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राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए जाने से धर्माचार्यों में आक्रोश, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

मोदी सरकार की ओर से राम मंदिर को लेकर ट्रस्ट बनाए जाने का स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाया आरोप.
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Published : Feb 6, 2020, 5:38 PM IST

वाराणसी: राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा किए जाने के बाद वाराणसी के संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ट्रस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने कोर्ट की अवमानना कर ट्रस्ट बनाए जाने का आरोप लगाया है. साथ ही ट्रस्ट में शामिल संतों पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है. उन्होंने वासुदेवानंद को फर्जी शंकराचार्य बताया है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाया आरोप.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि ट्रस्ट की पूरी प्रक्रिया गलत है. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. नरेंद्र मोदी ने संसद में खड़े होकर झूठ बोला है. सब कुछ फर्जी है. सब कुछ गड़बड़ है. फर्जी शंकराचार्य को उसमें सदस्य बनाया गया है. ट्रस्ट में कोई चीज भी सही नहीं है कि इसमें विचार किया जाए, इसलिए यह ट्रस्ट अस्वीकार है. इस ट्रस्ट को अस्वीकार कराने के लिए न्यायालय में जाया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- डिफेंस एक्सपो: रूस के साथ एमओयू पर हुए हस्ताक्षर, अमेरिका से भी रक्षा क्षेत्र में हुआ करार

उन्होंने कहा कि हमारा आगे का कार्य है कि अच्छे वकीलों को खोजना और उनसे बात विमर्श करके उनके साथ बैठकर के केस बनवाना. फिर सुप्रीम कोर्ट में उसको दाखिल करना. ताकि देश की जनता और राम भक्तों के साथ न्याय हो सके. जो यह बदमाशी हो रही है राम जन्मभूमि में राम जन्म मंदिर बनाने की जगह राम जन्म का स्मारक बनाया जा रहा है और संघियों को उसमें सदस्य बनाया जा रहा है. यह षड्यंत्र पूरी तरह समाप्त किया जाएगा.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वासुदेवानंद को फर्जी शंकराचार्य बताते हुए कहा कि ट्रस्ट में उनको इसलिए शामिल किया गया है कि राम भक्त और देश की जनता को यह बताया जा सके कि हमारे ट्रस्ट में शंकराचार्य भी शामिल हैं. वासुदेवानंद जी वही व्यक्ति हैं जिनको हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सभी रोक चुकी हैं कि अपने आपको ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य मत कहो. शंकराचार्य का जो चिन्ह है उनको धारण मत करो. तुम सन्यासी भी नहीं हो, क्योंकि उनका सन्यास भी प्रमाणित नहीं है.

वाराणसी: राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा किए जाने के बाद वाराणसी के संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ट्रस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने कोर्ट की अवमानना कर ट्रस्ट बनाए जाने का आरोप लगाया है. साथ ही ट्रस्ट में शामिल संतों पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है. उन्होंने वासुदेवानंद को फर्जी शंकराचार्य बताया है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाया आरोप.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि ट्रस्ट की पूरी प्रक्रिया गलत है. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. नरेंद्र मोदी ने संसद में खड़े होकर झूठ बोला है. सब कुछ फर्जी है. सब कुछ गड़बड़ है. फर्जी शंकराचार्य को उसमें सदस्य बनाया गया है. ट्रस्ट में कोई चीज भी सही नहीं है कि इसमें विचार किया जाए, इसलिए यह ट्रस्ट अस्वीकार है. इस ट्रस्ट को अस्वीकार कराने के लिए न्यायालय में जाया जाएगा.

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उन्होंने कहा कि हमारा आगे का कार्य है कि अच्छे वकीलों को खोजना और उनसे बात विमर्श करके उनके साथ बैठकर के केस बनवाना. फिर सुप्रीम कोर्ट में उसको दाखिल करना. ताकि देश की जनता और राम भक्तों के साथ न्याय हो सके. जो यह बदमाशी हो रही है राम जन्मभूमि में राम जन्म मंदिर बनाने की जगह राम जन्म का स्मारक बनाया जा रहा है और संघियों को उसमें सदस्य बनाया जा रहा है. यह षड्यंत्र पूरी तरह समाप्त किया जाएगा.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वासुदेवानंद को फर्जी शंकराचार्य बताते हुए कहा कि ट्रस्ट में उनको इसलिए शामिल किया गया है कि राम भक्त और देश की जनता को यह बताया जा सके कि हमारे ट्रस्ट में शंकराचार्य भी शामिल हैं. वासुदेवानंद जी वही व्यक्ति हैं जिनको हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सभी रोक चुकी हैं कि अपने आपको ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य मत कहो. शंकराचार्य का जो चिन्ह है उनको धारण मत करो. तुम सन्यासी भी नहीं हो, क्योंकि उनका सन्यास भी प्रमाणित नहीं है.

