ETV Bharat / state

UP Election 2022: जानिए बनारस की सीटें क्यों बनीं हैं BJP के लिए नाक का सवाल...

author img

By

Published : Feb 24, 2022, 1:53 PM IST

Updated : Feb 24, 2022, 2:10 PM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण के बाद अब हर किसी की निगाहें पूर्वांचल की बची हुई सीटों पर लगी है. जिसमें बनारस की 8 विधानसभा समेत पूर्वांचल के अधिकांश सीटें बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी हुई है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बनारस की वह 8 विधानसभा सीटें हैं जिस पर 2017 के चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने क्लीन स्वीप किया था, लेकिन अब बदले हुए समीकरण में जानिए कौन किस पर पड़ रहा है भारी.

UP Election 2022
UP Election 2022

वाराणसी: चौथे चरण का चुनाव होने के बाद अब पूर्वांचल की 156 सीटों पर हर किसी की निगाहें हैं. बनारस की 8 विधानसभा समेत पूर्वांचल के अधिकांश सीटें बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी हुई है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बनारस की वह 8 विधानसभा सीटें हैं जिस पर 2017 के चुनाव में बीजेपी गठबंधन में क्लीनस्वीप किया था. बनारस की 8 विधानसभा सीटों में 3 शहरी क्षेत्र की विधानसभा सीटें तो पूरी तरह से बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, लेकिन ग्रामीण इलाके में बीजेपी हमेशा से कमजोर साबित हुई है.

हालांकि 2017 में बीजेपी ने सारे फैक्टर तोड़कर मोदी लहर की वजह से क्लीन स्वीप करने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन इस बार बीजेपी के लिए यह सीटें जितना आसान नहीं माना जा रहा. क्योंकि एक तरफ जहां बीजेपी की लहर कम होने का असर इन सीटों में बन सकता है तो वहीं विपक्ष की तरफ से प्रत्याशियों के चयन में किए गए सर्वे के बाद दिए जाने वाले टिकट भी बीजेपी की राह में बड़ा रोड़ा बन रहे हैं. इसलिए बीजेपी का भले ही यूपी में प्रदर्शन जैसा भी रहे, लेकिन बनारस की 8 विधानसभा सीट बीजेपी के लिए आने वाले भविष्य की रूपरेखा जरूर निर्धारित करेगी, क्योंकि पीएम के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने यदि क्लीनस्वीप नहीं किया तो सवाल खड़े होना लाजमी है.

जानिए बनारस की सीटें क्यों बनीं हैं BJP के लिए नाक का सवाल.

शहर उत्तरी विधानसभा
वाराणसी के शहर उत्तरी विधानसभा भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि आजादी के बाद से ही इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को कामयाबी मिलती रही है. 1951 से 2017 के बीच 19 विधानसभा चुनावों में से 3 भारतीय जनसंघ ने जीते और 5 बार भारतीय जनता पार्टी ने इस विधानसभा पर जीत दर्ज की. 5 बार यहां से कांग्रेस ने भी जीत हासिल की है. जबकि 1996 से 2007 तक 4 बार समाजवादी पार्टी ने इस विधानसभा सीट पर अपना परचम लहराया था. 2012 और फिर 2017 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से बीजेपी के रविंद्र जायसवाल ने इस सीट से जीत दर्ज करने का काम किया.

वर्तमान समय में वाराणसी की उत्तरी विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या 4,18,649 है. वाराणसी की इस विधानसभा सीट में जातीय समीकरण कुछ और ही बयां कर रहे हैं. इस विधानसभा में मुस्लिम वोटर्स 15 प्रतिशत हैं. परसेंटेज के हिसाब से कुल मतदाताओं की संख्या में शहर उत्तरी विधानसभा में ब्राह्मण वोटर्स की संख्या लगभग 8 से 9% है. जबकि क्षत्रिय मतदाता भी 8 से 9% और वैश्य भी इतने ही परसेंटेज में यहां मौजूद हैं. वहीं कायस्थ वोटर्स की बात करें तो 5%, भूमिहार 6 से 7%, मुस्लिम मतदाता 15%, यादव लगभग 7%, पटेल 2 से 3%, मौर्य एक से 2%, राजभर 2 से 3%, समेत अन्य वोटर्स की संख्या जातिगत आंकड़ों के आधार पर 2 से 4% के बीच है. वह इस बार बीजेपी के लिए यहां लड़ाई थोड़ी टफ मानी जा रही है, क्योंकि टिकट बंटवारे में समाजवादी पार्टी ने अशफाक अहमद डब्लू यानी मुस्लिम चेहरे को तवज्जो दी है. कांग्रेस ने भी इस सीट से गुलराना तबस्सुम पर दांव खेला है. इस सीट पर 15% मुस्लिम मतदाताओं का होना बीजेपी के लिए पहले से ही काफी टफ फाइट माना जाता रहा है. माय स्वीट से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी एक ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार बनाकर ब्राह्मणों के साथ मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है.

