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भगवान भोलेनाथ का विवाह : बसंत पंचमी पर बड़े धूमधाम से मनाया गया बाबा का तिलकोत्सव

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Published : Feb 6, 2022, 11:39 AM IST

वाराणसी में शनिवार को बसंत पंचमी के मौके पर टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव हुआ. सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई.

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भगवान भोलेनाथ का तिलकोत्सव

वाराणसी: शनिवार को बसंत पंचमी के मौके पर टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव हुआ. सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई. शनिवार की भोर से मंगला आरती से शुरू हुए अनुष्ठान का क्रम रात में तिलकोत्सव तक जारी रहा. इस दौरान मंगल गीतों का गायन चलता रहा.

परंपरा के मुताबिक शाम 7 बजे जालान परिवार की अगुवाई में तिलक की रस्म पूरी की गई. शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के साथ तिलकोत्सव की बधाई यात्रा निकली. सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर जालान परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने. इन थालों में बाबा के लिए वर के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे. परंपरा के अनुसार दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे.

भगवान भोलेनाथ का तिलकोत्सव



काशीवासियों की भीड़ के साथ दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से डेढ़ीनीम स्थित जालान गेस्ट हाउस तक पहुंची. यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगवानी की. कन्या पक्ष की ओर से केशव जालान, किशन जालान के सदस्यों ने तिलकोत्सव की रस्म पूरी की. पूजन का विधान संजीव रत्न मिश्र ने किया. इसी बीच पंडित वाचस्पति तिवारी ने सपत्नी रुद्राभिषेक किया. तिलकोत्सव के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाए.

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इससे सुबह 04 बजे से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई. सुबह 06 से 08 बजे तक ब्राह्मणों ने चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया. सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया. इसके बाद 8:30 से 11:30 बजे तक पांच वैदिक ब्राह्मणों की तरफ से पांच प्रकार के फलों के रस से रुद्राभिषेक किया गया.

सुबह 11:45 बजे दोबारा बाबा को स्नान कराया गया. इसके बाद दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे तक भोग अर्पण व आरती की गई. 12:45 से 02:30 बजे तक महिलाओं की तरफ से मंगल गीत गाए गए. इसके बाद दोपहर 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए. इस बीच वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हे के रूप में शृंगार किया.

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