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बनारस के घाटों की बदलेगी तस्‍वीर, खुद बताएंगे अपना इतिहास

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Published : Jun 25, 2021, 2:31 PM IST

काशी स्मार्ट सिटी के तहत नगर की ऐतिहासिक धरोहरों एवं प्राचीन विरासतों के बारे में बताया जाएगा. यहां आने वाले पर्यटकों और यात्रियों को आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने के लिए गंगा नदी के किनारे 84 घाटों पर हेरिटेज साइनेज लगाए जा रहे हैं. ये साइनेज पर्यटकों के मार्गदर्शन व अन्य ऐतिहासिक स्थलों से संबंधित जानकारी देंगे.

बनारस के घाटों की बदलेगी तस्‍वीर
बनारस के घाटों की बदलेगी तस्‍वीर

वाराणसी: बनारस पूरे विश्व का सबसे पवित्र व प्राचीनतम शहर है. यह धर्म संस्कृति का केंद्र बिंदु है. अस्सी घाट से लेकर आदि केशव तक हर घाट की अपनी अलग ठाठ है. यहां किसी घाट की पहचान वहां की ऐतिहासिक धरोहर है, तो किसी की मंदिर व मस्जिद है. यहां कई घाट हैं जो मौज मस्ती अल्हड़पन के लिए जाने जाते हैं. इन्हीं घाट पर स्नान के बाद भांग बूटी की मस्ती में डूबे साधु -सन्यासी, औघड़ व यहां के निवासियों की बनारसी मस्ती की अद्भुत छवि को महसूस करने के लिए पूरा विश्व यहां आता है. इसे समझना और जीना चाहता है, लेकिन जब वह यहां पहुंचता है तो घाटों की भूलभुलैया, रास्ते, सीढ़ियों व यहां की आधी अधूरी जानकारी में वो इधर-उधर भटकता रहता है. लेकिन अब यहां आने वाले पर्यटकों को भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि वाराणसी स्मार्ट सिटी ने उनके लिए एक नई योजना बनाई है. बनारस में साइनेज हेरिटेज प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है. यह प्रोजेक्ट न सिर्फ घाटों का इतिहास बताएगा, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों को सही रास्ता दिखाएगा. साथ ही काशी के गौरव को भी बढ़ाएगा.

घाट बताएंगे अपनी कहानी
गौरतलब हो कि स्मार्ट सिटी के साइनेज प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के बाद अब सभी घाट खुद अपनी मैप, कहानी व ऐतिहासिकता को बताएंगे. स्मार्ट सिटी के जीएम डॉ.डी वासुदेवन ने बताया कि स्मार्ट सिटी के द्वारा शुरू किए गए साइनस हेरिटेज प्रोजेक्ट में 5 तरीके के साइनेज तैयार किए जा रहे हैं. जिनमें पहला साइनेज नेम प्लेट का है. दूसरा इनफॉरमेशन साइनेज हैं, तीसरा कल्चरल साइनेज, चौथा स्टेप साइनेज और पांचवा मैप साइनेज हैं. यह 5 तरीके के अलग-अलग साइनेज अलग-अलग घाटों पर लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि पहला नेम प्लेट साइनेज वाराणसी के हर घाट पर लगाया गया है, जो उस घाट का नाम दर्शा रहे हैं. इससे बोटिंग करने वाले या घाटों का भ्रमण करने वाले लोगों को घाटों के नाम के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी और वह समझ सकेंगे कि वाराणसी का कौन सा घाट कहां पर स्थित है.

देखें रिपोर्ट

20 प्रसिद्ध घाट पर लगेगा इंफॉर्मेटिव साइनेज
उन्होंने बताया कि दूसरा साइनेज इंफॉर्मेटिव साइनेज हैं. जिसके तहत बनारस के 20 घाटों पर बड़े साइज के साइन बोर्ड लगाए जाएंगे. इस बोर्ड पर घाट का इतिहास, इससे जुड़ी कहानी व अन्य जानकारियों को लिखा जाएगा. जिससे पर्यटक घाट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को भी हासिल कर सकेंगे.

बनारस के टाइम लाइन को भी किया गया है शामिल
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही तीसरा कल्चरल साइनेज को रखा गया है. इसके तहत वाराणसी के 2 घाटों का चयन हुआ है. पहला अस्सी घाट और दूसरा खिड़कियां घाट. अस्सी घाट पर जो साइनेज लगेगा, उसमें वाराणसी के सभी घाटों का मैप लगाया जाएगा, उनकी महत्वता बताई जाएगी. इसके साथ ही उन घाटों का इतिहास और वहां मौजूद महत्वपूर्ण धरोहरों को भी उसमें रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि यह पूरी तरीके से घाटों का ज्योग्राफिकल डिस्क्रिप्शन होगा. जिससे पर्यटक आसानी से एक स्थान पर खड़े होकर के बनारस के सभी घाटों को समझ सकेंगे. इसी क्रम में दूसरा टाइमलाइन साइनेज वाराणसी की खिड़कियां घाट पर लगाया जाएगा. इसमें बनारस की टाइम लाइन को दर्शाया जाएगा. बनारस की ऐतिहासिकता से लेकर के वर्तमान समय के घटनाओं को इसमें रखा जाएगा. जिससे पर्यटक समझ पाएंगे कि बनारस का इतिहास क्या है और वर्तमान में की क्या स्थिति है. इसके साथ ही इसके दूसरे तरफ आसपास के महत्वपूर्ण धरोहरों के बारे में लिखा होगा. जिससे लोग बनारस की टाइमलाइन के साथ-साथ घाटों के आसपास मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को भी जान सकेंगे.