कैंट विधानसभा
कैंट विधानसभा सीट पर 20 सालों से एक ही परिवार का कब्जा है और वह परिवार है पुराने संघ के लीडर रह चुके हरीश चंद्र श्रीवास्तव का. हरीश चंद्र श्रीवास्तव यहां से विधायक रहे और यूपी सरकार में मंत्री भी उनके बाद उनकी पत्नी और फिर वह और फिर अब वर्तमान समय में उनका बेटा सौरभ श्रीवास्तव इस विधानसभा सीट से विधायक है. यह विधानसभा सीट पर निर्णायक भूमिका में हमेशा से ही कायस्थ वोटर माने जाते हैं. यही वजह है कि लंबे वक्त से कायस्थ मतदाता यहां से चुनाव लड़ते रहे और हर बार जीत हासिल की.

कायस्थ समाज से आने वाले हरीश चंद्र श्रीवास्तव के परिवार को ही भारतीय जनता पार्टी ने हर बार टिकट दिया और लगातार उनका परिवार इस सीट पर काबिज है. वर्तमान समय में यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 4,47,571 है. जिनमें अकेले कायस्थ मतदाताओं की संख्या 10 से 11% है. जबकि ब्राह्मण 6%, क्षत्रिय 4 से 5%, भूमिहार 3 से 4%, मुस्लिम छह से 7%, यादव 5 से 6%, पटेल 2%, राजभर 2 से 3% और अन्य 3 से 4% मौजूद हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने इस सीट से एक अलग ही दांव खेल दिया पिछली बार शहर दक्षिणी में दूसरे नंबर पर रहने वाले बड़े ब्राह्मण चेहरे राजेश मिश्रा को कांग्रेस ने कैंट विधानसभा से उम्मीदवार बना दिया है. जिससे ब्राह्मण मतदाता और भूमिहार मतदाता कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने महिला प्रत्याशी पूजा यादव पर दांव खेल दिया है. पूजा यादव महिलाओं के काफी करीब रहने वाले नेता और यादव समाज में प्रतिष्ठित मानी जाती हैं. जिसकी वजह से इस सीट पर भी लड़ाई त्रिकोणी मानी जा रही है. पूरी बसपा और आपने इस सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस की राह में मुश्किल पैदा करने की कोशिश की है.

दक्षिणी विधानसभा
वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा इकलौती ऐसी विधानसभा है जो पूरी तरह से बीजेपी के गढ़ के रूप में जानी जाती है. 2022 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा पर सभी की नजरें हैं. विश्वनाथ धाम से लेकर अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल और मंदिर इसी विधानसभा में आते हैं. वर्तमान में यहां से डॉ. नीलकंठ तिवारी विधायक हैं जो यूपी सरकार में पर्यटन और धर्मार्थ कार्य मंत्री समेत कई अन्य विभागों को भी देख रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर 8 बार भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों में उनका टिकट काटकर डॉ. नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया गया.

1989 से 2012 तक श्यामदेव राय चौधरी यहां से लगातार जीत हासिल करते रहे. इस विधानसभा सीट के जातीय समीकरण अपने आप में इस सीट को और भी खास बना देते हैं. वर्तमान समय में इस विधानसभा सीट में कुल वोटर्स की संख्या 3,16,328 है. जिसमें मुस्लिम काफी महत्वपूर्ण हैं, यहां ब्राह्मण 8 से 9% की मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं जबकि क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 5 से 6% वैश्य लगभग 7% कायस्थ 4% यादव 6% और मुस्लिम मतदाता 14% मौजूद हैं. अन्य वोटर जातिगत आधार पर 4% से ज्यादा यहां पर मौजूद हैं. इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण है शायद यही वजह है कि ब्राह्मण के खिलाफ ब्राह्मण उम्मीदवार खड़ा करके समाजवादी पार्टी ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित को उम्मीदवार बनाकर इस सीट की लड़ाई बहुत कठिन कर दी है. कांग्रेस ने भी वैश्य मुस्लिम और ब्राह्मण वोट पर तेल लगाने के लिए मुदिता कपूर को उम्मीदवार बना दिया है, जबकि मुस्लिम और अन्य समीकरण को साधते हुए बसपा ने दिनेश कसौधन को उम्मीदवार बनाते हुए बनिया वोट में सेंधमारी की कोशिश की है.

