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काशी विद्यापीठ में पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना, शोध भी कर सकेंगे छात्र

वाराणसी के संगीत घराने को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में एक नए कोर्स की शुरुआत होने जा रही है. जिसमें बनारस की धरोहर यहां के संगीत घराने की विधा छात्रों को सिखाई जाएगी.

काशी विद्यापीठ में पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना
काशी विद्यापीठ में पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना
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Published : Sep 22, 2021, 10:58 PM IST

वाराणसी: काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी होने के साथ-साथ संगीत की भी नगरी है. यहां का संगीत घराना अपने आप में खास है. यहां के संगीत घरानों के दिग्गज गायकों ने अपनी हर गायन शैली से बनारस संगीत घराने का नाम रोशन किया और उसे विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी. खास बात यह है कि अब वाराणसी की संगीत विधा को आम जनमानस भी आसानी से समझ और जान सकेंगे. यहां के संगीत घराने को लेकर के वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में एक नए कोर्स की शुरुआत की जा रही है.

पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना

नई शिक्षा नीति के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में बच्चों को संगीत की पारंपरिक शिक्षा दी जाएगी, जिसमें बनारस की धरोहर यहां के संगीत घराने की विधा सिखाई जाएगी. इसके साथ ही बनारस के स्थानीय स्तर से जुड़ी जो अन्य कलाएं हैं, उसके बारे में भी बच्चों को शिक्षा दी जाएगी. इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एके त्यागी ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई सारे नए कोर्स की शुरुआत हो रही है. जिसमें एक पाठ्यक्रम संगीत से संबंधित है. संगीत के पाठ्यक्रम में बनारस घराने को विद्यार्थी पढ़ और समझ सकेंगे साथ ही इस पर शोध भी कर सकेंगे. इसको लेकर के नए सत्र से इसकी शुरुआत हो रही है. इसके साथ ही बनारस से जुड़ी जो अन्य स्थानीय संस्कृति और कलाए हैं, उस पर भी कोर्स शुरू किया जाएगा. इसमें जरदोजी, पॉटरी, हैंडीक्राफ्ट समेत अन्य कोर्स शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य बनारस की संस्कृति को संरक्षित कर यहां की कलाओं से विद्यार्थियों की पहचान कराना है.

काशी विद्यापीठ में पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना

संगीत घराने में हर्ष का माहौल

इस संबंध में बनारस घराने के संगीतकार अंशुमान महाराज ने बताया कि हमें काफी हर्ष हो रहा है कि वाराणसी के विश्वविद्यालय में इस प्रकार के कोर्स की शुरुआत होने जा रही है. यह कोर्स एक साधारण कोर्स नहीं है, बल्कि काशी की सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा हुआ पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम के जरिए विद्यार्थी सहजता से यहां के संगीत घराने को समझ और पढ़ सकेंगे. उन्होंने बताया कि बनारस घराने में इतने सारे दिग्गज कलाकार हुए जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. इस कोर्स के जरिए इन बातों तो लोग सहजता से जान सकेंगे और यह हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है.

अन्य विश्वविद्यालयों में भी हो शुरुआत

तबला वादक दीपक महाराज ने बताया कि बनारस की संगीत घराने की यह गलियां कोई साधारण गलियां नहीं है, बल्कि महज आधे किलोमीटर से कम के इस गली में न जाने कितने पद्मभूषण, पद्मश्री, भारत रत्न जैसे महान कलाकार हुए हैं. इन गलियों में एक सभ्यता है, एक रस है जिन्हें लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. जिस तरीके से इस कोर्स की शुरुआत एक विश्वविद्यालय में की गई है, इसी प्रकार से अन्य जितने भी बड़े विश्वविद्यालय हैं उन सभी जगहों पर ऐसे कोर्स की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी बनारस घराने के उस्ताद और संगीत कला को समझ सकें, जिसने विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

वाराणसी: काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी होने के साथ-साथ संगीत की भी नगरी है. यहां का संगीत घराना अपने आप में खास है. यहां के संगीत घरानों के दिग्गज गायकों ने अपनी हर गायन शैली से बनारस संगीत घराने का नाम रोशन किया और उसे विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी. खास बात यह है कि अब वाराणसी की संगीत विधा को आम जनमानस भी आसानी से समझ और जान सकेंगे. यहां के संगीत घराने को लेकर के वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में एक नए कोर्स की शुरुआत की जा रही है.

पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना

नई शिक्षा नीति के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में बच्चों को संगीत की पारंपरिक शिक्षा दी जाएगी, जिसमें बनारस की धरोहर यहां के संगीत घराने की विधा सिखाई जाएगी. इसके साथ ही बनारस के स्थानीय स्तर से जुड़ी जो अन्य कलाएं हैं, उसके बारे में भी बच्चों को शिक्षा दी जाएगी. इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एके त्यागी ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई सारे नए कोर्स की शुरुआत हो रही है. जिसमें एक पाठ्यक्रम संगीत से संबंधित है. संगीत के पाठ्यक्रम में बनारस घराने को विद्यार्थी पढ़ और समझ सकेंगे साथ ही इस पर शोध भी कर सकेंगे. इसको लेकर के नए सत्र से इसकी शुरुआत हो रही है. इसके साथ ही बनारस से जुड़ी जो अन्य स्थानीय संस्कृति और कलाए हैं, उस पर भी कोर्स शुरू किया जाएगा. इसमें जरदोजी, पॉटरी, हैंडीक्राफ्ट समेत अन्य कोर्स शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य बनारस की संस्कृति को संरक्षित कर यहां की कलाओं से विद्यार्थियों की पहचान कराना है.

काशी विद्यापीठ में पढ़ाया जाएगा बनारस का संगीत घराना

संगीत घराने में हर्ष का माहौल

इस संबंध में बनारस घराने के संगीतकार अंशुमान महाराज ने बताया कि हमें काफी हर्ष हो रहा है कि वाराणसी के विश्वविद्यालय में इस प्रकार के कोर्स की शुरुआत होने जा रही है. यह कोर्स एक साधारण कोर्स नहीं है, बल्कि काशी की सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा हुआ पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम के जरिए विद्यार्थी सहजता से यहां के संगीत घराने को समझ और पढ़ सकेंगे. उन्होंने बताया कि बनारस घराने में इतने सारे दिग्गज कलाकार हुए जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. इस कोर्स के जरिए इन बातों तो लोग सहजता से जान सकेंगे और यह हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है.

अन्य विश्वविद्यालयों में भी हो शुरुआत

तबला वादक दीपक महाराज ने बताया कि बनारस की संगीत घराने की यह गलियां कोई साधारण गलियां नहीं है, बल्कि महज आधे किलोमीटर से कम के इस गली में न जाने कितने पद्मभूषण, पद्मश्री, भारत रत्न जैसे महान कलाकार हुए हैं. इन गलियों में एक सभ्यता है, एक रस है जिन्हें लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. जिस तरीके से इस कोर्स की शुरुआत एक विश्वविद्यालय में की गई है, इसी प्रकार से अन्य जितने भी बड़े विश्वविद्यालय हैं उन सभी जगहों पर ऐसे कोर्स की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी बनारस घराने के उस्ताद और संगीत कला को समझ सकें, जिसने विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

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