Intro:राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा किए जाने के बाद वाराणसी के संतों में है आक्रोश। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकार वार्ता कर दी जानकारी।


Body:स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ट्रस्ट के खिलाफ करेंगे सुप्रीम कोर्ट में अपील, कोर्ट की अवमानना कर ट्रस्ट बनाए जाने का लगाया आरोप,ट्रस्ट में शामिल संतो पर जताया आपत्ति, वासुदेवानंद को बताया फर्जी शंकराचार्य।


Conclusion:स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया ट्रस्ट की पूरी प्रक्रिया गलत है। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। नरेंद्र मोदी ने संसद में खड़े होकर झूठ बोला है। सब कुछ फर्जी है । सब कुछ गड़बड़ है फर्जी शंकराचार्य को उसमें सदस्य बनाया गया है। ट्रस्ट में कोई चीज भी सही नहीं है कि इसमें विचार किया जाए। इसलिए यह ट्रस्ट अस्वीकार है। इस ट्रस्ट को अस्वीकार कराने के लिए न्यायालय में जाया जाएगा। हमारा आगे का कार्य है कि अच्छे वकीलों को खोजना और उनसे बात विमर्श करके उनके साथ बैठकर के केस बनवाना। फिर सुप्रीम कोर्ट में उसको दाखिल करना। ताकि देश की जनता और राम भक्तों के साथ न्याय हो सकें। जो यह बदमाशी हो रही है राम जन्मभूमि में राम जन्म मंदिर बनाने की जगह राम जन्म का स्मारक बनाया जा रहा है और संघीयों को उसमें सदस्य बनाया जा रहा है। यह षड्यंत्र पूरी तरह समाप्त किया जाएगा। वेद शास्त्र में अनुमोदित राम जी का स्वरुप है बाल रूप में उनका विग्रह वहां पर विराजित हो। राजनीति को वहां से हटा करके।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वासुदेवानंद को फर्जी शंकराचार्य बताया ट्रस्ट में उनको इसलिए शामिल किया गया है कि राम भक्त और देश की जनता को यह बताया जा सके कि हमारे ट्रस्ट में शंकराचार्य भी शामिल है। वासुदेवानंद जी वही व्यक्ति हैं जिनको हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सभी ने रोक चुकी है कि अपने आपको ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य मत कहो। शंकराचार्य का जो चिन्ह है उनको धारण मत करो। तुम सन्यासी भी नहीं हो क्योंकि उनका सन्यास भी प्रमाणित नहीं है। वासुदेवानंद पर लगाया गंभीर आरोप। जिस तरह का ट्रस्ट बनाया गया हम यह समझते हैं कि हमारे आचार्यों का अपमान है हम अपने आचार्यों का अपमान नहीं देख सकते सबसे बड़ा षडयंत्र मोहन भागवत जी का वक्तव्य कि भगवान राम का भव्य स्मारक बनाया जाए स्मारक भगवान का नहीं बल्कि व्यक्ति का बनाया जाता है और सरकार की मंशा साफ है कि इस ट्रस्ट में ज्यादा से ज्यादा संग वालों को रखा जाए।


स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा खामियां है। जो शास्त्रों के खिलाफ हैं। किसी दलित को कष्ट में शामिल करने से आपत्ति नहीं है। लेकिन उसको दलित का कर ट्रस्ट में शामिल करना यह गलत है। जब आप दलित को दलित का घर शामिल कर रहे हैं तो वह भी सी को रीट में शामिल क्यों नहीं कर रहा है। उन्हें भी संविधान में हक दिया है। युगपुरुष परमानंद युगपुरुष का अर्थ क्या होता है आप जानते हो कोई अपना नाम युगपुरुष रख ले तो युगपुरुष हो जाता है।

बाईट :-- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शिष्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद।

आशुतोष उपाध्याय

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