शिवपुर विधानसभा
वाराणसी की शिवपुर विधानसभा की सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के पास है और यहां से योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर विधायक है. शिवपुर विधानसभा की सीट ऐसी सीट है जो लोकसभा में चंदौली सीट के अंतर्गत आती है. नए परिसीमन के बाद 2012 के विधानसभा चुनावों में यह सीट अस्तित्व में आई और बहुजन समाज पार्टी के उदय लाल मौर्या यहां से विधायक चुने गए. पहली बार इस सीट के बनने के साथ ही बसपा का यहां कब्जा था, लेकिन 2017 में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की. जातिगत आंकड़ों के आधार पर यदि यहां बात की जाए तो शिवपुर विधानसभा की सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3,68,374 है. जिसमें सबसे बड़ा रोज दलित वोटर निभा सकते हैं. यहां पर दलित वोटर्स की संख्या 12 से 14% है, जबकि मुस्लिम 7% यादव 8% राजभर 5 से 6% ब्राम्हण 6 से 7% क्षत्रिय लगभग 10% कायस्थ लगभग 2% और अन्य लगभग 5% मतदाता हैं.

शिवपुर विधानसभा की लड़ाई काफी इंटरेस्टिंग है क्योंकि अनिल राजभर के सामने उनके राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर मैदान में हैं. वहीं, कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे गिरीश पांडेय को उम्मीदवार बनाकर एक अलग ही दांव खेला है. बसपा ने इस सीट से रवि मौर्या को उम्मीदवार बनाकर पुराने मौर्य वोटर्स के साथ दलितों पिछड़ों की राजनीति को आगे बढ़ाने का काम किया है. जिसकी वजह से इस सीट पर लड़ाई भाजपा सपा और बसपा के बीच मानी जा रही है.

रोहनिया विधानसभा
पटेल बाहुल्य इलाके की यह सीट हमेशा से अपना दल के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती रही है. वर्तमान में यहां पर 10 से 11% पटेल वोटर्स जबकि 9% दलित वोटर मौजूद है. कांग्रेस ने यहां से राजेश्वर सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. जबकि समाजवादी पार्टी गठबंधन से अपना दल (कमेरावादी) ने बनारस की इस सीट से राजेश पटेल को उम्मीदवार बनाया है. वही अपना दल (एस) ने बीजेपी गठबंधन के साथ मिलकर पटेल समीकरण साधते हुए सुनील पटेल को टिकट दिया है. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सुरेंद्र सिंह इस सीट से विधायक हैं. यदि रोहनिया विधानसभा की बात की जाए तो यह विधानसभा 2012 के चुनावों में अस्तित्व में आई थी. 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के सुरेंद्र नारायण सिंह ने समाजवादी पार्टी के महेंद्र सिंह और सिटिंग एमएलए को यहां से हराया था. 2012 में सोने लाल पटेल की अपना दल प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल ने यहां से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने मिर्जापुर से सांसद बनकर इस सीट को छोड़ दिया और यहां हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की. लेकिन 2017 में एक बार फिर से यह सीट बीजेपी के पास चली गई. इसी सीट से अनुप्रिया ने अपनी मां कृष्णा पटेल को हराया था जिसके बाद से अपना दल दो टुकड़ों में बंट गया.

सेवापुरी विधानसभा
वाराणसी की सेवापुरी विधानसभा सीट वर्तमान समय में अपना दल (एस) के पास है और इस बार बीजेपी ने वर्तमान विधायक नील रतन पटेल को ही अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतार दिया है. जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने पुराने नेता और इस सीट से विधायक रह चुके सुरेंद्र पटेल पर दांव खेला है जिसकी वजह से यहां पर मामला सपा के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है और लड़ाई सीधी भाजपा और सपा के बीच है. 2012 में परिसीमन के बाद सेवापुरी विधानसभा की सीट अस्तित्व में आई थी और पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां से परचम लहराया था. यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस सीट के अस्तित्व में आने से पहले समाजवादी पार्टी इस सीट पर जीत दर्ज करती रही. वर्तमान में इस विधानसभा सीट पर कुल 3,40,057 वोटर्स हैं. जिनमें सबसे बड़ी भूमिका पटेल वोटर्स की है जिनकी परसेंटेज के हिसाब से मौजूदगी 10 से 12% है जबकि ब्राह्मण भी इस विधानसभा सीट पर 10% से ज्यादा मौजूद है.

