वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आने के साथ ही गंगा निर्मली करण की बात कही और गंगा को लेकर कई योजनाएं भी शुरू हुई. नमामि गंगे की तरफ से गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रण में करने और गंगा में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बराबर निगरानी की जा रही है. इसके बाद भी पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा में सीवेज और गंदा पानी गिराए जाने का क्रम जारी है. जिसे लेकर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई नमामि गंगे ने की है.
नमामि गंगे विभाग की तरफ से रमना एसटीपी के संचालन में लापरवाही करने वाली कार्यदाई संस्था गंगा प्रदूषण नियंत्रण के ऊपर तीन करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है. यह जुर्माना नमामि गंगे के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव की तरफ से लगाया गया है.
पहली कार्रवाई रमना एसटीपी पर
इस बारे में नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि प्रमुख सचिव के निर्देश पर जांच शुरू की गई थी. इस जांच में पहली कार्रवाई रमना एसटीपी पर की गई है. जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि मानक के अनुरूप सीवर का शोधन नहीं किया जा रहा है और सीवेज निस्तारण की गुणवत्ता के मामले में एसटीपी बेहतर काम भी नहीं कर रही है. प्रदेश में 104 एसटीपी संचालित हो रहे हैं 44 एसटीपी नमामि गंगे विभाग के दायरे में आते हैं. जिसकी निगरानी सीधे तौर पर इस विभाग की तरफ से की जा रही है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए इनके सर्वे और जांच की कार्यवाही शुरू की गई थी.
नियमों के अनुसार नहीं कर रहा काम
अलग-अलग हिस्सों में जांच के दौरान सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के एसटीपी की छमता गुणवत्ता की जांच में यह पाया गया की कई एसटीपी नियमों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. इस जांच में कुल 9 टीमों के निरीक्षण में यह तथ्य सामने आए हैं. जिसके बाद प्रमुख सचिव ने इस आशय का पत्र मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी जल निगम को भेजा है. जल निगम के मुख्य अभियंता एके पुरवार की मानें तो नमामि गंगे की ओर से पत्र उन्हें मिला है इस पत्र में जुर्माने का जिक्र किया गया है.
दो एसटीपी हो रहे तैयार
रमन और रामनगर में एसटीपी का निर्माण चल रहा है. रमना में 50 एमएलडी व रामनगर में 10 एमएलडी प्लांट की क्षमता है. प्लांट निर्माण के बाद ही गंगा में गिर रहे नालों को जोड़ा जा सकेगा. इससे पहले जैविक विधि से नगर निगम प्रशासन गंगा में गिर रहे नाले को शोधित करने की कवायद कर रहा है. फिलहाल नमामि गंगे विभाग की ओर से जो आख्या मांगी गई है. उसका जवाब गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की ओर से तैयार किया जा रहा है और माना जा रहा है कि जल्द ही इसे प्रेषित भी किया जाएगा.