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वाराणसी: योगी मंत्रिमंडल में शामिल हुए इस विधायक ने कभी नहीं ली सैलरी

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Published : Aug 21, 2019, 3:31 PM IST

योगी कैबिनेट में रविंद्र जायसवाल को मिली जगह.

योगी कैबिनेट में जिले से तीन चेहरों को जगह मिली है. नए चेहरों में शहर के उत्तरी क्षेत्र के विधायक रविंद्र जायसवाल को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. रविंद्र जायसवाल जब से विधायक बने हैं, तब से उन्होंने न ही सैलरी ली और न ही कोई भत्ते का उपयोग लिया है.

वाराणसी: योगी सरकार में आज मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें जिले से तीन चेहरों को जगह मिली है. इनमें एक चेहरा है बीजेपी से शहर उत्तरी के विधायक रविंद्र जायसवाल का. रविंद्र जायसवाल दो बार लगातार विधायक चुने गए हैं. और सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधायक की छवि अपने क्षेत्र में अन्य से काफी अलग है. उनके सहयोगियों का यह भी दावा है कि जब से रविंद्र जायसवाल विधायक बने तब से उन्होंने न ही सैलरी ली और न ही कोई भत्ता का उपयोग लिया है.

योगी कैबिनेट में रविंद्र जायसवाल को मिली जगह.

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योगी कैबिनेट में रविंद्र जायसवाल को मिली जगह

  • योगी कैबिनेट में नए चेहरों में रविंद्र जायसवाल वाराणसी शहर उत्तरी से विधायक हैं.
  • 2012 और 2017 में इसी क्षेत्र से विधायक चुने जाने के बाद उनको इस नई जिम्मेदारी को सौंपा गया है.
  • 2012 में जब रविंद्र जायसवाल चुनाव जीते तो, उन्होंने कुछ अलग करते हुए विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी लेने से इनकार कर दिया.
  • दूसरी बार 2017 में चुने जाने के बाद भी उन्होंने इस प्रथा को जारी रखा.
  • जिले के प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार से जुड़े रविंद्र जायसवाल को मिलने वाले सरकारी भत्ते से क्षेत्र में उन इलाकों में सबसे पहले बिजली के खंभे अपने खर्चे से लगवाएं.
  • इसके अलावा काफी बड़ी संख्या में सोलर लाइट लगवा कर गलियों और सड़कों को अंधेरा मुक्त कराया.
  • एक ऐसा नया चेहरा मंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है, जो अन्य विधायकों से कुछ अलग कर रहा है.

अनिल राजभर का कद बढ़ाकर बनाया गया कैबिनेट मंत्री
मंत्रिमंडल में पहले से ही राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी संभाल रहे अनिल राजभर का कद बढ़ाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी भाजपा के टिकट पर धानापुर चिरईगांव से विधायक रह चुके हैं. 1994 में अनिल राजभर ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करते हुए चंदौली स्थित एक कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष बनकर राजनीति की शुरुआत की. इसके बाद पंचायत सदस्य चुने गए. 2003 में पिता के देहांत के बाद उपचुनाव लड़ा हार गए, लेकिन 2017 में शिवपुर विधानसभा से विधायक चुने गए. वह राज्य योजना आयोग के सलाहकार भी रह चुके हैं.

डॉ. नीलकंठ तिवारी को मिली राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी
वही पहले से ही राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे, डॉ नीलकंठ तिवारी शहर दक्षिणी से विधायक हैं और उनको भी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी इस मंत्रिमंडल में सौंपी गई है. हरिशचंद्र पीजी कॉलेज से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में करके उन्होंने छात्र संघ के महामंत्री के तौर पर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. उसके बाद अधिवक्ता के तौर पर अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए 2014 में सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए. पार्षद का चुनाव लड़ा और सपा प्रत्याशी से उस वक्त यह बुरी तरह हार गए, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा खत्म नहीं हुई नीलकंठ तिवारी भाजयुमो के महानगर अध्यक्ष पद पर रहे.

काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष के तौर पर वर्तमान में जिम्मेदारी संभाल रहे देवरिया के मूल निवासी नीलकंठ तिवारी समेत रविंद्र जायसवाल और अनिल राजभर बनारस से योगी मंत्रिमंडल के नए चेहरे हैं.