सीढ़िया भी बताएंगी कहानी
उन्होंने बताया कि चौथे साइनेज के तहत वाराणसी के घाटों पर भी स्टेप साइनेज लगाया जाएगा. जिससे लोग सीढ़ियों के माध्यम से भी उस घाट की महत्वपूर्ण घटनाओं को जान सकेंगे. उन्होंने बताया कि जो महत्वपूर्ण तथ्य बोर्ड साइनेज पर उपलब्ध नहीं है. वह प्रत्येक घाटों की सीढ़ियों पर लिखे होंगे.

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तीन तरह के बोर्ड हैं शामिल
प्रोजेक्ट से जुड़े आशीष वाष्णेयन ने बताया कि इस परियोजना के तहत 3 तरीके के बोर्ड बनवाएं जा रहे हैं. जिसमें कॉटन स्टील, स्टेनलेस स्टील और कंक्रीट का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सामग्री घाटों की खूबसूरती को और बढ़ाएंगे. उन्होंने बताया कि बाढ़ के समय में ऐसा देखा जाता है कि घाट पानी में डूब जाते हैं. जिसकी वजह से घाटों पर लिखे हुए नाम खराब हो जाते हैं, लेकिन यह जो साइनेज लगाए जा रहे हैं. वह जैसे-जैसे पुराने होंगे वैसे जैसे इनकी खूबसूरती और बढ़ेगी.

बनारस के घाटों की बदलेगी तस्‍वीर.
बनारस के घाटों की बदलेगी तस्‍वीर.

मैपिंग साइनेज होगा बेहद खास
उन्होंने बताया कि हमने तकनीकी और प्राचीनता के मेल के साथ इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है. यह प्रोजेक्ट एक ओर जहां आधुनिक तकनीकी का परिचय देगा तो वहीं दूसरी ओर काशी की ऐतिहासिकता को भी सहेज के रखेगा. उन्होंने बताया कि इन सभी साइनेज में मैपिंग साइनेज बेहद खास होगा. इसमें एक पत्थर पर मैप तैयार होगा, जिसमे बनारस के धरोहर, घाट के प्रसिद्ध धरोहरों की मैपिंग तैयार की जाएगी. उन्हें पत्थरों के माध्यम से उकेरा जाएगा और नीचे कुछ साइनेज दिए होंगे, वहा नाम लिखे होंगे, जिसके जरिए लोग उस क्षेत्र के ऐतिहासिक धरोहर, वहां के मैप नाम को समझ सकेंगे. विदित हो कि वाराणसी के भारत माता मंदिर में इस प्रकार के मैपिंग साइनेज का प्रयोग किया गया है.

पर्यटकों के लिए होगा आकर्षक
उन्होंने बताया कि काशी अपने आप में प्राचीन शहर है. यहां पर्यटक इसकी प्राचीनता को समझने आते हैं. लेकिन जब वह घाट पहुंचते हैं तो वहां की बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती. जिसके लिए उन्हें वहां मौजूद स्थानीय लोगों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें आधी अधूरी की जानकारी मिल पाती है. परंतु इस प्रोजेक्ट के बाद पर्यटकों को इस तरीके की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्हें स्वयं घाट ही अपनी पूरी कहानी बताएंगे. वह बोर्ड के माध्यम से घाट के इतिहास उसकी गाथा व कहानियों को जान सकेंगे. क्योंकि इन बोर्ड पर एक क्यूआर- कोड भी लगा हुआ होगा. जो उन्हें स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर लेकर के जाएगा, जहां उन्हें अलग-अलग भाषाओं में घाटों की जानकारी मिलेगी, जिसे वह पढ़ व सुन सकेंगे.

4.3 करोड़ की लागत का है प्रोजेक्ट
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का कार्य दिल्ली की एक कंपनी को सौंपा गया है, जो लाल किले के साथ-साथ अन्य कई धरोहरों के सुंदरीकरण का कार्य कर चुकी है. उन्होंने बताया कि इस परियोजना में लगभग 4.3 करोड़ की लागत आई है और आगामी महीनों में यह प्रोजेक्ट तैयार हो जाएगा. इसके तहत ओपन म्यूजियम यानि कि जो हमारे घाट हैं. इसकी खूबसूरती बढ़ेगी साथ ही यह काशी का भी गौरव बढ़ाएगा.

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