अजगरा विधानसभा
वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों में से एक अजगरा विधानसभा की सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास है, लेकिन ओपी राजभर ने इस बार इस सीट से अपने ही वर्तमान जिला या कैलाशनाथ सोनकर का टिकट काटकर समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष सुनील सोनकर को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा दिया है, जो चर्चा का विषय बन गया है. वहीं इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीतने वाले बड़े दलित चेहरे के रूप में पहचान बना चुके त्रिभुवन राम इस बार बीजेपी के साथ है और वह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जिसकी वजह से यहां मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है. वर्तमान समय में अजगरा विधानसभा में वोटर्स कि यदि बात की जाए तो यहां 3,68,938 मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिसमें जातिगत आधार पर सबसे ज्यादा 14% दलित वोटर शामिल हैं. जबकि 8% वैश्य और 6% पटेल मतदाताओं के साथ 6% मुस्लिम मतदाता भी काफी निर्णायक भूमिका में नजर आएंगे. यहां पर अन्य वोटर की संख्या लगभग 6% है. यह सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल इसलिए है कि 2017 में जो दोस्त था वह अब इस सीट पर बीजेपी का दुश्मन है यानी सुभासपा.

पिंडरा विधानसभा
इस सीट को पहले कोलअसला विधानसभा के नाम से जाना जाता था. 2012 के परिसीमन में इसे पिंडरा विधानसभा में शामिल किया गया. यह विधानसभा क्षेत्र मछली शहर संसदीय क्षेत्र में आता है वर्तमान में यहां से बीजेपी के अवधेश सिंह विधायक हैं. विधानसभा सीट को कामरेड का गढ़ कहा जाता था. क्योंकि यहां से उदल 8 बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे. उनको बीजेपी में जाने के बाद अजय राय ने 1996 में हराया और उसके बाद 2017 तक अजय राय यहां से विधायक रहे, लेकिन 2017 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की. वर्तमान में अजय राय को कांग्रेस ने यहां से टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने पुराने विधायक अवधेश सिंह पर ही दांव खेला है दोनों भूमिहार बिरादरी से आते हैं और ब्राह्मण भूमिहार वोटर के साथ दलित को साधने के लिए दोनों एकजुट हैं. हालांकि इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत दिखाई दे रही है. जिसकी वजह से बीजेपी को यहां सीधी टक्कर कांग्रेस से मिल रही है. वर्तमान समय में यहां 3,69,265 मतदाता है जिनमें दलित लगभग 9% ब्राह्मण 8% और भूमियार 8% निर्णायक भूमिका में हैं.

किस सीट पर कौन प्रत्याशी ?

पिंडरा
अजय राय-कांग्रेस
अवधेश सिंह- बीजेपी
बाबूलाल- बसपा
राजेश कुमार सिंह, अपना दल (क)
अमर सिंह पटेल- आप

अजगरा
हेमा देवी- कांग्रेस
त्रिभुवन राम- बीजेपी
रघुनाथ चौधरी- बसपा
सत्य प्रकाश- आप
सुनील सोनकर- सुभासपा, गठबंधन

शिवपुर
गिरीश पांडेय-कांग्रेस
अनिल राजभर- भाजपा
अरविंद राजभर- सुभासपा, गठबंधन
रवि मौर्य- बसपा

रोहनिया
राजेश्वर सिंह पटेल- कांग्रेस
अभय पटेल- अपना दल (क)
पल्लवी वर्मा- आप
अरुण पटेल- बसपा
सुनील पटेल- अपना दल (एस)

सेवापुरी
अंजू आनंद सिंह- कांग्रेस
नील रतन सिंह पटेल- भाजपा
अरविंद कुमार त्रिपाठी- बसपा
सुरेंद्र सिंह पटेल- सपा
कैलाश पटेल- आप

उत्तरी
गुलेराना तब्बसुम- कांग्रेस
रविंद्र जायसवाल-भाजपा
श्याम प्रकाश- बसपा
डॉ आशीष जयसवाल- आप
अशफाक अहमद- सपा
हरीश मिश्रा- एआईएमआईएम

दक्षिणी
मुदिता कपूर- कांग्रेस
डॉ नीलकंठ तिवारी- भाजपा
किशन दीक्षित- सपा
दिनेश कसौधन- बसपा
अजीत सिंह- आप

कैंट
डॉ राजेश मिश्रा- कांग्रेस
सौरभ श्रीवास्तव- भाजपा
पूजा यादव- सपा
कौशिक पांडेय- बसपा
राकेश पांडेय- आप

Last Updated :Feb 24, 2022, 2:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.