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काशी की गाथा सुनाएगा विश्वनाथ धाम, दीवारों पर उकेरी जाएगी बाबा की कथा

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Published : Jul 31, 2021, 12:03 PM IST

काशी की गाथा सुनाएगा विश्वनाथ धाम
काशी की गाथा सुनाएगा विश्वनाथ धाम

काशी की गाथा अब यहां की दीवारों पर उकेरी जाएगी. धर्म शास्त्रों और पौराणिक ग्रंथों में वर्णित दुनिया के सभी पवित्र स्थल काशी में मौजूद हैं. उपनिषद, वेदों और पुराणों के आधार पर मिली जानकारी का चित्रात्मक वर्णन, श्लोक संख्या, हिंदी में अनुवाद समेत समस्त जानकारियां विश्वनाथ धाम में उकेरी जाएंगी.

वाराणसी: प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में आने पर आप सिर्फ बाबा विश्वनाथ के दर्शन ही नहीं कर पाएंगे, बल्कि आप उनकी महिमा भी जान पाएंगे और जान सकेंगे काशी को लघु भारत क्यों कहा जाता है. धर्म शास्त्रों और पौराणिक ग्रंथों में वर्णित दुनिया के सभी पवित्र स्थल काशी में भी मौजूद है. उपनिषद, वेदों और पुराणों के आधार पर मिली जानकारी का चित्रात्मक वर्णन, श्लोक संख्या, हिंदी में अनुवाद समेत समस्त जानकारियां विश्वनाथ धाम में उकेरी जाएंगी.


दुनिया के प्राचीनतम और जीवंत शहर काशी को देश की धार्मिक और आध्यात्मिक राजधानी ऐसे ही नहीं कहा जाता. इसके पीछे पुख्ता प्रमाण है. जो उपनिषद, वेदों और पुराणों में मिलता है. अब इन प्रमाणों के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम में सचित्र शिव महिमा का वर्णन मार्बल पर उकेर के लगाए जाने की योजना है. इसकी जिम्मेदारी काशी विद्वत परिषद को दी गई है.

काशी की गाथा सुनाएगा विश्वनाथ धाम
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि प्रामाणिक तरीके से बाबा के प्रांगण में आने वाले भक्त, भगवान शंकर के महिमा के बारे में जान सकेंगे. इसके लिए करीब 9X3.6 फिट के करीब का लगभग 35 पिक्टोरियल पैनल लगेगा. इस पैनल पर काशी में भगवान शंकर की महिमा का आगमन, धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित दुनिया के सभी पवित्र स्थल काशी में भी मौजूद है. इसका प्रमाण के साथ उल्लेख होगा. भगवान शंकर को काशी क्यों प्रिय है और काशी को लघु भारत क्यों कहा जाता है सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी.

होगी शिव महिमा संग काशी स्थापना की गाथा

उन्होंने बताया कि काशी में ही वेद व्यास द्वारा चारों वेदों का प्रथम उपदेश दिया गया था, काशी में 56 विनायक है, काशी में मोक्ष प्रदान करने वाली सातों नगरी है. (सप्तदा मोक्ष दायिका सात नगरी, मोक्ष प्रदान करती है. काशी, मथुरा, उज्जैन, द्वारका, कांची, अयोध्या, हरिद्वार). द्वादश आदित्य काशी में विराजमान है. काशी में पांचो तीर्थ है. काशी में मणिकर्णिका तीर्थ की स्थापना, ढुण्ढिराज राज गणेश द्वारा प्रथम शिव स्तुति. भगवान शिव के आदेश पर आए अष्ट भैरव की स्थापना. भगवान शंकर का 64 योगिनियों का काशी में भेजना, काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी, भोलेनाथ द्वारा अष्ट मातृकाओं की स्थापना, महाकवि कालिदास द्वारा शिव स्तुति आदि का वर्णन होगा. ये सभी जानकारियां तस्वीर, संस्कृत के श्लोक, हिंदी अनुवाद में उकेरी जाएंगी. इसके अलावा किस ग्रन्थ, उपनिषद, वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख है. श्लोक संख्या समेत वर्णित किया जाएगा.

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