हैं. जबकि एक अन्य बीएचयू में है. 7 एसटीपी से ट्रीटेड वॉटर लगभग 324 एमएलडी और 8 एमएलडी बीएचयू से ही पानी को ट्रीट करके हम गंगा तक ले जा पा रहे हैं और अस्सी और वरुणा को मिला लिया जाए तो लगभग 100 एमएलडी के आस पास अभी भी अनट्रीटेड वाटर गंगा में जा रहा है. दरअसल, इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह तो कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन अब भी कितने प्रयासों के बाद गंगा में सीधे इतने नालो का मिलना कई सवाल जरूर खड़े करता है.

गंगा
गंगा नदी

ये हैं आंकड़े
: जनपद में क्रियान्वित होने वाले 8 एसटीपी के जरिए लगभग 432 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट के बाद इसे गंगा में गिराया जा रहा है.
: अब तक लगभग 100 एमएलडी के आसपास मल-मूत्र और गंदगी सीधे गंगा में जा रही है.
: इसकी बड़ी वजह यह है कि वाराणसी में अब 29 सालों में से 26 नालों को तो बंद किया जा चुका है.
: 3 नाले ऐसे हैं, जिनका गंदा पानी सीधे अब तक गंगा में जा रहा है, जिसमें अस्सी नाला, नक्खा नाला और रामनगर सूजाबाद के पास एक अन्य नाला शामिल हैं.
: इन तीनों नालों के जरिए अब भी हर रोज बड़ी मात्रा में शहरी क्षेत्र से पानी सीधे गंगा में पहुंच रहा है.
: अस्सी नदी के जरिए 33 एमएलडी जबकि वरुणा नदी से भी लगभग 37 एमएलडी गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है.
: कुल मिलाकर 70 एमएलडी पानी तो इन दो नदियों के जरिए ही गंगा में पहुंच रहा है.
: शहर के अन्य हिस्सों से 30 एमएलडी पानी अभी गंगा में जा रहा है.
: उसकी बड़ी वजह नालों को अब तक बंद नहीं किया जा सका है छोटे-छोटे नाले कई घाटों से सीधे गंगा में गिर रहे हैं.

हालांकि जब इस बारे में प्रोजेक्ट मैनेजर जल निगम आशीष कुमार से बातचीत की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि अभी गंगा में पूरी तरह से 9 लोगों को रोकने में लगभग 2 से ढाई साल का वक्त लगेगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि जमुना में 50 एमएलडी की क्षमता के एसटीपी है और भगवानपुर एसटीपी की क्षमता अभी 10 एमएलडी है. ऐसे में भगवानपुर में 55 एमएलडी क्षमता का एक और नया एसटीपी जल्द लगाए जाने का काम शुरू होने जा रहा है, जिसके बाद गंगा नदी की सहायक नदी अस्सी के जरिए गंगा में जा रहा है गंदा पानी फिल्टर करके भेजा जा सकेगा.

इसके अलावा सूजाबाद में दो नालों को टैब करके उसे रोकने के लिए भी यहां एसटीपी का काम शुरू करने की तैयारी की जा रही है. गंगा प्रदूषण इकाई जल निगम के परियोजना अभियंता विक्की कश्यप का कहना है कि 308 करोड़ों रुपये की लागत से भगवानपुर में एसटीपी बनने के बाद समस्या का हल बहुत हद तक हो जाएगा. वहीं, लोहता दुर्गा एसटीपी 348 करोड़ रुपये की लागत से एक नया एसटीपी तैयार किए जाने की तैयारी चल रही है. यह 55 एमएलडी शोधन क्षमता का एसटीपी गंगा में जा रहे वरुणा के जरिए नालों को ट्रीट करने का बड़ा काम करेगा. इसके अलावा सूजा बाद में दोनों को टाइप करने के लिए 198 करोड़ रुपये की लागत से 5 एमएलडी एसटीपी प्रस्तावित है. इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है और नमामि गंगे के तहत इसे जल्द मंजूरी भी मिलने वाली है.

ये 8 एसटीपी हैं क्रियान्वित
1. गोइठहां में 120 एमएलडी
2. दीनापुर में 80 एमएलडी
3. दीनापुर में 140 एमएलडी
4. रमना में 50 एमएलडी
5. रामनगर में 10 एमएलडी
6. भगवानपुर में 10 एमएलडी
7. बीएलडब्ल्यू में 12 एमएलडी
8. बीएचयू में 10 एमएलडी

पढ़ेंः पढ़ेंः आखिर कब निर्मल होंगी गंगा, डुबकी लगाने से कतरा रहे श्रद्धालु

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.