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वाराणसी में 450 साल पुराना अखाड़ा, यहां लड़कियां सीखती हैं कुश्ती के दांव पेंच

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Published : Jul 31, 2020, 10:04 AM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में 450 वर्ष पुराना अखाड़ा है, जहां लड़कियां कुश्ती के दांव पेंच सीखती हैं. मौजूदा समय में कोरोना के कारण अखाड़े में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. इस अखाड़े की स्थापना गोस्वामी तुलसी दास ने की थी.

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अखाड़े में कुश्ती के दांव पेंच सीखती लड़कियां.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में कई सारी प्रतिभाएं और हुनर है. यहां पर वर्षों पुरानी परंपरा को आज भी जीवित रखा गया है. गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरित मानस के किष्किंधा कांड की आगे की रचना काशी के तुलसी घाट पर की थी. यहां पर उन्होंने एक अखाड़े की स्थापना की थी. 450 वर्ष पुराना यह अखांड़ा आज भा मौजूद है. अखाड़े में लड़कों के साथ लड़कियां भी कुश्ती के दांव पेंच सिखती है. कारोना के कारण अभी प्रशिक्षण करने पर रोक है लेकिन अखाड़े के अंदर बनी हनुमान की प्रतिमा की रोजाना पूजा पाठ की जाती है.

श्री स्वामी नाथ अखाड़ा के नाम से मशहूर इस अखाड़े में मौजूदा समय में 100 से अधिक महिला और पुरूष पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त करते है. भारत केसरी और उत्तर प्रदेश केसरी जैसे पहलवान भी यहां से निकले हैं. साथ ही हर साल दो से चार पहलवान को स्पोर्ट्स कोटे से तहत नौकरी भी मिलती है.

अखाड़े में कुश्ती के दांव पेंच सीखती लड़कियां.


सुबह शाम अखाड़े में पसीना बहाती हैं लड़कियां

महिला खिलाड़ी अपेक्षा सिंह ने बताया वह साल 2017 से ही यहां पर प्रशिक्षण कर रही है. सुबह 5 बजे से लेकर 8 बजे तक अखाड़े में प्रशिक्षण होता है. उसने बताया कि वह स्कूल लेवल पर दो नेशनल और प्रदेश स्तर कर कई कुश्ती प्रतियोगियाओं में खेल चुकी है. खिलाड़ी ने बताया कि उसे एक बेहतर रेसलर बनाना है लेकिन कोरोना संकट के कारण अभी अखाड़े में प्रशिक्षण करने पर प्रतिबंध है.


वहीं खिलाड़ी कशिश यादव ने बताया कि वह साल 2018 से यहां पर प्रशिक्षण ले रही हैं. उसने कहा कि कोरोना से पहले रोजाना 3 से 4 घंटे प्रशिक्षण होता था. महिला खिलाड़ी ने बताया कि उसके दादा वाराणसी के बड़े दादा पहलवान हैं. अखाड़े में वह लड़कों के साथ कुश्ती लड़ती है.


वर्ष 2018 से शुरू हुआ था लड़कियों का दंगल

बनारस के जाने-माने कल्लू पहलवान ने बताया यह वर्षो बरसों पुराना अखाड़ा है. गोस्वामी तुलसीदास ने इसकी स्थापना की थी. यहां से बड़े-बड़े पहलवान निकले हैं. उन्होंने बताया कि यहां से प्रशिक्षण लेकर मौजूदा समय में कई खिलाडी सेना, सीआरपीएफ, रेलवे और बीएचयू में नौकरी कर रहे हैं. कोरोना के कारण पिछले चार माह से अखाड़े को बंद किया गया है.

दिल्ली और हरियाणा को देखकर लड़कियों ने शुरू की कुश्ती

कल्लू ने बताया कि शहर के अंदर यह पहला ऐसा अखाड़ा है, जहां महिला खिलाड़ी में प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं. हरियाणा, पंजाब और दिल्ली को देख कर लड़कियों ने कुश्ती लड़ना शुरू किया, तो इन्हें अखाड़े में उतारा गया. साल 2018 से महान संकट मोचन मंदिर स्वामी विशंभर नाथ मिश्र ने इस कुश्ती का प्रारंभ किया. यहां से कई महिला खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक कुश्ती खेला है.

कोच उमेश ने बताया साल 2018 के पहले से लड़कियां मेहनत कर रही हैं. जिसे देखते हुए लड़कियों की कुश्ती प्रतियोगिता को शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि लड़कियां अखाड़े में बहुत मेहनत करती है और वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर देश और वाराणसी का नाम जरूर रोशन करेंगी.

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