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डेंगू से जंग में आयुर्वेद है कारगर, जानें क्या है फायदे

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Published : Sep 3, 2021, 12:48 PM IST

डेंगू से जंग में आयुर्वेद हैं कारगर
डेंगू से जंग में आयुर्वेद हैं कारगर

डेंगू बीमारी का उपचार आयुर्वेद में संभव है. यानी कि आयुर्वेदिक दवाओं के माध्यम से हम डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं. आयुर्वेदिक दवाएं किस प्रकार डेंगू बीमारी में कारगर हैं. इसे लेकर वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार गुप्ता से बातचीत की गई. जानिए उन्होंने क्या कुछ जानकारी दी.

वाराणसी: कोरोना महामारी की रफ्तार अभी थमी ही थी कि अब डेंगू ने पैर पसारना शुरू कर दिया. प्रदेश के कई जिलों के हालात बेहद खराब हैं. वाराणसी में तो सभी सरकारी अस्पतालों के वार्ड भर चुके हैं. अब तक 75 मरीजों में डेंगू की पुष्टी हो चुकी है. 770 मरीज संदिग्ध मिले हैं. कुछ मरीजों ने दम भी तोड़ दिया है. लगातार मरीजों के बढ़ते ग्राफ ने एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है तो वहीं अस्पतालों मेंं प्लेटलेट्स की मांग भी 4 गुना बढ़ गई है.

डेंगू मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. आयुर्वेद डेंगू में काफी कारगर है और यही वजह है कि इन दिनों लोग ऐलोपैथिक के साथ साथ आयुर्वेद में भी डेंगू का इलाज करवा रहे हैं. डेंगू क्या है, इससे किस प्रकार से बचें, क्या प्राथमिक उपचार हैं, आयुर्वेद में इसका क्या इलाज है आदि विषयों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार गुप्ता से बातचीत की.

फैलने के कारण

डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून को जब मच्छर पीता है तो खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है. जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे दूसरा व्यक्ति भी पीड़ित हो जाता है.

उन्होंने बताया कि मच्छर के काटे जाने के करीब 3 से 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. उसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग-अलग होते हैं. मुख्य रूप से डेंगू तीन तरह का होता है. क्लासिकल डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम.

उन्होंने बताया कि साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और जान जाने का खतरा नहीं होता, लेकिन डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम अधिक घातक होता है. इससे मरीज के जान का भी खतरा रहता है.

जानकारी देते डॉ. अजय कुमार गुप्ता
उन्होंने बताया कि डेंगू के मुख्य लक्षण होते हैं. जैसे ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार होना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, शरीर पर लाल गुलाबी रंग के रैशेज होना, फीवर के साथ-साथ मुख या नाक से रक्त का आना, इत्यादि डेंगू के मुख्य लक्षण होते हैं. उन्होंने बताया कि डेंगू में मुख्य रूप से शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या घटती जाती है.
अगर प्लेटलेट्स 20 हजार तक है, या उसके नीचे पहुंच जाए तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है, इसलिए डेंगू मरीज को अपने प्लेटलेट्स पर भी खासा ध्यान देना चाहिए.आयुर्वेद हैं कितना कारगरडॉ गुप्ता ने बताया कि यदि किसी मरीज में डेंगू के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें किसी वैद्य के पास जाना चाहिए और उनसे परामर्श लेना चाहिए और यदि डेंगू शॉक सिंड्रोम और डेंगू हेमोररेजिक फीवर है तो तुरन्त आईसीयू चिकित्सालय में परामर्श लेना चाहिए, इससे सुरक्षित रह जा सकता है.
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में भी इसके इलाज हैं जो व्यक्ति आराम से अपने घर पर कर सकता है. वर्तमान में आयुर्वेद डेंगू के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है. बताया कि डेंगू के इलाज इन बिंदुओं को उपयोग में लाया जा सकता है.
- एक कप पानी में एक चम्मच 10 मिली गिलोय का जूस, 2 काली मिर्च, तुलसी के 5 पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 50 मिली लें.
- सुबह व रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध के साथ लें.
- तुलसी के पत्तों का 20 मिली रस शहद के साथ मिला कर लें
- तुलसी के 10 पत्तों को दो ग्लास पानी में उबालें और उसे छानकर पीएं.
- चिरायता बुखार उतारने की आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है, इसका 20 मिली काढ़ा लें या 2 ग्राम चूर्ण पानी में लेने से बुखार उतरने लगता है.
- पपीते की पत्तियों के रस को डेंगू में बहुत उपयोगी माना गया है, उसके लिए कुछ पत्तों को पानी में अच्छी तरह धोकर उन्हें छान लें और 10-20 मिली जूस को तीन चार बार पिएं. इससे शरीर में प्लेटलेट की मात्रा भी तेजी से बढ़ती है.
- गेहूं का ज्वार, पपीते का पत्ता, गिलोय इन सबका रस मिलाकर 50 मिली की मात्रा में पीने से भी प्लेटलेट काउंट बढ़ता है.
- नीम, तुलसी, गिलोय, पीपली, पपीते की पत्तियों का रस, गेहूं के ज्वार का रस, आंवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बेहद उपयोगी है, इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
ये औषधियां हैं रामबाण
- त्रिभुवनकीर्ति रस
- अमृता सत्व
- गोदन्ति
- संजीवनी वटी
- अमृतारिष्ट
- सुदर्शन चूर्ण
- चिरायता के क्वाथ
- अमृतादि क्वाथ
- लक्ष्मी विलास रस
- जयमंगल रस
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