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: योगी सरकार में आज मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ जिसमें बनारस से तीन चेहरों को जगह मिली दो ऐसे चेहरे हैं जिनका कद बढ़ाते हुए उन्हें नई जिम्मेदारियां सौंपी गई तो एक अन्य विधायक को मंत्री बनाकर पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र से तीन लोगों को योगी की नई टीम में जगह मिली है इन चारों में एक चेहरा है बीजेपी से शहर उत्तरी के विधायक रविंद्र जयसवाल का रविंद्र जयसवाल दो बार लगातार विधायक चुने गए हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधायक की छवि अपने क्षेत्र में अन्य से काफी अलग है उनके सहयोगियों का यह भी दावा है कि जब से रविंद्र जायसवाल विधायक बने तब से उन्होंने ना ही सैलरी ली और ना ही कोई भत्ता पत्ते का उपयोग भी उन्होंने पब्लिक की भलाई करते हुए उनके ही कार्यों में खर्च कर दिया.


Body:वीओ-01 योगी कैबिनेट में नए चेहरों में रविंद्र जयसवाल वाराणसी शहर उत्तरी से विधायक हैं 2012 और 2017 में इसी क्षेत्र से विधायक चुने जाने के बाद उनको इस नई जिम्मेदारी को सौंपा गया है 2012 में जब नवीन जयसवाल चुनाव जीते तो उन्होंने कुछ अलग करते हुए विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी लेने से इंकार कर दिया जो अन्य भत्ते मिले उसका उपयोग भी उन्होंने जनता की भलाई में किया दूसरी बार 2017 में चुने जाने के बाद भी उन्होंने इस प्रथा को जारी रखा. वाराणसी के प्रतिष्ठित व्यवसाई परिवार से जुड़े रविंद्र जयसवाल अपने को मिलने वाले सरकारी भत्ते से क्षेत्र में उन इलाकों में सबसे पहले बिजली के खंभे अपने खर्चे से लगवाएं जहां बांस बल्लियों के सहारे बिजली की तारे जानलेवा बन कर खड़ी थी, इसके अलावा काफी बड़ी संख्या में सोलर लाइट लगवा कर गलियों और सड़कों से अंधेरा भी उन्होंने अपने सरकारी भत्ते के बल पर संपन्न कराया यानि की एक ऐसा नया चेहरा मंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है जो अन्य विधायकों से कुछ अलग कर रहा है.

बाईट- अजय कृष्ण त्रिपाठी, सहयोगी, रविंद्र जयसवाल


Conclusion:वीओ-02 मंत्रिमंडल में पहले से ही राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी संभाल रहे अनिल राजभर का कद बढ़ाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी भाजपा के टिकट पर धानापुर चिरईगांव से विधायक रह चुके हैं 1994 में अनिल राजभर ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करते हुए चंदौली स्थित एक कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष बनकर राजनीति की शुरुआत की इसके बाद पंचायत सदस्य चुने गए 2003 में पिता के देहांत के बाद उपचुनाव लड़ा हार गए लेकिन 2017 में शिवपुर विधानसभा से विधायक चुने गए. वह राज्य योजना आयोग के सलाहकार भी रह चुके हैं. वही पहले से ही राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे, डॉ नीलकंठ तिवारी शहर दक्षिणी से विधायक हैं और उनको भी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी इस मंत्रिमंडल में सौंपी गई है. हरिशचंद्र पीजी कॉलेज से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1989 में करके उन्होंने छात्र संघ के महामंत्री के तौर पर राजनैतिक जीवन की शुरुआत की उसके बाद अधिवक्ता के तौर पर अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए 2014 में सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए पार्षद का चुनाव लड़ा और सपा प्रत्याशी उस वक्त या बुरी तरह हार गए लेकिन राजनैतिक महत्वाकांक्षा खत्म नहीं हुई नीलकंठ तिवारी भाजयुमो के महानगर अध्यक्ष पद पर रहे और काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष के तौर पर वर्तमान में जिम्मेदारी संभाल रहे देवरिया के मूल निवासी नीलकंठ तिवारी समेत रविंद्र जयसवाल और अनिल राजभर बनारस से योगी मंत्रिमंडल के नए चेहरे हैं.

गोपाल मिश्र

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