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टोक्यो ओलंपिक में 24 साल बाद जलवा बिखेरेंगे बनारस के ललित, भारतीय हॉकी टीम में मिली जगह

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Published : Jun 19, 2021, 1:27 PM IST

हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद, विवेक सिंह और राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय बनारस के चौथे हॉकी खिलाड़ी होंगे, जो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. आखिरी बार 1996 अटलांटिका ओलंपिक राहुल सिंह ने खेला था. इससे बनारस ही नहीं पूर्वांचल भर के हाकी खिलाड़ी उत्साहित हैं.

टोक्यो ओलंपिक में 24 साल बाद जलवा बिखेरेंगे बनारस के ललित
टोक्यो ओलंपिक में 24 साल बाद जलवा बिखेरेंगे बनारस के ललित

वाराणसी: एक कहावत है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और परिस्थितियां जितनी भी बुरी हो प्रतिभावान व्यक्ति अपने बेहतर कामों की बदौलत अपनी पहचान खुद बना लेता है. ऐसी ही कहानी है बनारस के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय की. ललित इन दिनों इंडियन हॉकी टीम के साथ नेशनल और इंटरनेशनल गेम खेलने में बिजी हैं, लेकिन इन सबके बीच ललित के साथ बनारस के लिए एक ऐसी खुशखबरी आई है. जिसने 24 साल के सूखे को खत्म कर दिया है.

दरअसल ललित उपाध्याय का चयन टोक्यो ओलंपिक के लिए 16 सदस्यीय पुरुष टीम के लिए हो गया है. ललित के अलावा टीम में कई अनुभवी खिलाड़ियों को भी रखा गया है, लेकिन ललित को पहली बार ओलंपिक खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस के हॉकी खिलाड़ियों में पद्मश्री मोहम्मद शाहिद, ओलंपियन विवेक सिंह और ओलंपियन राहुल सिंह के बाद बनारस से ललित चौथे खिलाड़ी होंगे जो ओलंपिक में बनारस का जलवा बिखेरेंगे.

हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय के घर से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
घर में खुशी का माहौलबनारस के शिवपुर इलाके के भगवानपुर गांव में रहने वाले ललित के परिवार में खुशी का माहौल है. ललित के पिता सतीश उपाध्याय और मां रीता उपाध्याय घर आने वाले हर व्यक्ति का मुंह मीठा करा रहे हैं, क्योंकि बेटे ने वह कारनामा कर दिखाया है जिसके लिए पूरा परिवार लंबे वक्त से इंतजार कर रहा था. ललित के पिता सतीश उपाध्याय प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे और अब घर पर ही रहते हैं, क्योंकि बड़ा बेटा अमित भी हॉकी के बल पर सरकारी नौकरी पाकर इलाहाबाद में रह रहा है, जबकि छोटा बेटा पूरे खानदान का नाम रोशन कर रहा है.
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भारतीय हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय
सपना था ओलंपिक खेलनासतीश का कहना था कि बेटे ने पूरे परिवार का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. अब तक 120 से ज्यादा मैच खेल चुके ललित के लिए ओलंपिक खेलना सपना था, क्योंकि इसके पहले ललित ने दो बार हॉकी वर्ल्ड कप, एशिया कप, कॉमनवेल्थ गेम समेत कई बड़े टूर्नामेंट खेले हैं. सिर्फ ओलंपिक बचा था, जिसके लिए ललित अब तैयारी में जुटे हैं, जिससे कि टोक्यो में वह भारत के लिए गोल्ड ला सकें.
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भारतीय हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय के माता पिता मिठाई खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराते हुए
बुरे वक्त को याद कर कांप जाती है रूहललित अब तक दर्जनों मेडल हासिल कर चुके हैं. पूरा घर ट्रॉफी और मेडल से भरा हुआ है. साल 2018 में ललित को सरकार की तरफ से लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. सबसे बड़ी बात यह है कि आज बेटे को इस मुकाम पर देखकर मां की आंखें नम हो जा रही हैं. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि ललित के मां बाप ने उसे बहुत ही बुरी स्थिति में पाला है. ललित की मां रीता का कहना है कि आज उन दिनों के बारे में सोच कर ही रूह कांप जाती है. मोहल्ले के कुछ बच्चे यूपी कॉलेज में हॉकी खेलने जाया करते थे. उन्हें देखकर ललित को भी हॉकी खेलने का शौक चढ़ा. ललित ने भी हॉकी खेलना शुरू किया, लेकिन न ही हॉकी खरीदने के पैसे थे ना ही उसके कपड़े. बहुत बुरी स्थिति थी. इसे लेकर ललित नाराज भी होता था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब थी कि उसे इस वक्त बयां करना भी खुद को तकलीफ देना होगा, लेकिन ललित ने हालात के आगे हार नहीं मानी और ललित के कोच परमानंद मिश्रा ने उनकी पूरी मदद की. जिसकी वजह से ललित आज इस मुकाम पर पहुंच गया है. ललित के पिता का कहना है कि बड़ा बेटा अमित प्रयागराज में नौकरी करता है बहुत छोटे बेटे का चयन ओलंपिक में होना एक माता पिता के लिए इससे बड़े गर्व की बात क्या हो सकती है.
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हॉकी खिलाड़ी ललित अब तक दर्जनों मेडल हासिल कर चुके हैं. पूरा घर ट्रॉफी और मेडल से भरा हुआ है. साल 2018 में ललित को सरकार की तरफ से लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
ललित ने कही यह बातफिलहाल ललित इन दिनों बेंगलुरु में अभ्यास कर रहे हैं. उनसे भी हमने फोन पर बातचीत की. जिस पर ललित ने बेहद खुशी जाहिर करते हुए अपने देश के लिए गोल्ड जीतने की बात कही. उन्होंने कहा कि 1996 में ओलंपियन विवेक सिंह के भाई राहुल सिंह ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था. उसके पहले स्वर्गीय विवेक सिंह और उसके पहले स्वर्गीय पद्मश्री मोहम्मद शाहिद ने बनारस का नाम रोशन करते हुए ओलंपिक में भागीदारी की थी और लगभग 24 साल बाद मुझे मौका मिला है. निश्चित तौर पर मैं बनारस को मायूस नहीं होने दूंगा और बनारस के साथ पूरे देश का सिर फक्र से ऊंचा करने का पूरा प्रयास करूंगा.

ललित ने बताया कि वह अब तक 120 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं. सेंटर फॉरवर्ड के खिलाड़ी होने की वजह से उनका गेम और मजबूत हो इसलिए वह लगातार प्रैक्टिस भी कर रहे हैं. दो बार विश्व चैंपियनशिप, एशियन चैंपियनशिप सहित चार से पांच अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा ले चुके ललित अपनी इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं, लेकिन बड़ी जिम्मेदारी होने की बात कहते हुए तैयारियों में अपने आप को पूरी तरह से बिजी कर चुके हैं. फिलहाल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम पूल ए में है. जिसमें उनके साथ मौजूदा चैंपियन अर्जेंटीना भी मौजूद है. इसके अलावा ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्पेन और मेजबान जापान भी शामिल है, लेकिन ललित का कहना है कि जब उनका चयन हुआ ही है तो वह बड़ी से बड़ी टीमों को शिकस्त देने की कोशिश अपने बल पर भी करेंगे, क्योंकि इस समय पूरी टीम अच्छे फॉर्म में चल रही है.

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