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कहानीकारों की नई शुरुआत, अब पर्दे पर दिखेगी आदि विशेश्वर से लेकर बाबा विश्वनाथ तक की कहानी

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Published : May 10, 2023, 7:11 PM IST

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बाबा विश्वनाथ

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में ज्ञानवापी के विशेश्वर और बाबा विश्वनाथ की कथा अब लोग धारावाहिक के रूप में देखेंगे. इसके लिए धारावाहिक निर्माता दिलीप सोनकर ने एक नई शुरुआत की. काशी की कई कथाओं को लेकर वह इस धारावाहिक को बना रहे हैं.

आदि विशेश्वर से लेकर बाबा विश्वनाथ तक की कहानी पर बनेगा सीरियल

वाराणसीः अलग-अलग विवादित मुद्दों पर फिल्म बनने के बाद अब धारावाहिक भी बनने जा रही है. कश्मीर फाइल्स के बाद 'द केरल स्टोरी' तो अब ज्ञानवापी के विशेश्वर और विश्वनाथ की कथा धारावाहिक के रूप में लोग देखेंगे. इसके लिए धारावाहिक निर्माता दिलीप सोनकर ने एक नई शुरुआत की. काशी की कई कथाओं को लेकर वह इस धारावाहिक को बना रहे हैं. इन्होंने डीडी नेशनल में कई सारे ज्वलंत मुद्दों पर धारावाहिक बनाई है, जिसमें मुख्य रूप से रणभेरी, लाल रेखा शामिल था.

धारावाहिक निर्माता दिलीप सोनकर एक बार फिर से अब डीडी नेशनल पर बाबा विश्वनाथ की पौराणिक कथा दिखाने जा रहे हैं, जिसमें ज्ञानवापी में आदि विशेश्वर की स्थापना से लेकर बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह तक कि कथा शामिल होगी. बड़ी बात यह है कि इस धारावाहिक में ज्ञानवापी के तोड़ने से लेकर विश्वनाथ मंदिर निर्माण तक कि कहानी एपिसोड दर एपिसोड दिखाई जाएगी. इसमें सृष्टि के निर्माण की कथा से शुरुआत की जानी है.

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बाबा विश्वनाथ

परशुराम पर आधारित कथा पर धारावाहिक
धारावाहिक के निर्माता कमला श्री फिल्म्स के दिलीप सोनकर ने बताया कि मैंने रणभेरी बनाई थी. इसमें दिखाया गया था कि जब 1942 में अंग्रेजों ने जब मीडिया पर बैन किया था. उस समय एक रणभेरी नाम की पत्रिका छपती थी. इसी पर आधारित धाराविक था रणभेरी. यह दूरदर्शन पर 2015 में प्रसारित हुआ था और कई भाषाओं में डब करके दूरदर्शन आज भी टेलीकास्ट करता रहता है. उसके बाद असम के क्रांतिकारियों पर लालरेखा बनाई. दामन मिट्टी का बनाई. परशुराम पर आधारित धारावाहिक बनाया.

महाप्रलय के बाद सृष्टि की रचना की कहानी
उन्होंने बताया कि अभी की सबसे बड़ी रचना मेरी काशी विश्वनाथ पर है, जो शिव पुराण, लिंग पुराण और काशी खंड में उल्लिखित काशी के बारे में कथाएं हैं. उसे रुपहले पर्दे पर लाने का प्रयास कर रहा हूं. इस कथा में ये भी है कि महाप्रलय के बाद जब सृष्टि की रचना की बारी आती है तो इसमें काशी को अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है. इसका कभी भी नाश नहीं होता है. ब्रह्माण्ड में जब भगवान शंकर त्रिशूल के अग्र भाग पर काशी को धारण कर लेते हैं.

मणिकर्णिका घाट की कथा का भी वर्णन
दिलीप सोनकर ने बताया कि जब प्रलय में पूरी सृष्टि समाहित हो जाती है, उसके बाद सृष्टि की रचना की बारी आती है तो बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के रूप में अर्धनारीश्वर वन में विचरण कर रहे होते हैं. इसी कथा से हम इसकी शुरुआत कर रहे हैं. धार्मिक ग्रंथों में जो भी चीजें उल्लिखित हैं हम सभी चीजों को इसमें लेकर आ रहे हैं. इसमें आदिविश्वेश्वर जो चक्र पुष्कर्णी मणिकर्णिका घाट पर तीर्थ है, उसी से हमारी कहानी शुरू हो रही है.

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विश्वनाथ कॉरिडोर

दिखाया जाएगा नवनिर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
उन्होंने बताया कि पीएम मोदी और सीएम योगी ने जो कॉरिडोर बनाया है इसका जिक्र हम पहले एपिसोड में कर रहे हैं. काशी ऐसी नगरी है जहां से धर्म विश्व को प्रकाशमान करता है. इंसानियत को भी काशी से ही स्वरूप मिलता है. काशी में जो भी दंड विधान है वो बाबा कालभैरव और दंड पाणि रूप जो है उसकी कथा भी हम दिखाने वाले हैं. इसमें ये भी है कि भगवान विष्णु के द्वारा आदि विश्वेश्वर शिवलिंग स्थापित है.

ज्ञानवापी और श्रंगार गौरी की कथा का वर्णन
ज्ञानवापी और श्रंगार गौरी की कहानी को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि हर जगह तपस्या करके ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए या फिर स्वयंभू भी हुए. आदि विश्वेश्वर की कथा में भगवान विष्णु के द्वारा ही यह शिवलिंग स्थापित किया गया. इसे बाद में मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़ दिया. इसे लेकर हमारी कहानी में ये भी दिखाया गया है कि यह शिवलिंग है और भगवान विश्वेश्वर के द्वारा ही स्थापित हुआ था.

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